भक्त समर्पण भावना से सेवा करता है -निरंकारी सद्गुरु माता जी

Loading

चण्डीगढ :  15 जनवरी : आरके शर्मा विक्रमा /एनके धीमान :—–  भक्ति उन्हीं की सफल होती है, ‘जो बिना कोई किंतु या परंतु किए‘ गुरू के हर वचन को मानते हैं।केवल सेवा करना ही उनके जीवन का मकसद होता है। भक्त कितना भी परिपूर्ण हो, वो हमेशा एक स्कूल के विद्यार्थी की तरह सीखनेकी भावना रखता है।

चण्डीगढ ब्रांच के संयोजक श्री नवनीत पाठक जी ने बताया कि यह उद्गार सद्गुरू माता सविंदर हरदेव जी महाराज ने समालखा स्थितनिरंकारी आध्यात्मिक परिसर में आयोजित ‘भक्ति पर्व‘ समागम में पहुंचे लाखों श्रद्वालुओं को संबोधन करते हुए कहे। उन्होंने कहा किभक्त में समर्पण भाव तभी आता है, जब भक्त निरंकार का आधार लेता है।
सद्गुरु माता जी कहा कि जिसमें दूसरों को सिखाने की प्रवृति अधिक होती है, उसके पास स्वयं सीखने का समय कम होता है। इसलिएहमें केवल बोलने तक सीमित नहीं रहकर, उन गुणों को अपने कर्मों में अपनाना चाहिए। आज जरूरत स्वयं में ‘कान्फीडैंस‘ लाने कीनही, बल्कि ‘गॉडफीडैंस‘ लाने की है।
सद्गुरू माता जी ने  आगे कहा कि निरंकारी आध्यात्मिक परिसर की योजना स्वयं बाबा हरदेव सिंह जी ने बनाई थी। बेशक अंग्रेजीभाषा में आज इस स्थान पर हुई शुरूआत को ग्राउंड ब्रेकिंग कहा जाएगा परंतु संतो ंके नजरिए से आध्यात्मिक जगत के प्रारूप कीशुरूआत है। आज जिस स्थान पर हम बैठे हैं इसका नाम ‘समालखा‘ है जो संभालने का संदेश देता है, जिसका भाव सद्गुरू की शिक्षाओंको संभाल कर रखना है। उन्होंने पुरातन महात्मा पापा रामचंद जी, संत लाभ सिंह जी, संत संतोख सिंह जी के मिशन को दिए योगदान व अन्थक सेवाओं कोयाद करते हुए कहा कि आज मिशन जिस मुकाम पर पहुंचा है, उसमें अनेकों गणमान्य संतों महात्माओं का सहयोग रहा है। भक्ति पर्वउन सबकी शिक्षाओं व सेवाओं को समर्पित दिवस है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

132273

+

Visitors