दैहिक बीमारियों की जड़ उदर त्रुटि नहीं, बल्कि मस्तिस्क असंतुष्ट सोच विचार ही हैं:- डॉक्टर अरुण कपिला

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चंडीगढ़ 26 जून अल्फा न्यूज़ इंडिया डेस्क प्रस्तुति:—बीमारियों की जड़ उदर त्रुटि नहीं मस्तिष्क है। लोग बाग मानते हैं कि शरीर की बीमारियों की जड़ पेट से संबंधित है। लेकिन हजारों साल पहले लिखे गए आयुष ग्रंथ उपचार चिकित्सा ग्रंथ नाना प्रकार के ग्रंथ बताते हैं कि उदर तृप्ति से रोग शरीर में फैलते हैं। देह में ही  उन में वृद्धि होती है। लेकिन वास्तव में इन रोगों का मूल हमारा दिमाग ही है। यह शरीर की बीमारियों के उठने संबंधी बुनियादी जानकारी अल्फा न्यूज़ इंडिया के माध्यम से डॉ अरुण कपिला आयुर्वेदिक  डिस्पेंसरी गांव मौली जागरां और आयुष डिस्पेंसरी सेक्टर 45 ने जन कल्याण हेतु मुहैया करवाई है।

*जापानी प्रोफेसर ने आश्चर्यजनक शोध किया।*

1. *अम्लता* न केवल आहार त्रुटियों के कारण होती है, बल्कि *तनाव* के कारण अधिक प्रभुत्व होती है।

2. *उच्च रक्तचाप* न केवल नमकीन खाद्य पदार्थों की बहुत अधिक खपत के कारण होता है, बल्कि मुख्य रूप से *भावनाओं के प्रबंधन* में त्रुटियों के कारण होता है।

3. *कोलेस्ट्रॉल* न केवल फैटी खाद्य पदार्थों के कारण होता है, बल्कि *अत्यधिक आलस्य* अधिक जिम्मेदार होता है।

4. *अस्थमा* न केवल फेफड़ों के लिए ऑक्सीजन की आपूर्ति में व्यवधान की वजह से, बल्कि अक्सर *उदास भावनाएं* फेफड़ों को अस्थिर बनाती हैं।

5. *मधुमेह* न केवल ग्लूकोज की अधिक खपत के कारण, बल्कि अति विचार और *जिद्दी रवैया* पैनक्रिया के कार्य को बाधित करता है।

किसी भी बीमारी का सही कारण हैं:
*वैचारिक* 50%
*मानसिक तनाव* 25%
*सामाजिक* 15%

*शारीरिक* 10%

अगर हम स्वस्थ होना चाहते हैं, तो हमें अपने दिमाग के विचारों को ठीक करने की जरूरत है *।🙏

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