चंडीगढ़/नई दिल्ली:-23 अप्रैल:-अल्फा न्यूज इंडिया डेस्क:—- कोरोना की दूसरी लहर में गरीबों की मदद के लिए सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना फिर से लागू की है। इसके तहत केंद्र सरकार मई और जून के महीने में हर गरीब को 5 किलो अनाज मुफ्त देगी। इस योजना के तहत देश के करीब 80 करोड़ लोगों को मुफ्त अनाज मिल सकेगा। अधिकारियों के मुताबिक, मुफ्त अनाज देने पर करीब 26 हजार करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है।
पिछले भी साल लागू की गई थी योजना
पिछले साल कोरोना संक्रमण के दौरान केंद्र सरकार ने देशभर में लॉकडाउन लगाया था। उस दौरान गरीबों के लिए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत हर गरीब को हर महीने 5 किलो गेहूं या चावल और हर परिवार को एक किलो चना मुफ्त दिया गया था। मार्च में तीन महीने के लिए यह योजना लॉन्च की गई थी। बाद में इसे बढ़ाकर 30 नवंबर 2020 तक के लिए लागू कर दिया था। इस योजना के तहत मिलने वाला अनाज मौजूदा कोटे के अलावा दिया गया था।
2 रुपए प्रति किलो पर गेहूं भी दिया गया
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत पिछले साल राशनकार्ड धारकों को मौजूदा कोटे से अलग 5 किलो प्रति व्यक्ति गेहूं या चावल खरीदने की सुविधा भी दी गई थी। इसके तहत गेहूं 2 रुपए प्रति किलो और चावल 3 रुप प्रति किलो की दर से बेचा गया था। सरकार ने पिछले साल मार्च में कहा था कि गेहूं की कीमत 27 रुपए प्रति किलो है, लेकिन राशन की दुकानों के जरिए यह 2 रुपए प्रति किलो की रियायती दर पर दिया जाएगा। इसी प्रकार 37 रुपए प्रति किलो की लागत वाला चावल 3 रुपए प्रति किलो की दर पर दिया गया।
देश में कोरोना के हालात डरावने हुए
देश में शुक्रवार को 24 घंटे में सबसे ज्यादा नए मरीज मिले। इस दौरान 3 लाख 32 हजार 320 लोग पॉजिटिव पाए गए हैं। ये लगातार दूसरा दिन है जब देश में एक दिन के अंदर तीन लाख से ज्यादा मरीजों की पहचान हुई है। इससे पहले बुधवार को 3.15 लाख लोग संक्रमित पाए गए थे। गुरुवार को एक दिन के अंदर 2,256 मरीजों ने दम तोड़ दिया। कोरोना से एक दिन के अंदर मरने वालों का यह आंकड़ा सबसे ज्यादा है। इससे पहले बुधवार को 2,101 और मंगलवार को 2,021 मौतें हुई थीं। इस मामले में अब भारत दुनिया में पहले नंबर पर पहुंच गया है।
मोदी जी के आगे गरीब लाचार बेरोजगार अशिक्षित समाज ने एक ही यक्ष प्रश्न उठाया है कि पिछले लॉकडाउन के बाद से अभी तक बेरोजगारी की ठोकरें हम खा रहे हैं! तब क्या हमारे भूखे पेटों को दो वक्त की रोटी की दरकार नहीं थी? तब क्या मोदी सरकार यह भंडारे खोलने से लाचार थी।