चंडीगढ़:-19 अगस्त: आर के विक्रम शर्मा+ करण शर्मा:– पश्चिमी बंगाल में हिंसा पर राजनीति क्षेत्र की दो कद्दावर महिला नेत्रियों के विरोधाभास देते बयानों का देशवासी खूब चटखारे लेकर गुफ्तगू में मशरूफ हैं। पश्चिम बंगाल में चुनावों के बाद उपजी हिंसा ने अपना तांडव नाचा। और भारतीय जनता पार्टी के नेताओं कार्यकर्ताओं पर वहां की अखबार की सुर्खियों के मुताबिक खूब जुल्म ढाए। और प्रदेश की मुख्यमंत्री दीदी ममता बनर्जी मुक दर्शक के सिवा इंसानियत के लिए कुछ भी भूमिका अदा कर पाने में नाकाम दिखाई दीं। इस हिंसा के साथ-सथ सामूहिक बलात्कारों की भी आंधी आई। और कोलकाता उच्चतम न्यायालय को सीबीआई से जांच कराने के आदेश देने के लिए मजबूर तक कर दिया। यहीं से अंदाजा लगाया जा सकता है तृणमूल कांग्रेस ने वहां किस तरह से मानवाधिकार का हनन किया। औरतों की इज्जत आबरू के जनाजे निकाले। और दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के संविधान को बखूबी पैरों तले रौंद डाला। कोलकाता हाईकोर्ट ने पश्चिमी बंगाल में चुनावों के बाद भड़की हिंसा और सरकार के मूकदर्शक बने रहने आदि मुद्दों से खिन्न होकर सीबीआई से जांच कराए जाने के आदेश दे दिए हैं। भारतीय जनता पार्टी की धाकड़ नेत्री जिसने टीवी पर्दे पर भी अपनी अदाकारी का लोहा मनवाया था। स्मृति ईरानी ने भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं को हौसला अफजाई करते हुए कहा कि जिन भी परिवारों ने अपने परिजन चुनाव के बाद के हिंसा में खोए हैं। उनको शत प्रतिशत न्याय जरूर मिलेगा। इस एक लाइन के वक्तव्य के साथ ही पश्चिम बंगाल के भारतीय जनता पार्टी के लाखों कार्यकर्ताओं में उत्साह विश्वास और अपनेपन की एक लहर सी जाग उठी है। दूसरी ओर पश्चिम बंगाल की महिला मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कोलकाता हाई कर्ट द्वारा जांच कराए जाने के आदेश से बुरी तरह नाखुश हुई हैं। और इसी के चलते टीएमसी के दिग्गज नेताओं ने संकेतों में इस आशय को बल दिया है कि पश्चिम बंगाल सरकार हाईकोर्ट के उक्त आदेश फैसले को सुप्रीम कोर्ट में जरूर चुनौती देगी।
आपको बता दें कि अगस्त महीने में ही पश्चिम बंगाल के एक भारतीय जनता पार्टी नेता की गूंगी बीवी के साथ टीएमसी के नेताओं ने और उनके कार्यकर्ताओं ने कुल 5 लोगों ने सामूहिक बलात्कार किया था। इस केस में पुलिस ने मामले की गंभीरता को समझते हुए पीड़िता का मेडिकल करवाया और 5 आरोपियों में से 3 को धर दबोचा है।