चंडीगढ़:- 25 अप्रैल :आरके शर्मा विक्रमा+करण शर्मा:-शहर के व्यापारी नेता व चंडीगढ़ उद्योग व्यपार मण्डल के संयोजक कैलाश चन्द जैन ने बेहताशा बढ़ते हुए कोरोना संक्रमण की चेन को तोड़ने हेतु प्रशासन द्वारा सख्त व हर सम्भव उचित कदम उठाए जाने की मांग की है।
चंडीगढ़ के प्रशासक एवं राज्यपाल पंजाब को पत्र लिख कैलाश चन्द जैन ने कहा है कि वैश्विक महामारी कोरोना दिन प्रतिदिन बड़ी तेजी से अपने पांव पसारती जा रही है और काबू में नहीं आ रही है। अगर चंडीगढ़ की ही बात करें तो कोरोना संक्रमण की यह चेन यहाँ भी बड़ी तेजी से फैल रही है। ऐसा लगता है कि कोरोना की इस बढ़ती हुई चेन को तोड़ने के लिए कंप्लीट लॉकडाउन के अलावा कोई चारा नजर नहीं आ रहा । लेकिन शहर में लंबा लॉकडाउन लगाने का फैसला इसलिए टालना पड़ा क्योंकि प्रशासन को डर सता रहा था कि कहीं इस फैसले से शहर में काम कर रही लेबर दोबारा अपने गांवों को न भाग जाए। इसका न केवल चंडीगढ़ के व्यापार और इंडस्ट्री पर असर पड़ेगा बल्कि शहर की अर्थव्यवस्था भी डांवाडोल होगी। यही वजह रही कि प्रशासन वीकेंड लॉकडाउन और लंबे लॉकडाउन को लेकर बैकफुट पर आ गया।
कैलाश जैन का कहना है कि भले ही व्यापारी वर्ग लॉकड़ाउन के फैसले के विरोध में है लेकिन देश की खातिर ओर लोगों की जान को जोखिम के खतरे को भांपते हुए लॉकडाउन के इस कड़वे घूंट को दोबारा पीने को तैयार हो सकता है बशर्ते इसके लिए उसे कुछ राहत दी जाए और उनको विश्वास में लिया जाए।
इतिहास गवाह है , जब जब देश पर किसी किस्म की मुसीबत आई है तो व्यापारियों ने अपने नुकसान की परवाह किए बिना हमेशा देश सेवा की है और देश की सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम किया है।
लेकिन मजदूर तबका शायद इस लॉकड़ाउन को झेल पाने में असमर्थ होगा । इसके अलावा इंडस्ट्री व कंपनी की प्रोडक्शन लॉकडाउन के चलते बंद हो जाएगी जिसका देश की अर्थव्यवस्था पर बहुत बुरा असर पड़ेगा। ऐसे में कोई ऐसा रास्ता निकालने की जरूरत है जिससे लोगो की जान भी बच जाए और अर्थव्यवस्था पर कम से कम असर पड़े तथा मजदूर भी पलायन को मजबूर न हो । वे यहीं रह कर अपनी रोजी रोटी चला सके।
कैलाश जैन का सुझाव है कि अगर किसी मज़बूरीवश लॉकडॉउन का फैसला लेना भी पड़े तो प्रशासन को ऐसे इंतज़ाम करने चाहिए कि मैनुफैक्चरिंग व प्रोडक्शन जारी भी रहे ओर कोरोना की चेन भी टूटे। इंडस्ट्री मालिकों को प्रशासन आदेश दे कि अपने यहां जो लेबर रखी है उसका एक महीने तक का खाने पीने और रहने का इंतजाम फैक्ट्री या इंडस्ट्री में ही कर दिया जाए । न फैक्ट्री अथवा कार्यस्थल से कोई बाहर जाए न बाहर से कोई अंदर आये । अंदर ही अंदर प्रोडक्शन चालू रहे। इससे मजदूर को काम भी मिलेगा, प्रोडक्शन भी चालू रहने से अर्थव्यवस्था का नुकसान भी कम होगा और कोरोना चेन तोडऩे में मदद मिलेगी।
उनका कहना है कि लेबर को फैक्ट्री में रखने और खाने पीने का प्रबंध करने का जो तरीका सुझाया जा रहा है, वह इंडस्ट्रियलिस्टों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। अगर लेबर दोबारा पलायन करती है तो फैक्ट्री मालिकों को मजदूरों की समस्या पेश आएगी और मजदूरों की कमी के चलते काम पूरी तरह से बंद हो सकता है। इससे न केवल प्रोडक्शन रुकेगी बल्कि पूरी सप्लाई चेन टूट जाएगी।
लेकिन अगर मजदूरों को इनहाउस रखा जाए तो इन समस्याओं से निजात मिल सकती है और कॅरोना की चेन भी टूट सकती है।
कैलाश जैन ने इस विषय पर विस्तृत चर्चा करके जनहित में उचित फैसला लेने की मांग की है।