महंत नरेंद्र गिरी को दी गई भू-समाधि, अंतिम विदाई में उमड़े साधु संत व श्रद्धालु

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चंडीगढ़+प्रयागराज:- 22 सितंबर अल्फा न्यूज इंडिया डेस्क प्रस्तुति:– महंत नरेंद्र गिरी को प्रयागराज स्थित बाघम्बरी मठ में पूरे रीति रिवाजों के साथ भू समाधि दी गई है। उनकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट में फांसी लगने से व दम घुटने से मौत होना बताया गया है। महंत नरेन्द्र गिरी जी का विसरा जांच के लिए सुरक्षित रखा गया है।

महंत नरेंद्र गिरि को बाघंबरी मठ में भू-समाधि देने का काम बलबीर गिरि द्वारा किया गया।नरेंद्र गिरि ने उन्हें अपने कथित सुसाइड नोट में उत्तराधिकारी बताया है। गिरी ने अपने सुइसाइड नोट में यह निर्देश दिया कि उन्हें उनके गुरू की समाधि के पास मठ के भीतर ही नींबू के पेड़ के पास ही भू-समाधि दी जाए। उनके निर्देश के अनुसार ही दिवंगत महंत नरेन्द्र गिरी को भू समाधि दी गई।

नरेंद्र गिरी को भू-समाधि देने से पहले फूलों से सजे रथ पर उन्हें गंगा-यमुना-सरस्वती के संगम तट पर ले जाया गया था। फिर उन्हें स्नान कराया गया, जिसके बाद संगम तट पर स्थित बड़े हनुमान मंदिर में दर्शन के लिए ले जाया गया। गिरी लेटे हनुमान जी मंदिर के भी महंत थे। इसके बाद उनके पार्थिव शरीर को अल्लापुर स्थित बाघंबरी मठ ले जाया जाएगा, जहां उनके गुरू की समाधि के पास उनका अंतिम संस्कार किया गया।

आपको बता दें कि सनातन मत के अनुसार, संत परंपरा में तीन तरह से संस्कार होते हैं। इनमें दाह संस्कार, भू-समाधि और जल समाधि शामिल है। कई संतों के दिवंगत हो जाने के बाद वैदिक तरीके से उनका दाह संस्कार किया गया है। कई संतों ने जल समाधि भी ली है। लेकिन नदियों में प्रदूषण आदि को ध्यान में रखते हुए अब जल समाधि का प्रचलन कम हो गया है। ऐसे में वैष्णव मत में ज्यादातर संतों को भू-समाधि देने की ही परंपरा है। भू-समाधि के लिए सबसे पहले जगह कआ चयन कर दिया जाता है फिर विधि-विधान से समाधि को खोदा जाता है। वहां पूजा-पाठ किया जाता है और गंगाजल तथा वैदिक मंत्रों से उस जगह का शुद्धिकरण किया जाता है। भू-समाधि में दिवंगत साधु को समाधि वाली स्थिति में ही बैठाया जाता है। बैठने की इस मुद्रा को सिद्ध योग मुद्रा कहा जाता है। बताते हैं कि संतों को समाधि इसलिए दी जाती है ताकि बाद में उनके अनुयायी अपने आराध्य-गुरु का दर्शन और अनुभव उनकी समाधि स्थल पर कर सकें।

महंत जी की मौत को लेकर कई तरह के संदेह व्यक्त किए जा रहे हैं। साजिश से जुड़े सवाल अनेक हैं लेकिन जबाव एक है ‘इंतजार’। उम्मीद है कि इस प्रकरण से जल्द पर्दा उठेगा। इस अवसर पर पत्रकारों के सवालों का जबाब देते हुए नृसिंह वाटिका आश्रम रायवाला हरिद्वार उत्तराखंड के परमाध्यक्ष नृसिंह पीठाधीश्वर स्वामी रसिक महाराज ने कहा कि सन्त तो एक हवा के झोंके की तरह है. उन्होंने सन्त समाज की तरफ से उत्तर प्रदेश सरकार से उम्मीद जताई कि शीघ्र ही इस घटना से पर्दा उठेगा.

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