मनरेगा मजदूरों का मानसिक शारीरिक आर्थिक शोषण पूर्णतया करें बंद, मजदूर एकता को बिगड़ने पर करें ना मजबूर

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चंडीगढ़/चीका:04 जून— (अल्फा न्यूज इंडिया डेस्क):– गुहला ब्लॉक के बेरोजगारी की मार झेल रहे गांव सदरेड़ी और महमूदपुर के मनरेगा मजदूरों को बड़ी मुश्किल से काम मिला है . मजदूरों ने 30 दिन का काम मांगा था मगर उन्हें केवल 6 दिन का ही काम दिया गया है. उन्हें कर्मगढ़ रज़बाहे की सफाई का काम जिस जगह दिया गया है, वह जगह भारी प्रदूषित है. मरे हुए कुत्ते सड़ रहे हैं. पास की बस्ती का शौचालय का गंदा पानी तथा और भी खतरनाक चीजें वहां पड़ी हैं. बदबू इतनी कि सांस लेना मुश्किल है. बदबू के कारण कल भी सदरेड़ी गाँव के कई मनरेगा मजदूरों को उलटियां लगी थी और आज फिर महमूदपुर के गाँव के मनरेगा मजदूरों को बदबू के कारण उलटियां लगी हैं. खेद की बात है कि मौके पर फर्स्ट एड की भी कोई व्यवस्था नहीं है. गाँव महमूदपुर की मनरेगा मजदूर बलविंदर कौर, कुलविंदर कौर, मुखत्यार कौर, गुरमीत कौर का आज उलटियां लगने से बुरा हाल हो गया था. पास के डाक्टर से दवाई ली है. मजदूरों ने अपनी समस्या ब्लॉक गुहला के मनरेगा अफसरों को भी बताई है कि यह कार्यस्थल बेहद प्रदूषित है. यहाँ काम करने से सभी मजदूर बीमार हो जाएंगे मगर ब्लॉक कार्यालय के लोगों ने मात्र इतना कहा कि हमारे पास यही काम है तुम थोड़ा आगे पीछे काम कर लो. आगे पंजाब का एरिया पड़ता है. क्या करें? भूखा पेट तो रोटी मांगता है न. मजदूर बदबू के हालात में भी काम करने को मजबूर हैं. मनरेगा मजदूरों ने आज मनरेगा मजदूर यूनियन के महासचिव कामरेड सोमनाथ को अपनी यह सब व्यथा सुनाई. मनरेगा मजदूर यूनियन ने ब्लॉक गुहला के एबीपीओ के नोटिस में यह समस्या दी है और प्रदूषित जगह पर मजदूरों को काम दिये जाने के लिए बीडीपीओ दफ्तर गुहला के प्रति विरोध प्रकट किया है. कैथल जिले के गाँव दयोरा के दो और क्योड़क गाँव की दो महिला मनरेगा मजदूरों के साथ पहले भी साल 2019 में ऐसी ही प्रदूषित जगह पर मनरेगा काम दिये जाने से दुर्घटना हो गयी थी. उन्हें भी प्रदूषित जगह पर काम दिया गया था और चार महिला मजदूर बीमारी की चपेट में आकर मौत का ग्रास बन गयी थीं. खट्टर सरकार व मनरेगा अधिकारी उस दर्दनाक घटना से सबक लेने की बजाय अब भी मजदूरों के साथ ज्यादती करते जा रहे हैं. अब सवाल है कि क्या इस प्रदूषित काम को छोड़कर और कोई काम नहीं था. काम तो हैं मगर इन गाँव के मजदूरों ने मनरेगा कानून में दिये गये प्रावधानों के अनुसार काम मांगने की हिम्मत जो की है इसीलिए मजदूरों को सबक सिखाने के लिए ऐसी गंदी जगह पर काम दिया गया है. महमूदपुर के मजदूरों ने बताया कि हम सभी मजदूरों के जाबकार्ड बने हुए हैं और हमने काम की मांग की थी. एक महिला मनरेगा मजदूर सुखविंदर कौर ने कहा कि बीडीपीओ दफ्तर गुहला ने इस काम के लिए हम करीब 50 मजदूरों का मस्टर रोल निकाला हुआ है और हम काम कर रहे हैं. अब हमें बीडीपीओ दफ्तर के एक कर्मचारी जो मस्टर रोल निकालते हैं, कह रहा है कि 8/9 मजदूरों की हाजरी नहीं लगेगी क्योंकि तुम्हारे बैंक खाते से जोड़कर कन्सेंट फार्म नहीं भरा है और आधार से लिंक नहीं है. मजदूर बता रहे हैं कि हमने कन्सेंट फार्म समेत सारे दस्तावेज बीडीपीओ दफ्तर में जमा करवाये हुए हैं. आनलाइन करना, आधार से लिंक करना तो दफ्तर का काम है. यदि हमारे दस्तावेज पूरे नहीं थे तो मस्टर रोल में हमारा नाम कैसे आ गया? मजदूर कह रहे हैं कि दफ्तर के लोग हमें जानबूझकर परेशान कर रहे हैं.
मनरेगा मजदूर यूनियन मांग करती है कि मनरेगा मजदूरों को परेशान करना बंद किया जाए।  तुरंत प्रभाव से इन गाँवों के मनरेगा मजदूरों की सेहत की रक्षा हेतु उन्हें साफ जगह पर काम दिया जाए. प्रदूषित जगह पर काम करने के लिए सुरक्षा उपकरण दिए जाएं और कार्यस्थल पर फर्स्ट एड की व्यवस्था की जाए. महमूदपुर गाँव के सभी मजदूर जिनके मस्टर रोल में नाम हैं और जो अब काम कर रहे हैं उनकी हाजरी लगवाना सुनिश्चित किया जाए और उनके आधार आदि तमाम सूचनाएं तुरंत उनके जाबकार्ड से लिंक की जाएं।
अल्फा न्यूज़ इंडिया को कामरेड सोमनाथ महासचिव
मनरेगा मजदूर यूनियन-1943, मो. 98968-30442 ने जानकारी देते हुए बताया कि हैरत की बात है कि खट्टर सरकार इनकी चिर लंबित और बुनियादी मांगों की ओर जरा भी ध्यान नहीं दे रही है।। और खुद को समाज के इन वर्गों की हितेषी सीना ठोक कर बताने से गुरेज नहीं बरत रही है। कामरेड सोमनाथ शर्मा ने सरकार को चेताया है कि मनरेगा के मजदूर लोगों को सरकारी तंत्र द्वारा सताया जाना उनका शोषण किया जाना और उनके साथ भेदभाव और पेपर भाई का दुर्व्यवहार करना बंद किया जाए नहीं तो भविष्य की रणनीति सख्ती से अमल में लाई जाएगी।

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