कससी तसले उठा मनरेगा यूनियन ने सरकार के खिलाफ जमकर निकाली भड़ास, किया प्रदर्शन

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चंडीगढ़/कुरुक्षेत्र:–23 मई:– अल्फा न्यूज़ इंडिया डेस्क: – जिला कैथल के ब्लॉक गुहला के गांव सदरेहड़ी के आक्रोशित मनरेगा मजदूरों द्वारा अनेक बार मनरेगा काम की मांग करने के बावजूद उन्हें बीडीपीओ कार्यालय गुहला द्वारा काम नहीं दिये जाने पर हरियाणा व केंद्र की मौजूदा सरकार और ब्लॉक गुहला के मनरेगा अफसरों के खिलाफ नारेबाजी की! और कस्सी तसले उठाकर प्रदर्शन किया। आज के प्रदर्शन में मनरेगा मजदूर- राजबाला, अंती, बीरो, रीना, सीमा, सुखविंदर, सरेसो, महिंद्रो, फूलपति, शकुंतला, वीरमति, मनजीत कौर, सुनीता, सुबा, लाभो, ज्ञान, सुमन, बक्शी, सतपाल, ज्ञानचंद, जरनैल सिंह, गुड्डी, टेका, राज रानी, सरोज, कमलेश, संतोष, कर्मबीर, सोनिया, प्रेमी, छोटी, आरती आदि ने भाग लिया।

मनरेगा मजदूर बीरो ने बताया कि उनके पास कोई आजीविका का स्थाई साधन नहीं है। दिहाड़ी मजदूरी मिलने पर ही उनके घर का चूल्हा जलता है। गाँव में पिछले कई महीने से मजदूर खाली बैठे हैं। दिहाड़ी मजदूरी नहीं मिल रही है। महंगाई लगातार बढ़ रही है। मनरेगा में भी काम नहीं मिल रहा है-मजदूर भुखमरी के कगार पर हैं।
मनरेगा मजदूर यूनियन की ब्लॉक कमेटी गुहला की सदस्य महिला मजदूर राजबाला ने बीडीपीओ कार्यालय गुहला के मनरेगा अधिकारियों के खिलाफ रोष जाहिर करते हुए कहा कि हम 60 मजदूरों ने 10 अप्रैल 2021 से मनरेगा काम दिये जाने की मांग की हुई है मगर हमें आज तक काम नहीं दिया गया। मनरेगा कानून के अनुसार हमें 15 दिन के अंदर अर्थात 25 अप्रैल तक काम दिया जाना चाहिए था। हमें काम नहीं दिया जाने पर 25 अप्रैल से आज तक हमें बेरोजगारी भत्ता दिया जाना चाहिए। खेद की बात है कि हमें न मनरेगा काम दिया गया और ना ही नियमानुसार बेरोजगारी भत्ता दिया जा रहा है। 25 अप्रैल से आज तक हमारा 28 दिन का बेरोजगारी भत्ता बनता है। प्रधानमंत्री साहब की सरकार तो कहती है कि हमारी सरकार ने मनरेगा में सभी मजदूरों को काम देने के लिए पूरा बजट रखा है मगर बीडीपीओ कार्यालय के लोग कहते हैं कि ऊपर के अफसर और खट्टर सरकार ने मनरेगा काम की मंजूरी नहीं दी है। आखिर मनरेगा बजट कहाँ खर्च हो रहा है। अधिकारियो कुछ तो शर्म करो। काम नहीं देते तो कम से कम हमारा बेरोजगारी भत्ता तो दे दो। खट्टर सरकार और उसके अफसर हम मजदूरों का बेरोजगारी भत्ता भी हजम कर गये हैं।
मनरेगा मजदूर श्योनण ने कहा कि गत वित्तीय वर्ष 2020-21 में हमारे गाँव के मजदूरों को सौ दिन काम देने की बजाय केवल 26 दिन ही काम दिया गया और वह भी बीडीपीओ कार्यालय गुहला के कई चक्कर लगाने पर। पिछले साल एक मस्टर रोल पर 6 दिन का काम दिया और वह भी गाँव से करीब 35 किलोमीटर दूर। काम पर आने जाने पर ही ₹40 हर रोज किराये भाड़े के खर्च हो गये। सरकार ने किराये भाड़े के नाम पर मनरेगा दिहाड़ी ₹309 का केवल 10℅ यानि ₹30 हर रोज दिये हैं। वाहन का भी मुश्किल से बंदोबस्त हुआ था। सरकार को कार्यस्थल पर पहुंचने के लिए फ्री में वाहन का प्रबंध करना चाहिए।
मनरेगा मजदूर अंती ने कहा कि मौजूदा सरकार ढोंग ज्यादा करती है और काम कुछ नहीं करती है। उसे मजदूरों की कोई चिंता नहीं है। कोरोना बीमारी के इतने खतरनाक हालात में हमें मजबूर होकर आज प्रदर्शन करना पड़ रहा है।न सरपंच हमारा दर्द समझता है और न सरकार।
मजदूरों ने बताया कि उन्होंने मनरेगा मजदूर यूनियन से अपनी समस्या बता दी है। यदि शीघ्र ही मनरेगा मजदूरों को उनका बेरोजगारी भत्ता और काम नहीं दिया गया तो वे मनरेगा मजदूर यूनियन के नेतृत्व में अन्य गांवों के मजदूरों के साथ मिलकर जोरदार आंदोलन करेंगे।
मजदूरों ने यह भी मांग की कि उन्हें काम गाँव के नजदीक ही दिया जाए और 2 किलोमीटर से अधिक दूरी पर काम दिये जाने पर वाहन का फ्री में प्रबंध किया जाए।
कर्मजीत कौर ब्लॉक प्रधान,राजबाला सदरेहड़ी,मनरेगा मजदूर यूनियन रजि०न०:1943,ब्लॉक गुहला, जिला कैथल नेे मनरेगा के संबंधित अधिकारियों सहित प्रांतीय सरकार और केंद्र सरकार तक को चेताया कि मनरेगा दिहाड़ीदारों को मुकम्मल तौर पर काम दिलवाया जाए। ताकि उनके घरोंंंंं में पसरी भुखमरी आदि खत्म हो।

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