चीख चित्कार के साथ वो जलती रही, वह बस देखता रहा और लोग जुटे वीडियो बनाने में

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चंडीगढ़: 22 मई:- आरके विक्रमा शर्मा:- एनके धीमान:- वह ड्यूटी खत्म कर रात को अपने घर किशनगढ़ जा रहा था। वह चंडीगढ़ पुलिस में बतौर कांस्टेबल नौकरी करता है। सुनसान सियाह काली रात में वह अपनी मंजिल की ओर बढ़ रहे थे कि तभी उसको उसके घर तक साथ में चलने वाली अचानक आग की लपटों में घिर गई। और कॉन्स्टेबल जो उसकी गोद में बैठा था। बड़ी फुर्ती से उस से खुद को अलग किया और दूर सुरक्षित खड़ा होकर भयभीत हतप्रभ वह उसे जलती हुई को बेबसी में देखने लगा। आसपास कोई भी नहीं था। जो उसकी मदद को आता । हालांकि किशनगढ़ के ही एक युवा निवासी सुमित दूर के मुताबिक कुछ लोग उनकी मदद के लिए गंतव्य की ओर भागे भी और सिर्फ मूकदर्शक बनने के सिवा कुछ भी नहीं कर पाए। आग की लपटें और उस बेचारी की चीख चित्कार  के सिवा रात के सन्नाटे में  और कुछ नहीं था। बेबसी में वहां पहुंचे लोग भी उतने ही बेबस दिखाई दिए जितना पुलिस का यह कांस्टेबल । उस बेचारी को जलती देखकर सभी ने अपने मोबाइल वीडियो मोढ पर करके उसकी चीखों को कैद करना शुरू कर दिया। कोई भी चीख चित्कार शोरगुल सुनकर पास जाने की हिमाकत नहीं जुटा पा रहा था। कॉन्स्टेबल की ही आंखों के सामने उसकी दिल अजीज की देय की अंत्येष्टि से उठती बड़ी-बड़ी आग की लपटें और लपटों से उठता काला स्याह धूंआ वातावरण को भयावह बना रहा था। आग की लपटें  किशनगढ़ गांव के लोगों ने अपने घरों से देखीं। उनके मुताबिक उनके दिल भी दहल उठे। सूचना पाकर पुलिस कंट्रोल रूम से पीसीआर और समीपवर्ती अन्य पीसीआरज भी वहां पहुंच गईं। लेकिन वह भी मात्र दर्शक ही साबित हुए। पुलिस ने भयभीत कांस्टेबल के बयान भी सुने। और उसे सांत्वना भी दी है। कांस्टेबल ने अपने मौके पर दिए सवालों के जवाब में उसका नाम और अता पता तो नहीं बताया। लेकिन बस इतना ही कह पाया कि उसे इसका बहुत बड़ा सहारा था। कहीं भी जाना होता, तो इसी का आसरा रहता था। मेरे लिए यह कार बहुत ही लक्की कार थी।

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