चंडीगढ़:- 24 अप्रैल:- आर के शर्मा विक्रमा/ करण शर्मा:- कांग्रेस आई चंडीगढ़ प्रदेश इकाई पिछले लंबे समय से भीतरघात दीमक की तरह खोखली होती और फिर उभरती नजर आ रही है। जब से प्रदीप छाबड़ा ने स्थानीय इकाई की बागडोर सुभाष चावला के सुपुर्द अ की है तब से पार्टी में अंतर्द्वंद कई बार मुखर होता रहा है यह अलग बात है कि दूसरे नेता के हिंदुओं को साथ लेकर चलना हमेशा दुश्वार ही रहा है लेकिन पार्टी हित के मुद्दों पर भी अगर आपसी मतभेद पार्टी के लिए हानि का स्वभाव बन रहे हैं तो बात चिंताजनक है सुभाष चावला ने पदभार संभालते ही कहा था कि वह हर एक सदस्य को सम्मान देंगे और उनके हिस्से का अधिकार शक्तियां और दायित्व और वो देदारी भी देंगे लेकिन भाई इस पर कितने खरे उतरे हैं अपने आप में यही घमासान का सबब बना हुआ है चंडीगढ़ प्रदेश के महासचिव 36 साल से कांग्रेस के सिपहसालार हैं उनकी अंतर पीड़ा देखकर कांग्रेसी पूरी तरह से बाबू को हुए हैं क्योंकि जो पार्टी का सही सिपहसालार है वह सब नहीं देख सकता इन दिनों संदीप भारद्वाज की लिखी चिट्ठी पहले व्हाट्सएप और उसके बाद पूरे प्रदेश में सोशल नेटवर्किंग के जरिए वायरल हो रही है। इस चिट्ठी पर नकारात्मक, सकारात्मक व हास्यास्पद और गंभीर चिंतन वाली नाना प्रकार की टोका टिप्पणी जारी हैं। लेकिन पार्टी का सच्चा हितैषी होने के नाते संदीप भारद्वाज ने पार्टी को अहमियत देने और पार्टी के सभी कार्यकर्ताओं व पदाधिकारियों को साथ लेकर चलने का पार्टी अध्यक्ष से जो आह्वान किया है। वह काबिले तारीफ है। इस बारे में जब अन्य लोगों से राय लेने के लिए संपर्क किया।तो उक्त मुद्दे पर मुंह खोलने से बड़े पदाधिकारी से लेकर छोटे तक खामोश ही रहे। चिट्ठी का मजमून इस प्रकार से है
*प्रिय कांग्रेसजन,*
सादर प्रणाम
कल प्रदेश कांग्रेस की एक मीटिंग प्रदेश अध्यक्ष व *बड़े नेताओं* की रहनुमाई में हुई।
उस मीटिंग में अनुशासन की भी बात हुई।
*हैरानी की बात कि पांच में से चार पार्षद गवर्नर से मिलने ही नही गए।*
चार *स्पोक्सपर्सन* में से भी एक ही गया।
*बाकी लीडर्स को बुलाया नही गया* या बुलाने वाले बेहतर जानते है कि क्यों नही बुलाया
*कांग्रेस सिर्फ चन्द लोगो तक ही सीमित हो कर रह गयी।*
*और अनुशासनहीनता की हद कि हर किसी जिस को भी बुलाया गया कोई न कोई मजबूरी बता कर नही गया।*
सिर्फ न्यूज़पेपर में खबरें दे कर MC चुनाव नही जीता जा सकता।
कड़ी मेहनत की जरूरत है।
*ब्लॉक अध्यक्ष मीटिंग में नहीं बुलाये गए। सिर्फ कहने भर से ब्लॉक मजबूत नही हो सकते।*
CTCC संगठन का कोई पता नहीं।
भंग है या नहीं।
चर्चा का विषय है।
*सच कहूं तो कांग्रेस ही कांग्रेस को मारती है। बाहर वाले कि कोई हिम्मत नहीं।*
मेरी गुजारिश है कि अख़बारी नहीं काम करने वाले नेता व कार्यकर्ता बने।
*साथियों,*
👉कमजोर कोई नहीं होता।
लेकिन किसी को कम नहीं समझना चाहिए।
*वक़्त आने दो….*
*हिसाब भी मांगेंगे….*
*जवाब भी मांगेंगे…*
हमें मीटिंग में बुलाये या नहीं
हम पार्टी हित मे अपनी बात आप सभी साथियों के बीच में रखते रहेगे।
*आज लिखने व कहने को बहुत कुछ था।*
लेकिन लिखना नही चाहता। *क्यों कि पार्टी का नुकसान होगा।*
*फैसला आप सभी का*🙏
*हम तो*
कांग्रेसी थे…✋
कांग्रेसी है…✋
*कांग्रेस के शुभ चिंतक रहेंगे।*
आप के आशीर्वाद व प्यार के लिए धन्यवाद।
*मैं आप का एक सहयोगी, साथी व 36 वर्ष से ज्यादा समय से कांग्रेस पार्टी का एक छोटा सा कार्यकर्ता व सेवक।*
*संदीप भारद्वाज*😷
महासचिव,
चण्डीगढ़ प्रदेश कांग्रेस
*जय कांग्रेस,विजयी कांग्रेस*🤝
भगवान आप सभी को स्वस्थ रखे।🙏
*COVID नियमो का पालन करे।*
व जनता तक भी पार्टी का संदेश पहुंचायें।
हालांकि इस चिट्ठी में वैचारिक मतभेदों की ओर भी इशारा है। और पार्टी के कार्यकर्ताओं की पदाधिकारियों के अनदेखी की काफी साफ झलक दिखाई देती है। लेकिन कुल मिलाकर इस वक्त चंडीगढ़ की कांग्रेस आई इकाई में अंतर्द्वंद बढ़ता ही जा रहा है। और बड़े व पुराने नेताओं की भी अनदेखी आम बात है। ऐसे में कांग्रेस अपना वाजूद आज के माहौल में कैसे संभालेगी, यह एक विचारणीय मुद्दा है।