चंडीगढ़: 23 अप्रैल:- आरके विक्रमा शर्मा /करण शर्मा:- सोशल मीडिया पर थ्री व्हीलर में बैठी एक मां और उसके कदमों में पड़ा औंधे मुंह जवान बेटे का शव पत्थर दिल को भी पिघला दे। यह सीन बताया जा रहा है कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के जौनपुर के गांव की बुजुर्ग महिला का है । यह ग्रामीण महिला अपने लखते जिगर युवा बेटे को बीमार हालत में अस्पताल लेकर उपचार के लिए गई। लेकिन डॉक्टरों ने उसके बेटे को भर्ती करना तो दूर, उसकी ओर कनखियों से भी देखा तक नहीं। मिन्नतें जी हजूरियां करते हुए हाथ जोड़ते हुए मां अपने बीमार बेटे को लेकर कभी ऑटो से तो कभी साइकिल रिक्शा से इस अस्पताल से उस अस्पताल ठोकरें खाती रही। और लोकतंत्र भारत की सुव्यवस्थाओं के बीच चल रहे सरकारी अस्पतालों की अनियमितताओं के क्रूर पंजों ने युवा बेटे को नोच डाला। बेमौत यह युवा मौत का ग्रास बन गया। ऑटो में बैठी मां के कदमों में औंधे मुंह जवान बेटे की लाश पड़ी है। यह दृश्य पत्थर दिल इंसान को भी इन व्यवस्थाओं से जूझने के लिए विवश कर रहा है। मार्मिक दृश्य सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। और लोग नीचे से लेकर ऊपर तक व्यवस्थाओं के प्रति लापरवाह नेताओं को ब्यूरोक्रेट्स को डॉक्टरों को लानतें दे रहे हैं। और थू थू कर रहे हैं। वाराणसी के विधायक, अन्य नेतागण व पार्टी कार्यकर्ता, समाज सेवक, लालफीताशाही वर्ग सब पत्थर दिल जड़ हो चुके हैं। लानत है लोकतंत्र की ऐसी सुव्यवस्था को, जहां मां की गोद में युवा बेटा मात्र उपचार के लिए तड़पता हुआ अपनी जान दे देता है। चारों ओर से इस मां के प्रति लोगों के दिलों में भारी संवेदनाएं हैं। लेकिन संबंधित अधिकारियों और जिम्मेदार लालफीताशाहियों की ओर से और सफेद खद्दर धारी नेताओं की ओर से किसी तरह की भी कोई टिप्पणी, कोई सहानुभूति तक प्रगट नहीं की गई है। यह हमारी आधुनिक व्यवस्थाओं की मृत आत्माओं का दर्पण है। यक्ष प्रश्न तो यह है अगर यह अव्यवस्थाएं, अनियमितताएं व घोर लापरवाही और अमानवीयता का ऐसा क्रूर चेहरा वाराणसी का है। जहां से देश के प्रधानमंत्री सांसद हैं। तो देश के बाकी राज्यों और उनके जिलों के अस्पतालों का क्या हाल होगा? यह लिखना जरूरी नहीं है। समाचार की जड़ तक गहनता से जांच कराने की भी अनिवार्यता भी मुंह बाये प्रतीक्षारत है।