चंडीगढ़:- 27 सितंबर: अल्फा न्यूज इंडिया डेस्क:— खेती और किसानी का नाम लेकर कुछ जत्थेबंदियों द्वारा राजनीतिक दलों के संरक्षण और समर्थन से चलाया जा रहा आंदोलन अब लोगों के लिए असुविधा का सबब बन रहा है। आए दिन के धरने-प्रदर्शन और बंद से साधारण नागरिक परेशान हैं। इसके कारण आंदोलनकारियों की पहले से ख़राब छवि और धूमिल हुई है। भारतीय जनता पार्टी और केंद्र सरकार बातचीत और संवाद के ज़रिए सभी लंबित मुद्दों को सुलझाने में विश्वास रखती है और इसीलिए केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने फिर से दोहराया है कि आंदोलनकारी बातचीत के लिए आगे आएं तो सरकार उनका स्वागत करेगी। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान ने आंदोलनकारियों के कथित भारत बंद के संदर्भ में यहाँ जारी वक्तव्य में यह टिप्पणी की।
उन्होंने कहा कि आंदोलनकारी मोर्चा शुरू में ख़ुद को ग़ैर राजनीतिक कहकर किसानों को गुमराह कर रहा था। आंदोलन के शुरुआती दिनों में इन्होंने अपने अधिकतर राजनीतिक आकाओं को पर्दे के पीछे रखते हुए काम किया। उनके इस आचरण को भेड़ की खाल में घुसे भेड़िए वाला कृत्य कहा जा सकता है। मगर इस तरह का धोखा क्योंकि अधिक दिन नहीं चल सकता, इसलिए धीरे धीरे सबके चेहरे उजागर हो गए हैं। डॉ. चौहान ने कहा कि कांग्रेस और इनेलो अपनी नीतियों और कार्यक्रमों के सहारे राजनीति करने की हिम्मत खो चुके हैं। इसलिए दोनों दलों के बीच किसानी की ओढ़नी ओढ़ कर सियासत का सत्तू तैयार करने की होड़ मची हुई है। उन्होंने कहा कि दोनों दलों को किसानों की आड़ लेकर तीरंदाजी करने के बजाए सीधे मैदान में आने का दम दिखाना चाहिए क्योंकि अब तो सबको पता चल चुका है कि किसानी के चूल्हे पर पतीला राजनीति वालों का है।
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान ने कहा कि बंद के दौरान हरियाणा भर में कांग्रेस और इनेलो के अलावा वामपंथी दलों के नेता और कार्यकर्ता अधिकतर स्थानों पर ज़बरन बाज़ार बंद करवाते नज़र आए। अधिकतर स्थानों पर दबाव में कुछ देर के लिए दुकानें बंद करने वाले कारोबारियों ने इन आंदोलनजीवियों के जाते ही अपनी दुकानें और प्रतिष्ठान रोज़ाना की तरह खोल दिए। स्पष्ट है कि किसान के नाम पर राजनीतिक रोटियां सेंक रहे इन संगठनों और उनके संरक्षक ‘नकारे गए’ विपक्षी दलों के साथ प्रदेश के जनसाधारण की सहानुभूति बिलकुल नहीं है।
डॉ. चौहान ने कहा कि किसानों के हित में बनाए गए कानूनों का विरोध करने वालों ने घंटों तक सड़कें और रेलमार्ग जाम कर अनेक स्थानों पर क़ानून को तोड़ा है। इतना ही नहीं, उन्होंने इस प्रक्रिया में किसानों और मज़दूरों को भी आर्थिक नुक़सान पहुंचाया है। प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से मरीज़ों और उनके परिजनों के लाख गुहार लगाने के बाद भी उन्हें अस्पतालों तक पहुँचने से रोके जाने के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए हैं। यह आंदोलनकारियों की संवेदनहीनता का प्रत्यक्ष प्रमाण है और ऐसा करना अमानवीय और व निंदनीय भी है। भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि कथित किसान आंदोलन हुडदंग, हो-हल्ले और अमर्यादित आचरण का पर्याय बन गया है। आज पंजाब में सेना के क़ाफ़िले को रोक कर आंदोलनकारियों ने अनुशासनहीनता की सारी हदें पार कर डाली। साभार एन एक्स इंडिया।।