चंडीगढ़ 18 मई:- आर के विक्रमा शर्मा+करण शर्मा प्रस्तुति:-
● कच्ची ककड़ी में आयोडीन पाया जाता है।
● ककड़ी बेल पर लगने वाला फल है।
● गर्मी में पैदा होने वाली ककड़ी स्वास्थ्यवर्ध्दक तथा वर्षा व शरद ऋतु की ककड़ी रोगकारक मानी जाती है।
● ककड़ी स्वाद में मधुर, मूत्रकारक, वातकारक, स्वादिष्ट तथा पित्त का शमन करने वाली होती है।
● उल्टी, जलन, थकान, प्यास, रक्तविकार, मधुमेह में ककड़ी फ़ायदेमंद हैं।
● ककड़ी के अत्यधिक सेवन से अजीर्ण होने की शंका रहती है, परन्तु भोजन के साथ ककड़ी का सेवन करने से अजीर्ण का शमन होता है।
● ककड़ी की ही प्रजाति खीरा व कचरी है।
● ककड़ी में खीरे की अपेक्षा जल की मात्रा ज़्यादा पायी जाती है।
● ककड़ी के बीजों का भी चिकित्सा में प्रयोग किया जाता है।
● ककड़ी का रस निकालकर मुंह, हाथ व पैर पर लेप करने से वे फटते नहीं हैं तथा मुख सौंदर्य की वृध्दि होती है।
● बेहोशी में ककड़ी काटकर सुंघाने से बेहोशी दूर होती है।
● ककड़ी के बीजों को ठंडाई में पीसकर पीने से ग्रीष्म ऋतु में गर्मीजन्य विकारों से छुटकारा प्राप्त होता है।
● ककड़ी के बीज पानी के साथ पीसकर चेहरे पर लेप करने से चेहरे की त्वचा स्वस्थ व चमकदार होती है।
● ककड़ी के रस में शक्कर या मिश्री मिलाकर सेवन करने से पेशाब की रुकावट दूर होती है।
● ककड़ी की मींगी मिश्री के साथ घोंटकर पिलाने से पथरी रोग में लाभ पहुंचता है।
साभार नेचुरोपैथ कौशल।।