न्यायमूर्ति पीसी पंडित मेमोरियल हाल का किया उद्घाटन पदमश्री डॉ. पूनम सूरी ने

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 न्यायमूर्ति  पीसी पंडित मेमोरियल हाल का किया उद्घाटन  पदमश्री डॉ. पूनम सूरी ने  

चंडीगढ़ : 11 दिसम्बर ;   अल्फ़ा न्यूज इंडिया ;—— आर्य समाज  सेक्टर 7 बी चंडीगढ़ में न्यायमूर्ति पीसी पंडित  की स्मृति में बनाए नवनिर्मित हाल का उद्घाटन डीएवी कॉलेज मैने जिंग कमेटी एवं आर्य प्रादेशिक प्रतिनिधि सभा नई दिल्ली के प्रधान आर्य रत्न पद्मश्री डॉ. पूनम सूरी ने किया।  कार्यक्रम का शुभारंभ यज्ञ से किया गया। तत्पश्चात आर्य समाज के प्रधान रविंद्र तलवाड़  ने  पूनम सूरी का अभिनंदन करते हुए कहा कि इस आर्य समाज की आधारशिला 1965 ईस्वी में महात्मा आनंद स्वामी ने रखी थी।   उन्होंने पदमश्री डॉ. पूनम सूरी की  प्रशंसा करते हुए कहा कि उनके प्रधान बनने से आर्य समाजों तथा  डीएवी  शिक्षण संस्थाओं में नई स्फूर्ति और ऊर्जा पैदा हुई है।  उन्होंने पंजाब, हरियाणा और हिमाचल तथा चंडीगढ़ से आए डीएवी शिक्षण संस्थाओं के प्रिंसिपलों और भिन्न – भिन्न आर्य समाजों के सदस्यों के पधारने  के लिए धन्यवाद किया।  प्रिंसिपल केएस आर्य ने कहा कि जस्टिस पीसी पंडित के निर्देशन में चंडीगढ़ के डीएवी संस्थाओं तथा आर्य समाजों को एक नई दिशा मिली है।  उन्होंने जस्टिस प्रेमचंद की प्रशंसा करते हुए कहा कि वे आदर्शवादी,सिद्धांतवादी तथा सत्यवादी थे और निडरता से अपनी बात को रखते थे।  वे  सत्य कहने में जरा भी  नहीं हिचकिचाते थे।  उन्होंने  आर्य समाज के प्रधान रविंद्र तलवाड़ के प्रयास की सराहना करते हुए कहा कि उनके मेहनत के कारण आज आर्य समाज सेक्टर 7 बी का बढ़िया भवन तैयार हुआ है।   डीएवी कॉलेज मैनेजिंग कमेटी एवं आर्य प्रादेशिक प्रतिनिधि सभा नई दिल्ली के प्रधान आर्य रत्न पद्मश्री डॉ पूनम सूरी  ने जस्टिस पीसी  पंडित मेमोरियल हॉल के उद्घाटन पर आर्य समाज सेक्टर-7 बी के सभी पदाधिकारियों को मुबारक दी। उन्होंने कहा कि जस्टिस पीसी  पंडित की याद में इस भवन का नामकरण उनके प्रति यह सच्ची श्रद्धांजलि है। उन्होंने कहा कि अब समय है कि जो  लोग आर्य समाज  में आएं वे देवता बनकर ही बाहर निकले। उन्होंने लोगों को सूर्य की तरह बनने की प्रेरणा देते हुए कहा कि सूर्य की तरफ देखो और उसके पीछे चलो।  सूर्य चमकता है।   वह अपना कार्य नित्य करता है।  सभी अन्य प्लेनेट्स सूर्य की रोशनी से ही चमकते हैं। सूर्य को दूसरों की रोशनी की जरूरत नहीं पड़ती है।  इसलिए अपनी चमक बनाने के लिए अंदर झांकना होगा। दूसरों की रोशनी से चमकने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हम शरीर की तंदुरुस्ती के लिए सब कुछ करते हैं लेकिन अपनी आत्मा के लिए कोई  प्रयास नहीं करते हैं।  उन्होंने कहा कि पैसा मृत्यु के बाद किसी और के पास चला जाता है।  शरीर का बजूद श्मशान घाट तक ही है।  रिश्तेदार कुछ ही समय के लिए याद रखते हैं जबकि आत्मा हमेशा साथ देती है।  उन्होंने कहा कि आत्मा को खुश रखने की जगह आर्य समाज है।  समस्या तो आती है।  उन्होंने शायरी अंदाज में कहा की मुश्किल आई तो क्या? मुश्किल कुशा तो है. सर पर पड़ी तो क्या? सर पर खुदा तो है. उन्होंने कहा कि अपने कार्य को पैशन  के साथ करना चाहिए। उन्होंने डीएवी  शिक्षण संस्थाओं की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार ने क्वालिटी एजुकेशन  को देखते हुए उन्हें  74 स्कूल सौंपें हैं।  बिहार में बाढ़ आने से काफी जान माल का नुकसान हुआ था जिसके लिए डीएवी शिक्षण संस्थाओं ने मुख्यमंत्री राहत कोष के लिए तीन करोड प्रदान किये थे।  उन्होंने बताया कि डीएवी के अध्यापकों तथा विद्यार्थियों ने बिहार के बाढ़ में किश्तियों में बैठकर लोगों तक सामान पहुंचाया था।  बिहार के 320 स्कूलों में  उनकी प्रबंधन कमेटी के अंतर्गत आने वाले स्कूल स्टूडेंट्स  को बेहतर शिक्षा प्रदान की जा रही है। उन्होंने कहा कि स्वच्छ भारत तभी होगा जब लोगों के हृदय स्वच्छ होंगे।   डीएवी कॉलेज मैनेजिंग कमेटी  के सलाहकार एचआर  गंधार ने अपने विचार रखते हुए कहा कि वैदिक संस्कृति  का अनुसरण करते हुए ही विकास की ओर उन्मुख हुआ जा सकता है।   कार्यक्रम की उपस्थिति से पूर्व आर्य समाज के प्रधान रविंद्र  तलवाड़ ने मुख्य अतिथि का पुष्पों से स्वागत किया। केबी डीएवी पब्लिक स्कूल के छात्रों ने भजन प्रस्तुत किया। इस मौके पर  भिन्न- भिन्न आर्य समाजों के  पदाधिकारी,  डीएवी शिक्षण संस्थाओं  के प्राचार्य और कई गणमान्य लोग उपस्थित  थे।

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