रूहानियत के हुक्म पर नूरी ने रोजा तोड़, प्लाज्मा कर डोनेट, नूरानी इखलाक किया बुलंद

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चंडीगढ़ :-10 मई :-आर के विक्रमा शर्मा/ करण शर्मा:– पौराणिक वेद शास्त्रों मुताबिक धरती पर सबसे पुराना धर्म सनातन धर्म यानी हिंदू धर्म है। और उसके बाद अगर कोई पुराना धर्म है तो वह मुस्लिम धर्म है। और दोनों धर्मों में इंसानियत की  कद्रें  और कीमतें शीर्ष पर हैं। दोनों धर्म दूसरे के लिए, मजबूर मजलूम के दुख दर्द के लिए, खुद को मिटा देने में भी अपनी पूर्ति समझता है। आजकल रोजे चल रहे हैं। रमजान का पाक महीना धरती पर हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है।

2019 से ही कोरोनावायरस वैश्विक महामारी इंसानों को निगलती जा रही है। वैज्ञानिक सरकारी तंत्र और मशीनरी सब इस महामारी के आगे घुटने टेक चुके हैं। इस महामारी ने इंसान को इंसान के बेहद करीब लाने और एक दूसरे के दुख दर्द को अपना समझने के रास्ते में धर्म जात नस्ल सम्प्रदाय सब परे कर दिए । इसी जज्बे के वशीभूत होकर रोजे रखने वाली नूरी को अपने मोबाइल पर एक आई कॉल से पता चला कि किसी बेटी के पिता को प्लाज्मा की बेहद जरूरत है। नूरी आसाम से फ्लाइट द्वारा सीधी इंदौर पहुंची। हॉस्पिटल में डॉक्टरों ने उनसे बातचीत की। तो पाया कि उन्होंने रोजे रखे हुए हैं। डॉक्टर ने कहा आप ने रोज़े रखे हैं।ऐसे में प्लाज्मा डोनेट नहीं कर सकती हैं। नूरी ने इंसानियत के जज्बे को सलाम करते हुए, अपने मकसद तक पहुंच कर उस पिता की जान बचानी थी।

नूरी ने अल्लाह ताला का रूहानी फरमान सुना। और अपना रोजा तोड़ दिया और दूरदर्शन कर्मी मनोहर लाल राठौर को अपना प्लाज्मा डोनेट किया। नूरी के मुताबिक उसने अल्लाह ताला की शिक्षा पर चलकर किसी और के नहीं, अपने ही बाप की जान बचाई है। अल्फा न्यूज इंडिया नूरी के अपनेपन और त्याग को दिल से सलाम करता है। हिंदू जमात को नूरी जैसी बहन पर गर्व है। यह भी सच है कि नूरी को भारत माता की संतान होने पर बेहद फक्र है। क्या आज का हिंदू सिख मुस्लिम ईसाई समाज त्यागमूर्ति बहन नूरी से कुछ प्रेरणा हासिल करेगा ।। आजकल सोशल मीडिया पर नूरी द्वारा प्लाज्मा डोनेट करने की फोटो कैप्शन सहित खूब वायरल हो रही है नूरी इंदौर दूरदर्शन के कर्मचारी मनोहर लाल राठौड़ को नया जीवन देकर अपना रोजा तोड़ने के जुर्म से अल्लाह ताला की अदालत में बेकसूर साबित हो गई हैं। और अगर मान भी लिया जाए कि यह फेक न्यूज़ है तो भी अपने आप में अनुसरण करने लायक पोस्ट है। जिसमें धर्मों के बीच की दीवारें  खड़ी करने वालों के मुंह पर करारा तमाचा है। और यही मिसाल हिंदुस्तान की सरजमी पर हिंदू मुस्लिम के भाईचारे पर इंसानियत की मुहर चस्पा करती है।।

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