चंडीगढ़:- 10 अप्रैल:- आरके विक्रमा शर्मा /एनके धीमान:— पूरे देश में कोविड-19 का कहर मौत का तांडव नाच रहा है। सरकारी तंत्र और चिकित्सा संस्थानों से जारी दिशा-निर्देशों की पूरी तरह अवहेलना होती देखी जा रही है। महाराष्ट्र में तो करो ना मौत का तांडव नाच ही रहा है और देश के जिन 10 राज्यों में देश की 73% आबादी है वहां 15 दिन में करो ना मरीज दुगने हुए हैं 10 दिन में केस दुगने होने का आंकड़ा दर्ज किया गया है। 31 मार्च को 72,115 मरीज मिले थे। अब एक दिन में ही 1,52,400 नए मरीज सामने आए हैं पंजाब में हालात बिगड़ रहे हैं। 61 नई मौतें दर्ज हुई है। 24 घंटे में 3358 केस सामने आए हैं। और निजी अस्पतालों को गैरजरूरी सर्जरी 30 अप्रैल तक रोकने के आदेश दिए गए हैं। हरियाणा प्रांत में 2943 नए मरीज मिले हैं। पंजाब में 1 दिन में 85 से 90000 लोगों को टीके लगाए जा रहे हैं।
उत्तर प्रदेश के जिला शामली के कांधला जनपद समुदायिक स्वास्थ्य चिकित्सा केंद्र में तीन अधेड़ महिलाओं को कोरोनावायरस से बचने के वैक्सीन लगाने की बजाय सीधे कुत्तों के काटने पर लगाए जाने वाले टीके रैबिज लगाए गए हैं। सोशल मीडिया पर खबर जंगल की आग की तरह फैल गई।और पूरे समग्र प्रशासकीय तंत्र और मेडिकल चिकित्सा तंत्र में हड़कंप मचा हुआ है। यह घोर लापरवाही किस के सुझाव पर की गई है। यह विचारणीय है। क्योंकि जिसने टीके लगाए हैं, वह अपनी मनमर्जी से तो यह इतना जोखिम भरा कदम नहीं उठा सकता है। जरूर उनको किसी ना किसी ने कोविड-19 के इंजेक्शन के अल्टरनेट में सुझाव दिए गए होंगे। जरूरत है सिस्टम की इस नेगलीजेंसी को पकड़ने की। और उसे दंड देने की ताकि भविष्य में कहीं भी यह दुस्साहस ना किया जाए।और लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ कदापि ना हो सके।
अल्फा न्यूज़ इंडिया पुरजोर मांग करता है कि इस केस की पूरी ईमानदारी से पारदर्शिता से जांच की जाए। और दोषियों को सख्त सजा दी जाए। यह कोई छोटी मोटी बात नहीं है। इसके पीछे 3 लोगों के ना जाने कितनी जिंदगियां प्रभावित करने की मंशा छुपी हुई है। अधेड़ पीड़ित महिलाओं के नाम अनारकली सत्यवती और बताया जा रहे हैं। और सभी 55-60 साल से ऊपर की उम्र की महिलाएं बताई गई हैं। जिन्हें कुत्ते के टीके लगने के बाद चक्कर आने मदहोशी जानी, जी घबराना व आंखों के आगे अंधेरा और ना जाने कैसी कैसी परेशानियों से जूझना पड़ा है। और जैसा कि लोगों को मूर्ख बनाने की कवायद शुरु होती है ठीक ऐसे ही इस केस के मामले में भी शुरू हो चुकी है। इलाके की मेडिकल अधिकारी ने इसकी जांच की बात कही है। यह जांच कितनी पारदर्शिता से होगी, देखना अब यही बाकी है।
बहुत ही हैरत की बात है कि कोरोना वैक्सीनेशन सेंटर बिल्कुल अलग कमरे में व्यवस्थित किए जा रहे हैं। और दूसरी दवाइयां टीके उपकरण इस रूम में बिल्कुल भी नहीं रखे जाने का सख्त प्रावधान आदेश हैं। हैरानी की बात है कि कोरोनावायरस के टीकाकरण के कमरे में कुत्तों के काटने या रेबीज के टीके किस लिए रखे गए हैं।।और 10 ₹10 की सुइयां बाजार से उक्त तीनों महिलाओं से क्यों मंगवाई गई हैं?? क्या शामली कांधला जनपद स्वास्थ्य समुदायिक केंद्र में यहां के मरीजों और स्थानीय लोगों के लिए टीकाकरण के लिए महज एक टीका सिरिंज भी सरकार उपलब्ध करवाने में नाकाम है? यह भी जांच का विषय है!!
अल्फा न्यूज़ इंडिया ने उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री और शामली के प्रशासकीय अधिकारी सहित चिकित्सा मुख्य प्रभारी आदि से संपर्क करने की नाकाम कोशिश की है। लेकिन जल्दी ही इस केस के बारे में संबंधित तमाम जिम्मेदार और जवाबदेही मंत्रियों अधिकारियों से भी स्पष्टीकरण और वक्तव्य लेकर जनता के सामने रखे जाएंगे।