पंचकुला—14 अगस्त: यतिन शर्मा+अल्फा न्यूज इंडिया डेस्क:– भारत देश को भ्रष्टाचार की सुनामी लहर आजादी से लेकर अब तक देखा जाए तो दिमाग की तरह ज्यादा ही है ऊपर से नीचे तक व्यवस्था पंगु है न्याय करने वाले ही भ्रष्टाचारी के हमाम में तक तकरीबन तकरीबन सभी नंगे ही हैं और जो कुछ एक हमाम से बाहर हैं वह हिम्मत ही नहीं जुटा पाते हैं इन तमाम भ्रष्टाचारियों को नकेल डालने की और कभी भूले से निकल भी जाए यह खेल अज्ञात कारणों से कब और कैसे खुल जाती है यह देश आज तक नहीं जान पाया है।
जैसे कि हम सब जानते हैं कि हर वर्ष पंचकुला के सेक्टर 20 स्थित मार्किट में सेब की मार्किट लगाई जाती है । और हिमाचल , कश्मीर आदि दूर दराज से सेब के ट्रक भर कर आते हैं । और यहाँ पर चल रही घपले बाजी का तब पता चला जब रात को उच्च अधिकारियों द्वारा बीती रात यहां पर चेकिंग की गई कि किस तरह से प्रतिदिन सचिव मार्केट कमेटी पंचकुला द्वारा लगाया जा रहां मार्किट फ़ीस व एच . आर.डी .एफ का लाखों का चुना। मॉत्र 12 घंटे में ही 1,00,000 पेटी चेकिंग टीम द्वारा रिकोर्ड की गयी। जबकि आज से पहले 10000-15000 पेटी ही करवाई जाती थी ।
80,000 पेटी की चोरी प्रतिदिन मिलीभगत से करवाई जा रही थी । 80,000 पेटी कम से कम 1000 रुपये के हिसाब से लगाओ तो आठ करोड़ करोड़ बनते है ।(जबकि रेट प्रति पेटी 2700-2800 तक भी रहां)। जिसकी मासिक फीस 8,00,000 व एच. आर. डी .एफ 8,00,000 रुपये प्रतिदिन बनती थी। परंतु सचिव द्वारा प्रतिदिन इसको चोरी करवा कर 5,00,000 रुपये अपनी जेब में भर रहा था। बहुत बड़ा घोटाला टीम द्वारा पकड़ा गया है। कोई भी अब से पहले गेट रिकॉर्डिंग नहीं करवाई गयी थी । जिसकी एंट्री की जानकारी सरासर सचिव अधिकारीयो को गुमराह कर दे रहा था । सचिव खुले आम बड़े अधिकारीयो से बताता है अपनी साँठगाँठ ओर कहता है कि कितनी भी चोरी करो। ऊपर तक है मेरी सेट्टिंग ।इतना बड़ा घोटाला होने के बाद भी क्या अब उच्च अधिकारी सचिव के खिलाफ कोई कार्यवाही करेगें। और इस घोटाले में कितने ओर उच्च अधिकारी इस घोटाले में शामिल हैं। उनके खिलाफ कोई कार्यवाही करेगें । या हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी यह घोटाला बन्द किताबों में दब जाएगा । जब इस विषय पर अधिकारियों से सम्पर्क कर जानकारी लेने की कोशिश की गई पर किसी भी अधिकारी ने फोन नही उठाया ।
दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र मुल्क आज अपनी 75वीं स्वतंत्रता वर्षगांठ मना रहा है। और विकास की बड़ी-बड़ी योजनाएं जनहित में लागू की जा रही हैं। यहां कितनी सच्चाई है यह सब ये अफसर साबित करने से कभी नहीं चूकते हैं। और बदनाम सरकार हो जाती है। क्या सरकार इन मगरमच्छों पर कभी नकेल कसेगी। और अपनी छवि को धूमिल होने से बचाएगी। इस सवाल का जवाब ही अपने आप में किसी घपले घोटाले से कम नहीं होगा। यह पब्लिक सब जानती है।