सुसंगत और कुसंगत का कभी नहीं रहता बेअसर प्रभाव

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चंडीगढ़ : 29 अगस्त:- आरके विक्रमा शर्मा+  करण शर्मा प्रस्तुति:— आजकल

*1- दस-मिनट; पत्नी के पास बैठिए; आप महसूस करेंगे कि जिंदगी बहुत मुश्किल है।*

 

*2- दस-मिनट;पियक्कड़ के पास बैठिए;आप महसूस करेंगे कि जिंदगी बहुत आसान है।*

 

*3- दस-मिनट; साधु संतों के पास बैठिए; आप महसूस करेंगे कि सब कुछ दान कर दें और संन्यास ले लें!*

 

*4- दस-मिनट; राजनेता के पास बैठिए; आप महसूस करेंगे कि आपकी सारी पढ़ाई लिखाई बेकार है।*

 

*5- दस-मिनट; जीवन बीमा एजेंट के पास बैठिए; आप महसूस करेंगे कि जीने से अच्छा तो मर जाना है।*

 

*6- दस-मिनट; किसी व्यापारी के पास बैठिए; आप महसूस करेंगे कि आपकी कमाई कुछ भी नहीं है!*

 

*7- दस मिनट; वैज्ञानिक के पास बैठिए; आप महसूस करेंगे कि आपमें दुष्टता आपके अज्ञानता के कारण है।*

 

*8- दस-मिनट; किसी अच्छे अध्यापक के पास बैठिए; आप महसूस करेंगे कि वापिस विद्यार्थी बन जाना चाहिए।*

 

*9- दस-मिनट; किसी किसान या मजदूर के पास बैठिए; आप महसूस करेंगे कि आप कठिन परिश्रम नहीं करते हैं।*

 

*10- दस-मिनट; किसी फौजी के पास बैठिए; आप महसूस करेंगे कि आपकी नौकरी और त्याग बहुत तुच्छ है।*

 

*11- दस-मिनट; शमशान घाट अर्थी के साथ जाइए; आप महसूस करेंगे कि जिंदगी में सब माया मोह है त्याग दें।*

 

*12- दस-मिनट; किसी अच्छे मित्र के पास बैठिए; आप महसूस करेंगे कि आपकी जिंदगी स्वर्ग से भी सुंदर है।*

 

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