संत शिरोमणि गुरु रविदास की 644वीं जयंती समारोह में शामिल हुए महामहिम राष्ट्रपति जी

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चंडीगढ़/नई दिल्ली:-23 फरवरी:- अल्फा न्यूज इंडिया डेस्क प्रस्तुति:–नयी दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में श्री गुरु रविदास जी के 644वें जन्मदिवस के उपलक्ष्य पर संत शिरोमणि श्री गुरु रविदास विश्व महापीठ (भारत) का चतुर्थ राष्ट्रीय अधिवेशन कार्यक्रम आयोजित किया गया । कार्यक्रम में महामहिम राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद जी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे । हरियाणा के राज्यपाल श्री सत्यनारायण आर्य व उत्तराखण्ड के राज्यपाल श्रीमती बेबी रानी मौर्य जी भी विशिष्ट अतिथि के तौर पर उपस्थित रहे। जूते बनाने का काम इनका पैतृक व्यवसाय था। ये जूते बनाते समय इतने मग्न हो जाते थे जैसे स्वयं भगवान के लिए बनारहे हो। संत रविदास जी एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने भगवान की भक्ति में समर्पित होने के साथ अपने सामाजिक और पारिवारिक कर्त्तव्यों का भी बखूबी निर्वहन किया। इन्होंने लोगों को बिना भेदभाव के आपस में प्रेम करने की शिक्षा दी, और इसी तरह से वे भक्ति के मार्ग पर चलकर संत रविदास कहलाए। उनकी शिक्षाएं आज भी प्रेरणादायक हैं।

संत शिरोमणि श्री गुरु रविदास विश्व महापीठ (भारत) के चण्डीगढ़ प्रेस सचिव जसपाल सिंह ने बताया कि कार्यक्रम में महामहिम राष्ट्रपति, संत शिरोमणि श्री गुरु रविदास विश्व महापीठ के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष राज्यसभा सदस्य श्री दुष्यंत गौतम, राष्ट्रीय अध्यक्ष रविदासचार्य सुरेश राठौर, अनुसूचित जाति राष्ट्रीय आयोग के चेयरमैन विजय सांपला, पीठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष रविदासचर्य सुरेश राठौर, अनुसूचित जाति आयोग पंजाब के पूर्व चेयरमैन पीठ के राष्ट्रीय महामंत्री राजेश बाघा, पीठ के राष्ट्रीय महामंत्री सूरज कटारिया व सभी वक्ताओं ने कहा कि सन्त शिरोमणि श्री गुरु रविदास जी पूरी मानवता के कल्याण के लिए काम किया व शिक्षा दी ।

 

उनके अनुयायियों में मीरा बाई, सुल्तान सिकन्दर लोदी, राणा सांगा, राजा भोजराज, राजा बैन सिंह सहित अनेक राजा व सभी जातियों के अनुयायी थे । संत शिरोमणि श्री गुरु रविदास जी ने ” ऐसा चाहूँ राज मै, जहाँ मिले सबन को अन्न । छोटे बड़े सम बसे रविदास रहे प्रसन्नं” शब्दों द्वारा सबके कल्याण की बात की है ।

अल्फा न्यूज़ इंडिया न्यूज़ इस अवसर पर संत शिरोमणि गुरु रविदास जी महाराज के अनन्या आस्था वालों को मांगलिक शुभकामनाएं और बधाइयां दीं।

रविदास जन्म के कारनै, होत न कोउ नीच।

नकर कूं नीच करि डारी है, ओछे करम की कीच।।

 इसका अर्थ है कि ‘कोई भी व्यक्ति छोटा या बड़ा अपने जन्म के कारण नहीं बल्कि अपने कर्म के कारण होता है। व्यक्ति के कर्म ही उसे ऊंचा या नीचा बनाते हैं। संत रविदास जी सभी को एक समान भाव से रहने की शिक्षा देते थे।

चंडीगढ़ से जसबीर सिंह मेहता अध्यक्ष चंडीगढ़ , किशन दास उपाध्यक्ष, डॉ.सूरेंदर पाल चौहान महामंत्री, सुरमुख सिंह उपाध्यक्ष, जसविंदर कौर महामंत्री , गुरबाक्स सिंह, सचिव जगतपाल सचिव , सरबजीत कौर सचिव, केवल सिंह विशेष आमंत्रित, बलबीर कौर,राजिंदर कौर,जयकरन , बलविंदर कुमार और जसपाल सिंह प्रेस सचिव ने उपरोक्त कार्यक्रम में भाग लिया ।

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