टीका कोई भी हो टीकाकरण करवाएं स्वस्थ दीर्घायु पायें:- डॉक्टर जेपी बंसल

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चंडीगढ़ :-25 मई :-अल्फा न्यूज़ इंडिया डेस्क:— जो कभी चीख चीख कर कोरोनावायरस कोई वैश्विक महामारी नहीं है! यह सब सरकार की षड्यंत्रों की बुनियाद पर खड़े शगुफे से हैं। आज वही लोग पलटी मार चुके हैं। पिछले साल खूब शोर मचा रहे थे कि कोरोनावायरस की कोई वैक्सीन हो ही नहीं सकती है। और जब इसकी वैक्सीन आई। तो उसका खूब दुष्प्रचार किया। और मौका लगते ही खुद जाकर अपना वैक्सीनेशन करवाया। गरीब अनपढ़ आवाम को अंधेरे में धकेल दिया कि यह वैक्सीन जानलेवा सिद्ध हो रही है। लकवा मार जा रहा है। शरीर का कोई न कोई अंग काम करना बंद कर दे रहा है। इसलिए ये वैक्सीनेशन  का इस देश में विरोध हुआ। यह श्लोगन आम सुनाई देते रहे हैं। आज हालात यह हैं कि लोग दौड़ दौड़ कर वैक्सीनेशन करवाना चाहते हैं। और सेंटरों पर डोज चाहे पहली या दूसरी बिल्कुल खत्म है।। सिविल डिस्पेंसरी सेक्टर 11 के मेडिसन के डॉक्टर जेपी बंसल ने लोगों अफवाहों पर ध्यान ना देने की बात कही है। और कहा कि समय पर सभी रजिस्ट्रेशन करवा कर अपना अपना वैक्सीनेशन पूरा करवाएं। और अपने आप को इस महामारी और जो दूसरी महामारी पसरने  वाली हैं। उनसे निपटने का भी पूरा इंतजाम कर लें। यह आप सबके लिए एक रक्षा कवच है। सरकारी हेल्थ डिपार्टमेंट से जारी तमाम दिशा निर्देशों और हिदायत ओं का ईमानदारी से पालन करें।।।

 

*कोरोना वायरस की दूसरी लहर से बचाव के लिए देश में वैक्सीनेशन अभियान जोरो पर है। इस समय लोगों को कोवैक्सीन और कोविशील्ड वैक्सीन लगाई जा रही हैं। हालांकि इस बीच कुछ लोग ऐसे हैं जो इस दुविधा में है कि वे कौन सी वैक्सीन लगवाना सही है। इस बीच मिनिस्ट्री ऑफ हेल्थ एंड वेलफेयर का कहना है कि वैज्ञानिक रूप से दोनों वैक्सीन के बीच किसी तरह की तुलना नहीं की जा सकती*

मिनिस्ट्री ऑफ हेल्थ एंड वेलफेयर के मुताबिक कोविशील्ड और कोवैक्सीन कोरोना वायरस के संक्रमण को कम करने और उससे बचाव के लिए कारगर है। केंद्र का कहना है कि लोग इन दोनों में से किसी भी वैक्सीन का चुनाव कर सकते हैं। इसे लेकर प्रेस इंफॉर्मेशन ब्यूरो इंडिया ने एक ट्वीट भी किया है।

 

जानें कोविशील्ड और कोवैक्सीन में अंतर

 

कोविशील्ड

ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की इस वैक्सीन को सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा तैयार किया गया है। इसे एडिनोवायरस को खत्म करने के लिए विकसित किया गया है। इससे पहले चिंपैजी में आम सर्दी- जुकाम करने वाले निष्क्रिय एडिनोवायरस के ऊपर SARS-CoV-2 की स्पाइन प्रोटीन का जेनेटिक मेटेरियल लगाकर इसे बनाया गया है। इस वैक्सीन का डोज से हल्का दर्द, बुखार, बदन दर्द जैसी समस्या हो सकती है। वहीं कुछ मामलों में ब्लड क्लॉटिंग की समस्या भी सामने आई है।

 

किमत

इस वैक्सीन को राज्य 400 रुपये में और निजी अस्पतालों 600 रुपये में खरीद सकते हैं। वहीं केंद्र सरकार इसकी एक डोज  की कीमत 150 रुपये रखी है।

कोवैक्सीन

वही बात कोवैक्सीन की करें तो भारतीय कंपनी भारत बायोटेक और आईसीएमआर द्वारा बनाया गया है। इसमें मौजूद इम्यून सेल्स कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी तैयार करने के लिए इम्यून सिस्टम को प्रोम्पट यानी प्रेरित करने में मदद करती है। इसे डेड वायरस से बनाया गया है जो शरीर में जाकर एंटीबॉडी बनाते हैं। यह वैक्सीन कोरोना के सभी वेरिएंट्स पर असरदार मानी जा रही है। इस वैक्सीन की डोज लेने पर सूजन, ठंड लगना, दर्द, बुखार, सिरदर्द जैसी समस्याएं आ सकती हैं।

 

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