सैनिक अमरीश त्यागी का ठीक 16 साल बाद बर्फ में दबा मिला शव

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  • चंडीगढ़ : 27 सितंबर: आरके शर्मा विक्रमा+करण शर्मा:— जो शहीद हुए,,, जरा भर लो आंखों में पानी,,,, वह लौट के ना आए,,, वतन को दे दी जवानी,,, यह पंक्तियां हमारे देश की सरहदों की रात दिन मुस्तैदी से चौकसी से पहरेदारी संभाले हमारे जांबाज शहीदों के लिए हमेशा हर भारतीय गुनगुनाता है। भारतीय सेना पूरे देश का स्वाभिमान है। और समूचे विश्व में अग्रिम पंक्ति की सेना में शुमार है। हमारे वीर जवान रणबांकुरे हैं। तो हम सुरक्षित हैं। बेफिक्री की जिंदगी गुजार रहे हैं। इन देशभक्त नौजवानों को कृतज्ञ राष्ट्र का कोटि-कोटि नमन है।

आज कृतज्ञ राष्ट्र उस जांबाज फौजी पर्वतारोही को सैल्यूट कर रहा है। जिसका अपना शव 16 साल बाद पर्वत की गहरी खाई में दबा हुआ तकरीबन दुरुस्त अवस्था में मिला। पुष्ट सूत्रों मुताबिक सन 2005 में सेना का 25 मेंबरी दल सतोपंथ चोटी पर तिरंगा फहराने के लिए निकला था। इनमें सैनिक अमरीश त्यागी भी शामिल था। कुल 7075 मीटर ऊंची चोटी पर तिरंगा फहराया। भारत माता की जय भारत माता की जय के जय घोष लगाए। और दल ने नीचे की ओर प्रस्थान किया।

23 सितंबर 2005 को यकलखत सेना के कुछ जवानों का संतुलन बिगड़ा। पैर फिसले और 4 जवान गहरी बर्फ की खाई में जा धंसे। बचाव दल के जवानों ने जी जान से मशक्कत की। और 3 सैनिकों के शव खोज निकालने में कामयाबी पाई लेकिन अमरीश त्यागी का शव का कहीं कोई अता पता और ठिकाना नहीं लगा। आखिरकार 2006 में भारतीय सेना ने अपने जांबाज निडर हौसले बुलंद रखने वाले अमरीश त्यागी राम किशोर त्यागी विनय त्यागी इनके सबसे बड़े भाई अमरीश त्यागी को डेड डिक्लेअर कर दिया। अमरीश त्यागी सुपुत्र राजकुमार त्यागी गांव हिंसाली मुरादनगर की गहरी खाई में बर्फ में दबी लाश तकरीबन 16 साल बाद 23 सितंबर 2021 को ही बरामद हुई। मुरादनगर के गांव हिंसाली में सेना के उच्च अधिकारियों की 3 सदस्यीय टीम ने अमरीश त्यागी के परिजनों को उनका शव मिलने की दुखद सूचना दी। हालांकि अमरीश त्यागी के भाई राम कुमार त्यागी तकरीबन 10 साल पहले भौतिक देव को त्याग चुके हैं और उनकी धर्मपत्नी विद्यावती भी 4 साल पहले ही स्वर्ग लोक को सुधार गई हैं सत्ता पंत सतोपंथ चोटी कोफ्ते कर चुके अमरीश त्यागी का पूरा सैन्य सम्मान के साथ उनके पैतृक गांव हैंड साली में हिंदू वैदिक रीति रिवाज के मुताबिक अंतिम संस्कार किया जाएगा जिसमें समाज के अनेकों प्रबुद्ध लोग सैन्य अधिकारी प्रशासनिक अधिकारी पुलिस अधिकारी अनेकों धर्माधिकारी आदि शिरकत करते हुए अपनी श्रद्धांजलि अमरीश त्यागी भारतीय सेना के होनहार सैनिक को उनके बलिदान पर समर्पित करेंगे बता दें कि सतोपंथ चोटी गंगोत्री हिमालय की सबसे ऊंची चोटी है स्कोर पद दलित करने की महत्वाकांक्षा रखने वाले दल के सैनिक अमरीश त्यागी ने साहस निडरता और लक्ष्य भेदन का अडिग निश्चय प्रस्तुत किया है कृतज्ञ राष्ट्र अपने इस जांबाज पर्वतारोही सैनिक को कोटि-कोटि नमन करता है। अमरीश त्यागीगी के गांव में खुशी और गम का मिलाजुला वातावरण बना हुआ है। अपने होनहार बेटे को खोने का गांव वासियों को गहरा सदमा है। और 16 साल बाद उनका शव मिलने की खुशी उनके चेहरे पर देखी जा रही है कि 16 साल बाद अमरीश त्यागी का पूरे रस्मो रिवाज के साथ वैदिक प्रचलित परंपराओं के अनुसार अंतिम संस्कार संपन्न होगा। चारों ओर अमरीश त्यागीगी सेना जवान के शव के मिलने की चर्चा पुर जोरों पर है। वक्त की गणना का संयोग देखिए की यह दुर्घटना 23 सितंबर 2005 को घटी थी जब 4 जवानों के पैर फिसलने पर उनके शव गहरी खाई की बर्फ में दब गए थे बचाव दल ने 3 सैनिकों के शव अच्छी खासी मशक्कत के बाद बरामद कर लिए थे लेकिन अमरीश त्यागी का शव का कुछ भी अताा पता नहीं लगा था। ठीक 16 साल बाद 23 सितंबर 20-21 को भारतीय सेना के जवान और पर्वतारोही अमरीश त्यागी का शव मिलने की खबर उनके परिवार को सैन्य अधिकारियों ने घर पहुंच कर दी। अल्फा न्यूज़ इंडिया शोक संतृप्त परिवार के साथ अपनी हार्दिक शोक संवेदनाएं व्यक्त करता है और शोकाकुल परिवार को इस पीड़ा को सहन करने की भगवान द्वारा समर्थन प्रदान करने की विनती करता है।

 

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