बड़े अधिकारी से लेकर छोटे कर्मचारी तक हाउस अलॉटमेंट के सवाल पर हैं चुप्पी साधे पर

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चंडीगढ़:- 9 मई :- करण शर्मा /एनके धीमान:– चंडीगढ़ हाउस एलॉटमेंट विभाग नई टेक्नोलॉजी के आने से पहले और उसके बाद बदनामी के दंगल से बच नहीं पा रहा है। इस डिपार्टमेंट की कारगुजारी के कारण प्रशासन के उच्च अधिकारी से लेकर छोटे से छोटे कर्मचारी तक को हाउस अलॉटमेंट के किसी भी विषय को छेड़ने पर ना जाने खामोशी का कौन सा सांप सूंघ जाता है। और माथे पर क्या मजाल की पसीने की कोई बूंद भी तर हो उठे।। आखिर किसी भी सवाल पर पसीना तो उसको आता है। जो जवाब दें। और जिम्मेवारी का दंभ भरता हो। ऐसा नहीं है कि हाउस अलॉटमेंट में कोई अधिकारी या कर्मचारी इमनदारी का दंभ नहीं भर सकता। दंभ तो भर सकता है। लेकिन ऐसा काम नहीं कर सकते। जिससे सब ओर उनकी प्रशंसा हो, शाबाशी मिले। लोग इनकी इमानदारी की इनकी कर्तव्यनिष्ठा की मिसाल दें। कंप्यूटराइज्ड होने के बाद इस विभाग पर विश्वास की ग्राफ रेखा ऊपर बढ़नी स्वाभाविक थी। जोकि महज एक सपना बनकर रह गई। विभाग में बिल सिस्टम से लोगों को अक्षरत न्याय मिलने की और पारदर्शिता से काम होने की जो उम्मीद लगी थी। उस पर पानी ही फिर चुका है। पूरे शहर में हजारों क्वार्टर खाली पड़े हैं। उनको बिड के लिए सूचियों में दर्शाया ही नहीं जाता है। अज्ञात कारणों से इन मकानों के अलाट न होने से सरकारी खजाने को आज तक करोड़ों की चपत लग चुकी होगी।

प्रशासन के आला अधिकारी कैसे और भूले से कभी ध्यान दे पाएंगें। यह भविष्य में भी पूर्ववत यही परंपरा चलती रहेगी। सेक्टर 22d में मकान नंबर 3978 जोकि नवंबर 19 में खाली हुआ था । इस मकान में सेवा सिंह नाम का कोई सरकारी कर्मचारी रहता था। जो सेवानिवृत्ति के बाद इस मकान से चले गए। यह मकान आज तक किसी भी बिड़ का हिस्सा नहीं बना है। और जिन बिडों का यह हिस्सा बना है या अपुष्ट सूत्रों मुताबिक दो लोगों को यह मकान अलॉट हुआ था। पर फिर भी अज्ञात कारणों से आज भी खाली पड़ा है। इसी क्षेत्र में और भी अनेकों मकान अलॉटमेंट की राह ताक रहे हैं। और जर्जर हो रहे हैं। अगर इनके अलॉटमेंट हो जाए, तो इनकी दुरुस्त देखभाल भी यथावत बनी रहेगी और मकानों की जिंदगी अभी 10 साल आराम से बनी रहेगी। नहीं तो यह जल्दी ही खंडहर बन जाएंगे। यह सभी जानते हैं कि सरकारी मकानों में फर्श का काम यानी टाइल्स लगवाई गई थीं यह टाईल्स किस श्रेणी की पास हुई थी और किस श्रेणी की लगी हैं। और किस तरह लगी हैं कि आज दिन तक रहने वाले परिवार बेहद दुखी हैं। कमरे के फर्श धोने पर पानी बाहर जाने की बजाए बाहर से अंदर की ओर आकर एक कोने में जमा हो जाता है। थोड़ी सी बरसात होने पर छतों से पानी टपकता है। अनेकों इन मकानों में रहने वाले गृहणियों ने आवाज भी उठाई है कि इन मकानों की छतों की रिनोवेशन बहुत जरूरी है लेकिन इस और संबंधित विभाग के अधिकारी और कर्मचारी एक कान से सुनकर दूसरे से निकालने को अज्ञात कारणों से मजबूर रहते हैं।

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