देश के पहले राष्ट्रपति की मौत का सच पढ़ेगें तो चौक जाएंगे

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चंडीगढ़:- 19 जुलाई: अल्फा न्यूज़ इंडिया डेस्क प्रस्तुति:—*सोमनाथ मंदिर के लिए डा. राजेंद्र प्रसाद व सरदार पटेल को बड़ी कीमत चुकानी पड़ी*

 

*ये जगजाहिर है कि जवाहर लाल नेहरू सोमनाथ मंदिर के पक्ष में नहीं थे*

 

*महात्मा गांधी जी की सहमति से सरदार पटेल ने सोमनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण का काम शुरु किया था.*

 

*पटेल की मौत के बाद मंदिर की जिम्मेदारी के एम मुंशी पर आ गई.*

 

*मुंशी नेहरू की कैबिनेट के मंत्री थे.*

 

*गांधी और पटेल की मौत के बाद नेहरू का विरोध और तीखा होने लगा था.*

 

*एक मीटिंग में तो उन्होंने मुंशी की फटकार भी लगाई थी.*

*उन पर हिंदू-रिवाइवलिज्म और हिंदुत्व को हवा देने का आरोप भी लगा दिया.*

 

*लेकिन, मुंशी ने साफ साफ कह दिया था कि सरदार पटेल के काम को अधूरा नहीं छोड़ेगे.*

 

*के एम मुंशी भी गुजराती थे इसलिए उन्होंने सोमनाथ मंदिर बनवा के ही दम लिया.*

 

*फिर उन्होंने मंदिर के उद्घाटन के लिए देश के पहले राष्ट्रपति डा. राजेंद्र प्रसाद को न्यौता दे दिया.*

 

*उन्होंने इस न्यौते को बड़े गर्व से स्वीकार किया लेकिन जब जवाहर लाल नेहरू की इसका पता चला तो वे नाराज हो गए.*

*उन्होंने पत्र लिख कर डा. राजेंद्र प्रसाद को सोमनाथ जाने से मना कर दिया.*

 

*राजेंद्र बाबू भी तन गए.*

 

*नेहरू की बातों को दरकिनार कर वो सोमनाथ गए और जबरदस्त भाषण दिया था.*

 

*जवाहर लाल नेहरू को इससे जबरदस्त झटका लगा.*

*उनके इगो को ठेंस पहुंची.*

*उन्होंने इसे अपनी हार मान ली.*

 

*डा. राजेंद्र प्रसाद को सोमनाथ जाना बड़ा महंगा पड़ा क्योंकि इसके बाद नेहरू ने जो इनके साथ सलूक किया वो हैरान करने वाला है.*

 

*सोमनाथ मंदिर की वजह से डा. राजेंद्र प्रसाद और जवाहर लाल नेहरू के रिश्ते में इतनी कड़वाहट आ गई कि जब राजेंद्र बाबू राष्ट्रपति पद से मुक्त हुए तो नेहरू ने उन्हें दिल्ली में घर तक नहीं दिया.*

*राजेंद्र बाबू दिल्ली में रह कर किताबें लिखना चाहते थे.* *लेकिन, नेहरू ने उनके साथ अन्याय किया.*

*एक पूर्व राष्ट्रपति को सम्मान मिलना चाहिए, उनका जो अधिकार था उससे उन्हें वंचित कर दिया गया.*

*आखिरकार, डा. राजेंद्र प्रसाद को पटना लौटना पड़ा.*

*पटना में भी उनके पास अपना मकान नहीं था.* *पैसे नहीं थे.*

*नेहरू ने पटना में भी उन्हें कोई घर नहीं दिया जबकि वहां सरकारी बंगलो और घरों की भरमार है.*

*डा. राजेंद्र प्रसाद आखिरकार पटना के सदाकत आश्रम के एक सीलन भरे कमरे में रहने लगे.*

*न कोई देखभाल करने वाला और न ही डाक्टर.*

*उनकी तबीयत खराब होने लगी. उन्हें दमा की बीमारी ने जकड़ लिया.*

*दिन भर वो खांसते रहते थे. अब एक पूर्व राष्ट्रपति की ये भी तो दुविधा होती है कि वो मदद के लिए गिरगिरा भी नहीं सकता.*

*लेकिन, राजेंद्र बाबू के पटना आने के बाद नेहरू ने कभी ये सुध लेने की कोशिश भी नहीं कि देश का पहला राष्ट्रपति किस हाल में जी रहा है*

*इतना ही नहीं, जब डा. राजेंद्र प्रसाद की तबीयत खराब रहने लगी, तब भी किसी ने ये जहमत नहीं उठाई कि उनका अच्छा इलाज करा सके.*

*बिहार में उस दौरान कांग्रेस पार्टी की सरकार थी. आखिर तक डा. राजेन्द्र बाबू को अच्छी स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिलीं.* *उनके साथ बेहद बेरुखी वाला व्यवहार होता रहा.* *मानो ये किसी के निर्देश पर हो रहा हो. उन्हें कफ की खासी शिकायत रहती थी.*

*उनकी कफ की शिकायत को दूर करने के लिए पटना मेडिकल कालेज में एक मशीन थी.* *उसे भी दिल्ली भेज दिया गया.*

*यानी राजेन्द्र बाबू को मारने का पूरा और पुख्ता इंतजाम किया गया.*

*एक बार जय प्रकाश नारायण उनसे मिलने सदाकत आश्रम पहुंचे.*

*वो देखना चाहते थे कि देश पहले राष्ट्रपति और संविधान सभा के अध्यक्ष आखिर रहते कैसे हैं.*

*जेपी ने जब उनकी हालत देखी तो उनका दिमाग सन्न रह गया.* *आंखें नम हो गईं.*

*उन्हें समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर वो क्या कहें.*

*जेपी ने फौरन अपने सहयोगियों से कहकर रहने लायक बनवाया.*

*लेकिन, उसी कमरे में रहते हुए राजेन्द्र बाबू की 28 फरवरी,1963 को मौत हो गई.*

*डा. राजेंद्र प्रसाद की मौत के बाद भी नेहरू का कलेजा नहीं पसीजा.*

*उनकी बेरुखी खत्म नहीं हुई.*

*नेहरू ने उनकी अंत्येष्टि में शामिल तक नहीं हुए.* *जिस दिन उनकी आखरी यात्रा थी उस दिन नेहरू जयपुर चले गए.* *इतना ही नहीं, राजस्थान के राज्यपाल डां. संपूर्णानंद पटना जाना चाह रहे थे* *लेकिन नेहरू ने उन्हें वहां जाने से मना कर दिया.*

*जब नेहरु को मालूम चला कि संपूर्णानंद जी पटना जाना चाहते हैं तो उन्होंने संपूर्णानंद से कहा* *कि ये कैसे मुमकिन है कि देश का प्रधानमंत्री किसी राज्य में आए और उसका राज्यपाल वहां से गायब हो.*

*इसके बाद डा. संपूर्णानंद ने अपना पटना जाने का कार्यक्रम रद्द किया.*

*यही नहीं, नेहरु ने राजेन्द्र बाबू के उतराधिकारी डा. एस. राधाकृष्णन को भी पटना न जाने की सलाह दी.* *लेकिन, राधाकृष्णन ने नेहरू की बात नहीं मानी और वो राजेन्द्र बाबू के अंतिम संस्कार में भाग लेने पटना पहुंचे.*

*जब भी दिल्ली के राजघाट से गुजरता हूं तो डा. राजेंद्र प्रसाद के साथ नेहरू के रवैये को याद करता हूं.*

*अजीब देश है, महात्मा गांधी के बगल में* *संजय गांधी* *को जगह मिल सकती है*

*लेकिन देश के पहले राष्ट्रपति के लिए इस देश में कोई इज्जत ही नहीं है.*

*सोमनाथ मंदिर के पक्ष में होनें के कारण सरदार बल्लभ भाई पटेल को भी कांग्रेसियों ने कोई सम्मान आज तक नहीं दिया,*. *जबकि मस्जिद क प्रेमियों को बडे बडे मंत्रालय दिये गए ၊*

*पूरे देश में बस गांधी परिवार के नाम पर ही स्मारक और योजनाएं बनाई गई,*

*ऐसा लगता है कि इस देश में महानता और बलिदान की कॉपी राइट सिर्फ नेहरू-गांधी परिवार के पास है.*

 

*सच ईश्वर है**सच का साथ देना ही ईश्वर भक्ति है*

*आप कौन हैं,*यह आपके कर्म ही तय करेंगें*

*आप स्वयं नहीं ၊*

 

साभार

*डा० पवन त्यागी***साहिबाबाद* 99683 04099*

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