श्राद्ध शब्द श्रद्धा से बना है, जिसका मतलब है पितरों के प्रति श्रद्धा भाव:–पंडित कृष्ण मेहता*

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*चंडीगढ़:20 सितंबर:- आरके विक्रमा शर्मा+करण शर्मा प्रस्तुति:—भाद्रपद शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से सोलह दिवसीय श्राद्ध प्रारंभ होते हैं, लिहाजा आज 20 सितंबर से श्राद्ध की शुरुआत हो जाएगी और आश्विन महीने की अमावस्या को यानि 6 अक्टूबर, दिन बुधवार को समाप्त होंगे। श्राद्ध को महालय या पितृपक्ष के नाम से भी जाना जाता है।पंडित कृष्ण मेहता के मुताबिक, श्राद्ध शब्द श्रद्धा से बना है, जिसका मतलब है पितरों के प्रति श्रद्धा भाव।

*_पद्त हमारे भीतर प्रवाहित रक्त में हमारे पितरों के अंश हैं, जिसके कारण हम उनके ऋणी होते हैं और यही ऋण उतारने के लिए श्राद्ध कर्म किये जाते हैं। आप दूसरे तरीके से भी इस बात को समझ सकते हैं। पिता के जिस शुक्राणु के साथ जीव माता के गर्भ में जाता है, उसमें 84 अंश होते हैं, जिनमें से 28 अंश तो शुक्रधारी पुरुष के खुद के भोजनादि से उपार्जित होते हैं और 56 अंश पूर्व पुरुषों के रहते हैं। उनमें से भी 21 उसके पिता के, 15 अंश पितामह के, 10 अंश प्रपितामाह के, 6 अंश चतुर्थ पुरुष के, 3 पंचम पुरुष के और एक षष्ठ पुरुष के होते हैं। इस तरह सात पीढ़ियों तक वंश के सभी पूर्वज़ों के रक्त की एकता रहती है, लिहाजा श्राद्ध या पिंडदान मुख्यतः तीन पीढ़ियों तक के पितरों को दिया जाता है। पितृपक्ष में किये गए कार्यों से पूर्वजों की आत्मा को तो शांति प्राप्त होती ही है, साथ ही कर्ता को भी पितृ ऋण से मुक्ति मिलती है।_*

*_क्या है श्राद्ध?_*

*_श्राद्ध के दौरान जो हम दान पूर्वजों को देते है वो श्राद्ध कहलाता है। शास्त्रों के अनुसार जिनका देहांत हो चुका है और वे सभी इन दिनों में अपने सूक्ष्म रूप के साथ धरती पर आते हैं और अपने परिजनों का तर्पण स्वीकार करते हैं।_*

*_श्राद्ध के बारे में हरवंश पुराण में बताया गया है कि भीष्म पितामह ने युधिष्ठिर को बताया था कि श्राद्ध करने वाला व्यक्ति दोनों लोकों में सुख प्राप्त करता है। श्राद्ध से प्रसन्न होकर पितर धर्म को चाहने वालों को धर्म, संतान को चाहने वाले को संतान, कल्याण चाहने वाले को कल्याण जैसे इच्छानुसार वरदान देते हैं।_*

*_कब से शुरू हो रहे पितृ पक्ष_*

*_पितृ पक्ष आज 20 सितंबर 2021 से प्रारंभ हो रहे हैं और यह 6 अक्टूबर को अमावस्या तिथि के साथ समाप्त होंगे।_*

*_श्राद्ध की तिथियां_*

*_पहला श्राद्ध: पूर्णिमा श्राद्ध: 20 सितंबर 2021 , सोमवार_*

*_दूसरे श्राद्ध: प्रतिपदा श्राद्ध: 21 सितंबर 2021, मंगलवार_*

*_तीसरे श्राद्ध: द्वितीय श्राद्ध: 22 सितंबर 2021, बुधवार_*

*_तृतीया श्राद्ध: 23 सितंबर 2021, गुरूवार_*

*_चतुर्थी श्राद्ध: 24 सितंबर 2021, शुक्रवार_*

*_महाभरणी श्राद्ध: 24 सितंबर 2021 , शुक्रवार_*

*_पंचमी श्राद्ध: 25 सितंबर 2021, शनिवार_*

*_षष्ठी श्राद्ध: 27 सितंबर 2021, सोमवार_*

*_सप्तमी श्राद्ध: 28 सितंबर 2021, मंगलवार_*

*_अष्टमी श्राद्ध: 29 सितंबर 2021, बुधवार_*

*_नवमी श्राद्ध (मातृनवमी): 30 सितंबर 2021, गुरुवार_*

*_दशमी श्राद्ध: 01 अक्टूबर 2021,शुक्रवार_*

*_एकादशी श्राद्ध: 02 अक्टूबर 2021, शनिवार_*

*_द्वादशी श्राद्ध, संन्यासी, यति, वैष्णवजनों का श्राद्ध: 03 अक्टूबर 2021_*

*_त्रयोदशी श्राद्ध: 04 अक्टूबर 2021, रविवार_*

*_चतुर्दशी श्राद्ध: 05 अक्टूबर 2021, सोमवार_*

*_अमावस्या श्राद्ध, अज्ञात तिथि पितृ श्राद्ध, सर्वपितृ अमावस्या समापन- 06 अक्टूबर 2021, मंगलवार_*

*_पितृ पक्ष की पौराणिक कथा_*

*_कहा जाता है कि जब महाभारत के युद्ध में कर्ण का निधन हो गया था और उनकी आत्मा स्वर्ग पहुंच गई, तो उन्हें रोजाना खाने की बजाय खाने के लिए सोना और गहने दिए गए। इस बात से निराश होकर कर्ण की आत्मा ने इंद्र देव से इसका कारण पूछा। तब इंद्र ने कर्ण को बताया कि आपने अपने पूरे जीवन में सोने के आभूषणों को दूसरों को दान किया लेकिन कभी भी अपने पूर्वजों को नहीं दिया। तब कर्ण ने उत्तर दिया कि वह अपने पूर्वजों के बारे में नहीं जानता है और उसे सुनने के बाद, भगवान इंद्र ने उसे 15 दिनों की अवधि के लिए पृथ्वी पर वापस जाने की अनुमति दी ताकि वह अपने पूर्वजों को भोजन दान कर सके। तब से इसी 15 दिन की अवधि को पितृ पक्ष के रूप में जाना जाता है।_*

 

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