योग तृप्त सूक्ष्म शरीरों की स्थली शंगरी ला घाटी ज्योतिष आचार्य पंडित कृष्ण मेहता की जुबानी

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चंडीगढ़: 20 जून: आरके विक्रमा शर्मा+करण शर्मा:- परमपिता परमेश्वर की रचना धरती कुतूहल का पर्याय है कण-कण में भगवान की लीलाएं दृष्टिगोचर होती हैं। कण कण भेदों और रहस्य से भरा हुआ है। हर रहस्य हर कोतुहल शून्य से परे है। इन्हीं में से एक कण शंगरी ला घाटी का संजीदा चित्रण संकेतिक बिंदु के माध्यम से ज्योतिषाचार्य पंडित कृष्ण मेहता की जुबानी  अल्फा न्यूज़ इंडिया के माध्यम से सुधि पाठकों के लिए प्रस्तुत किया जा रहा है।

*शंगरी ला घाटी का रहस्य*
*क्या आप जानते हैं भारत की इस रहस्यमयी जगह के बारे में*?

आज हम एक ऐसी जगह के बारे में बात करेंगे जहाँ हर चीज गायब हो जाती है। वैसे तो दुनिया में कई ऐसे स्थान है जहाँ वायु शुन्य है मतलब हवा है ही नहीं हमारे देश में भी एक ऐसा स्थान है जहाँ न सिर्फ हवा शुन्य है बल्कि जो भू हीनता के प्रभाव क्षेत्र में आता है।
यहाँ एक बात जान लेते हैं की भू हीनता के प्रभाव क्षेत्र में आने वाले स्थान धरती के वायुमंडल के चौथे आयाम से प्रभावित होते हैं इसलिए ये इस तरह के स्थान बन जाते हैं जो की तीसरी आयाम वाली धरती की किसी भी वस्तु से संपर्क तोड़ देते हैं, यानी कोई भी इन्सान अगर किसी ऐसी जगह के संपर्क में जाता है तो वह पृथ्वी से गायब हो जाता है चौथे आयाम के बारे में आगे पढ़े।
शंगरीला घाटी ऐसी ही एक जगह है जहाँ कोई वस्तु उसके संपर्क में आने पर गायब हो जाती है। यह घाटी तिब्बत और अरुणांचल प्रदेश की सीमा पर स्थित है यदि आप इस स्थान को देखना चाहते हैं तो इसे आप बिना किसी तकनीक के नहीं देख सकते यह घाटी चौथे आयाम (Fourth dimension) से प्रभावित होने के कारण रहस्यमयी बनी हुई है।
बहुत से लोगो यह भी कहते हैं की इस जगह का संपर्क अंतरिक्ष में किसी दूसरी दुनिया से भी है यदि आप इस घाटी के बारे में और अधिक जानना चाहते हैं तो आपको एक प्राचीन किताब काल विज्ञान पढनी होगी यह किताब आज भी तिब्बत के तवांग मठ के पुस्तकालय में मौजूद है और यह तिब्बती भाषा में लिखी गयी है।

इस किताब में लिखा है कि इस तीन आयाम वाली (third dimension) की दुनिया की हर वस्तु देश, समय और नियति में बंधी हुई है यानी हर वस्तु एक निश्चित स्थान, समय और नियमो के हिसाब से काम करती है लेकिन शंगरी ला घाटी में समय नगण्य है यानी वहां समय ना के बराबर है हम इसे सरल शब्दों में ऐसे समझ सकते हैं की हमारे यहाँ के सैकड़ो साल और वह का एक second।
शंगरी ला घाटी में प्राण,मन और विचारो की शक्ति एक विशिष्ट सीमा तक बढ़ जाती है अगर इस धरती पर आध्यात्मिक नियंत्रण केंद्र है तो वह शंगरी ला घाटी ही है अगर इस शंगरी ला घाटी में कोई वस्तु या प्राणी अनजाने में चला जाता है तो third dimension वाले इस जगत की दृष्टि में उसकी सत्ता गायब हो जाती है।
सरल शब्दों में कहे तो जब तक वह वहां से वापस आयेगा तब तक यहाँ न जाने कितनी सदियाँ बीत गयी होंगी लेकिन शंगरी ला घाटी मे उसका अस्तित्व बना रहता है और यह निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता की भविष्य में कब उसका अस्तित्व प्रकट हो या न हो यानी कि वहाँ जाने के बाद वह वापस आयेगा या नहीं कुछ कहा नहीं जा सकता क्योंकि जब तक वह वापस आयेगा तब तक यहाँ सदिया बीत चुकी होंगी।
शंगरी ला घाटी में जाने के बाद किसी इन्सान की आयु बहुत धीमी गति से बढती है मान लीजिये किसी इंसान ने इस घाटी में 20 साल की उम्र में प्रवेश किया तो उसका शरीर लम्बे समय तक जवान ही बना रहेगा शंगरी ला एक आम इंसान के लिए अनजान जगह हो सकती है।
लेकिन उच्च स्तरीय अध्यात्मिक क्षेत्र से जुड़ा व्यक्ति इस जगह से अनजान नहीं रह सकता‌। फिर वह व्यक्ति चाहे योग से या तंत्र से या किसी अन्य तरह के आध्यात्म क्षेत्र से जुड़ा हो। हाँ, लेकिन उस इंसान की साधना उच्च अवश्य होनी चाहिए।
शंगरी ला घाटी सिर्फ भारत का ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के आध्यात्म जगत का नियंत्रण और पथ प्रदर्शक क्षेत्र है। साथ ही इसको आम इंसान की दृष्टि से देखा भी नहीं जा सकता। जब तक वहां रहने वाले सिद्ध न चाहें। तब तक इस घाटी को न तो कोई देख सकता है और न ही वहां जा सकता है। जो लोग इस घाटी से परिचित हैं।
उनका कहना है कि प्रसिद्ध योगी श्यामाचरण लाहिड़ी के गुरु अवतारी बाबा, जिन्होंने आदि शंकराचार्य को भी दीक्षा दी थी। शंगरी ला घाटी के किसी सिद्ध आश्रम में अभी भी निवास कर रहे हैं। जो कभी आकाश मार्ग से चलकर अपने शिष्यों को दर्शन भी देते हैं ।
यहाँ पर तीन साधना के केंद्र प्रसिद्ध हैं।
ज्ञान गंज मठ, सिद्ध विज्ञान आश्रम, योग सिद्ध आश्रम।
इन तीनो साधना केंद्रों पर आपको ऐसे अनेक योगी मिल जायेंगे। जो जन्म मृत्यु के अधीन नहीं हैं। ऐसी बहुत सी घटनाएं हैं। जो यह साबित करती हैं कि मरने के बाद सब कुछ समाप्त नहीं होता। बल्कि किसी न किसी रूप में अस्तित्व बचा रहता है। इसे योग की भाषा में सूक्ष्म शरीर कहा जाता है।
मृत्यु के पश्चात आत्मा सूक्ष्म शरीर में वास करती है सामान्यतः यह सूक्ष्म शरीर अल्प विकसित होते हैं व अधिक कुछ कर पाने में असमर्थ होते हैं।
योगी लोग अपने जीवित रहते सूक्ष्म शरीर को विकसित कर लेते हैं। जिससे यह बहुत कुछ करने में समर्थ हो जाते हैं। यहाँ की दुर्गम पर्वत श्रृंखला में ऐसी ही सूक्ष्म शरीरधारी आत्माओं का निवास स्थान है। जो अपने स्थूल शरीर को छोड़कर सूक्ष्म शरीर में विद्यमान हैं। यह अपने सूक्ष्म शरीर से विचरण करते हैं। लेकिन कभी कभी स्थूल शरीर भी धारण कर लेते हैं।
भारत की रहस्यमयी घटनाओं के बारे में भारतीय योगी साधकों का क्या कहना है। शंगरी ला घाटी में प्रवेश करने वाले एक योगी साधक के अनुभव के अनुसार उस स्थान पर न तो सूरज की रौशनी है। और न चाँद की चांदनी। वातावरण में एक दूधिया प्रकाश फैला हुआ है।
कहां से आ रहा है, इसका कुछ पता नहीं है। यह घाटी एक महान योगी की इच्छाशक्ति की वशीभूत है। इस घाटी के बारे में कहा जाता है कि यहाँ कोई सामान्य साधक जा नहीं सकता। और उच्च साधक भी अपनी इच्छा से इसे नहीं देख सकता।
समय समय पर कई पर्यटकों, सैनिकों, खोजकर्ताओं और लेखकों ने अपने लेखों के द्वारा इस जगह के बारे में लिखा है। उन लोगो के अनुसार यह एक ऐसी दुनिया है जो रहस्य जादू और रोमांच से भरपूर है। कई सारी किदवंतिया इस जगह के बारे में प्रचलित हैं। मगर इस जगह को पूरी तरह से समझने में हर इंसान नाकाम है।
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