जीरकपुर/मुबारकपुर: 24 जून आरके विक्रमा शर्मा/ एन के धीमान:- कोरोनावायरस गंदगी से पनपने वाला अधिक प्रचलित और पसरने वाला वायरस है! तभी तो पूरी दुनिया में मास्क पहनना बार-बार हाथों को साबुन से धोना और हाथों को सैनिटाइज करना वातावरण को सैनिटाइज करना घरों को अस्पतालों को स्कूलों को हर भवन को सैनिटाइज करना अनिवार्य किया गया है! सफाई से ही इस वायरस का खात्मा हो सकता है! लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण मुबारकपुर में ऐसा कुछ भी कायदा कानून और सरकारी दिशा निर्देश लागू नहीं होते हैं।मिशन ऑक हॉस्पिटल के सामने डाला जा रहा काफी समय से कूड़ा इस बात को बखूबी पुख्ता कर रहा है। मुबारकपुर के मिशन ऑक हॉस्पिटल का स्टाफ और मरीज तीमारदार डॉक्टर्स सब नरकीय वातावरण में रहने को विवश हैं। यह अव्यवस्था नगर निगम और संबंधित विभागों के अधिकारियों की कुंभकरणी की नींद के कारण है।
कई बार नगर निगम के संबंधित ऑफिसर्स को लिखित शिकायतें भी दी गई हैं। लेकिन अज्ञात कारणों से एक बुनियादी समस्या का समाधान नहीं होना अपने आप में शर्मनाक बात है। कूड़े का ढेर हटाने की बजाए डस्टबिन को पक्का करने के पीछे किस की शह है। यह भी जांच का विषय है। आवारा मवेशी जो हॉस्पिटल के मेन गेट के आगे गंदगी फैलाते गंदगी फरोलते और यही विचरते दुर्घटनाओं को बुलावा देते देखे जा सकते हैं।
मिशन ऑक हॉस्पिटल के अधिकारियों व डॉ स्नेह आदि अनेकों बार लिखती शिकायत संबंधित विभागों तक पहुंचाई हैं। लेकिन किसी के कान पर कोई जूं तक नहीं रेंगी है। स्थानीय समाज सुधारकों और अनेकों नेताओ को सफाई सिर्फ चुनावी वादों और कागजों में चाहिए होती है । वास्तविकता की धरातल पर उन्हें परेशान जनता की कोई परवाह नहीं रहती है।
सफाई अभियान की जगह गंदगी फैलाओ अभियान ही ज्यादा मुखर होता है। हर तरफ गंदगी के ढेर हैं। नगर निगम के पास सफाई कर्मचारी कूड़ा उठाने वाली गाड़ियां आगे कूड़ा ले जाकर डंप करने के डंपिंग ग्राउंड सब कुछ होने के बावजूद सफाई के नाम पर सरकार के पास कोई भी ठोस उदाहरण नहीं है। गर्मियों के दिनों में गंदगी कूड़ा डाला जाता है तो उससे दमघोंटू गैस से और प्रदूषित हवाएं वातावरण को जहरीला बनाती हैं। हैरत की बात कि कूड़ा वहां डाला जा रहा है वो भी शहर के अनेकों भागों में, जहां आसपास इंसानों के रहने की मकान है बस्तियां हैं। लेकिन इस और स्वास्थ्य मंत्री से लेकर नगर निगम कमिश्नर विपक्ष के नेता समाजसेवी संस्थाएं किसी का भी कोई ध्यान नहीं जाता है यह ध्यान सिर्फ चुनावी दंगल शुरू होने के टाइम पर ही गरजते सुनाई देते हैं।