कुंभ राशि शनि की अदालत है और बृहस्पति वहां के जज

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चंडीगढ़:-03 मई :- आरके शर्मा विक्रमा/करण शर्मा प्रस्तुति:– हमारे भौतिक जीवन पर सूर्य और सौरमंडल का गहरा प्रभाव पड़ता है। आम तौर पर उपग्रहों व ग्रहों और उनकी छाया दृष्टि व कुदृष्टि से यदा-कद  प्रभावित रहते हैं। 1 मई से लेकर 15 जून तक देश की जनता पर सरकारी और मंदी का दबाव बना रहेगा। जब सूर्य राहु से अलग होकर मिथून राशि में आएंगे। उसके बाद इन परिस्थितियों में कुछ सुधार होगा। लेकिन शनिदेव मकर राशि में, बृहस्पति देव कुंभ राशि में और राहु वृष राशि में तथा राहु की दृष्टि शनि पर है, जो मार्च 2022 तक रहेगी। ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार शनि या मंगल की दृष्टि राहु पर न हो तो दुनिया में गलत कामों में बढ़ोतरी होती है। जो वर्तमान में चल रहा है। 13 अप्रैल 2021 से पहले कोरोना वायरस अपनी साधारण हालात में था। क्योंकि मंगल राहु के साथ बैठा था। लेकिन जैसे ही 13 अप्रैल से मंगल राहु से अलग होकर मिथुन राशि में आए। हालात खराब होते गए। इस वर्ष के राजा और मंत्री मंगल ग्रह ही है, जो ग्रहों में सेनापति माने जाते हैं।

 

 

यह वर्ष मंगल का माना जा रहा है, जिसका अर्थात जिनका मंगल कुंडली में उच्च या मित्र राशि में बैठा है, उनको इस वर्ष लाभ होगा तो वहीं इसके विपरित जिनका मंगल नीच या शत्रु घरों में है उन्हें आग ऐक्सिडेंट, लड़ाई-झगड़ा से बचना होगा तथा सोच-विचार से आगे बढ़ने की ज़रूरत है।

कहा जाता है फिलहाल देश में हालात बेकाबू हो गए हैं। क्योंकि राहु मंगल और शनि की दृष्टि में नहीं है, अब राहु की दृष्टि शनि पर, शनि की दृष्टि सरकारी और कर्म के घर में बैठकर देश की जनता पर और शनि की उलटी दृष्टि मंगल पर और मंगल की आंठवी दृष्टि शनि पर है।

2 जून से मंगल शनि आमने-सामने होंगे जो जनता और सरकार के बीच टकराव का माहौल उत्पन्न करेंगे। 1 मई से बुध और राहु एक साथ होंगे, तो वहीं 4 मई से शुक्र भी राहु- बुध के साथ होंगे। बृहस्पति कुंभ राशि में रहेंगे, जो कि निर्णयक की भूमिका निभा रहे हैं।

बृहस्पति की दृष्टि मिथुन, सिंह और तुला राशि पर है, ये तीनों ग्रह राहु-शनि के बीच है। इसलिए ये स्थितियां बनी हुई हैं। 23 मई को शनि वक्री होंगे। मकर में और 26 मई का चंद्र ग्रहण लगेगा। जिससे सरकार की तरफ से कुछ गलत निर्णय लिए जा सकते हैं।

 

14 मई से सूर्य राहु के साथ होगें। जिससे मृत्यु दर में कमी आएगी। लेकिन हालात सामान्य 15 जून से ही होंगे। बाकि शनि जब तक मकर में और बृहस्पति कुंभ राशि में है तो दुनिया को सबक सीखने को मिल सकता है। कहा जाता है कुंभ राशि शनि की अदालत है और बृहस्पति वहां के जज हैं और 30 साल बाद मकर राशि में जो कर्मों का हिसाब करते हैं। इस वर्ष के राजा मंगल जीवन और मृत्यु के कारक हैं। कुल मिलाकर माना जा रहा है कि ये तीनों ग्रह दुनिया के लिए निर्णायक  होंगे।

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