चंडीगढ़:- 6 मार्च:- आर के विक्रमा शर्मा/ करण शर्मा/ एनके धीमान:—झारखंड के जमशेदपुर में एक 22 वर्षीय लड़की के साथ 5 दर्जन लोगों द्वारा एक माह तक सामूहिक बलात्कार की घटना ने यूपी के हरदोई जिले के पिछड़े व सरकारी सुविधाओं को तरसते हुए गांव की छोटी बच्ची से लेकर चंबल की दस्यु सरगना बनने वाली सांसद फूलन देवी की दर्दनाक दास्तां की तस्वीर एक बार फिर दिमागी पटल पर उकेर डाली है। दलित परिवार की इस बच्ची की बाल्यावस्था में ही अपने बाप की तकरीबन उम्र बराबर युवक से जबरी शादी कर दी गई थी। पति से लेकर बिहार चंबल के बीहड़ों के बिगड़ैल डकैतों की वासनाओं का शिकार होने वाली फूलन देवी ने अपनी लूट अस्मत का बदला खुद को अबला से सबला बना कर दुनिया में नारी को एक बार फिर अजय शक्ति के रूप में स्थापित किया था। आज फिर नारी के उसी शक्ति स्वरूप की समाज में मांग कदम दर कदम और पल पल हर सांस सांस बढ़ती जा रही है।
आज के दौर में ऐसी कोई भी अमानवीय घटना उजले समाज के आधुनिक परिवेश से गुजरते शिक्षित दौर के मुंह पर कालिख पोतने जैसा है। झारखंड के जमशेदपुर में एक वॉइस वर्षीय लड़की को तकरीबन 30 दिन से भी ज्यादा समय तक जब भी बंधक बनाकर 60 लोगों के हंस के बारे वैसी दरिंदों द्वारा निरंतर बलात्कार करने जैसे जघन्य अपराध ने बिकाऊ मीडिया और भ्रष्ट वर्दी तंत्र सहित न्याय की नपुंसक कारगुजारी ऊपर भी दिल दहलाने वाले प्रश्न चिन्ह लगा डाले हैं। जिगर को बेंधती किस बारदात ने कुकर्म की इंतहा का नंगा चित्र सबके सामने पेश किया है। जो आधुनिक मानवीय समाज के मुंह पर करारा तमाचा मार रहा है।। लानत है, आज के विकासशील और विकसित आंकड़ों से सजे समाज की महती भूमिका सहित लोकतंत्र की चारों पालिकाओं के भीरू बहरूपिया चरित्र पर सवाल दर सवाल दागा रहा है। पीड़ित 22 वर्षीय लड़की 60 दिनों के चुंगल से 30 दिनों बाद भागकर जान बचाने में कामयाब रही संबंधित क्षेत्र के डिप्टी सुपरिटेंडेंट आफ पुलिस यानि डीएसपी ने स्पष्ट किया कि दिल दहला देने वाले और खाकी वर्दी सहित कानून की रक्षा में जुटे जमावड़े सहित बाहुबली समाज की खोखली सोच का पर्याय बने इस घटना की बहुत ही बारीकी से जांच की जा रही है। शर्मनाक है, घटना झारखंड के जमशेदपुर में पूर्वी सिंहभूम जिले की।। 05 दर्जन से भी ज्यादा दरिंदों के गैंग की वासनाओं का 30 दिन लगातार शिकार होती रही यह 22 वर्षीय पीड़िता अपनी लुटी अस्मत और किस्मत को तहस-नहस करने वालों को सजा दिलाने की जद्दोजहद की राह पर अग्रसर है। और जैसे-जैसे खबर समाज के युवा वर्ग में सोशल मीडिया के माध्यम से जंगल की आग की तरह फैल रही है सोशल मीडिया पूरी तरह से लड़की के समर्थन में जुटता चला जा रहा है। और आगे चलकर झारखंड सरकार पुलिस न्यायपालिका की भी मुसीबतें बढ़ने की ओर इशारा कर रही हैं। अनेकों नारी समाज सेवी संस्थाएं बहुत तेजी से इस मामले पर गंभीरता पूर्वक विचार करती दिखाई दे रही हैं। और जल्दी ही सड़कों पर युवा समाज सोए हुए पुलिस तंत्र, प्रशासन और कानून व्यवस्था को झंझोड़ता नजर आएगा।
देखा जाए तो दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में जहां नारी को आदिशक्ति का नाम दिया गया है मुस्लिम समाज सिख समाज और हिंदू समाज ईसाई समाज में नारी का दर्जा हर रूप में सम्माननीय और पूजनीय तस्दीक किया गया है लेकिन शर्म की बात है कि भारत जैसे सहिष्णु पसंद देश में 85 साल की बुढ़िया और 23 बहकी नवजात बच्ची तक को वासना का शिकार बनाने वाले कानून की ही चौखट पर दहाड़ते नजर आते हैं।
निर्भया कांड के बाद तो इस देश में इस तरह की खबरें बिल्कुल समाप्त हो जानी चाहिए थी लेकिन यहां पर शर्मनाक समाज में हालात बिलकुल उलट हैं लगता है हर अबला को अब फूलन देवी से सबक लेना होगा और अपनी लूटी अस्मत का बदला लेने के लिए सर पर कफन बांधकर दरिंदों को मौत के हवाले करना होगा इन दरिंदों के लिए अब यही न्याय के पड़ाव का आखरी दरवाजा साबित होगा। युवा समाज का जब जब खून खौला है तब तब समाज ने एक नए इतिहास की दास्तान लिख डाली है। और आज फिर यही हिंसक गुंडे सरकारी छत्रछाया में और सियासत के पायदान पर खड़े होकर निरीह गरीब असहाय दलित बच्चियों का मान मर्दन कर रहे हैं। ऐसे लोगों को जीते जी अग्नि भेंट करने की कहानियां जल्दी ही दोहराने का वक्त आ गया है। अब कानून मांगने से नहीं। उस को बल से स्थापित करने से स्थापित कर उसका सरंक्षण करना होगा। यह इन वारदातों की चीख चितकारें बयां कर रही हैं।
इस जघन्यतम अपराध की और विशाल -सामूहिक बलात्कार घटना की राज्य सरकार ने किस संज्ञान के तहत रिपोर्ट तलब की है। त्वरित कार्यवाही मुकर्रर की है यह सब जानकारी से परे की बात है। और जिले के पुलिस अधिकारियों ने राज्य के पुलिस महा निरीक्षक को अपनी रिपोर्ट से कब कहां और किस माध्यम से अवगत करवाया है। यह सब सार्वजनिक रूप से स्पष्ट करना चाहिए। ताकि राज्य की जनता में, खासकर दुर्बल व असहाय समाज, दलित समाज में शांति, अभय और कानून की सुव्यवस्था का संदेश जाना चाहिए।
30 दिन 60 लोगों की हवस वासना का शिकार होने वाली इस किस्मत की मारी 22 वर्षीय लड़की को न्याय दिलाने के लिए क्या अब भी लोकतंत्र भारत में भारतीय जनता पार्टी की सरकार के सुशासन में फास्ट ट्रैक कोर्ट सजेगी।। और कोई नेक दरिया दिल जल्लाद इन -60- दरिंदों को फांसी देने की हिम्मत हिमाकत पेश करेगा। या कानून अपनी ही दलदल में धंसकर मूकदर्शक बना रह जाएगा। यह यक्ष प्रश्न इस देश में नहीं समूची धरती पर सदियों से अपने जवाब की राह ताक रहा है।