वक्फ बोर्ड का मालिकाना हक गैर कानूनी करार दिया कोर्ट ने, आरएसएस में खुशी की लहर, कर्फ्यू जारी

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चंडीगढ़/भोपाल:- 18 जनवरी:- अल्फा न्यूज़ इंडिया डेस्क :– मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के कबाड़खाना इलाके में 30,000 वर्ग फीट की जमीन को लेकर दो पार्टियों में लंबे अरसे से विवाद चल रहा था। और इस मामले में अब न्यायालय ने फैसला सुनाया है। न्यायालय में उक्त फैसला राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पक्ष में आया है। और अब इस 30,000 वर्ग फीट जमीन पर संगठन द्वारा तार फेंसिंग की प्रक्रिया जारी है।

विवाद का कारण यह बताया जाता है कि कुछ अरसा पहले कुछ लोगों के संगठन द्वारा वक्फ बोर्ड का अधिकार इस जमीन पर दर्शाया गया था। इस झूठे मालिकाना हक को कोर्ट में चुनौती दी गई थी। मामला शुरू से ही संवेदनशील रहा है। और फैसला आने पर भी इसी कारण उक्त इलाके में कर्फ्यू लगाया गया। इलाके में पुलिस बल और सेना की भी तैनाती की गई। ताकि किसी भी तरह की कोई अप्रिय घटना ना घटे। कर्फ्यू का ऐलान 17 जनवरी को सवेरे 9:00 बजे हुआ था। जो अगले आदेश तक जारी रहने की बात कही जा रही है। यह फैसला किसी भी तरह के विवाद, लड़ाई झगड़े व हिंसक घटना आदि को रोकने के लिए कर्फ्यू का फैसला सभी की सुरक्षा शांति व्यवस्था के लिए किया गया था। भोपाल के कलेक्टर अविनाश  लवानिया ने धारा 144 के तहत हनुमानगंज, गौतम नगर और टीला जमालपुरा थाना क्षेत्रों में कर्फ्यू लागू करने के आदेश जारी किए थे। लोग घरों में बंद हैं। और घरों के ही खिड़कियों से, दरवाजों से ताका झांकी करते हुए पुलिस की और सेना की तैनाती और बंद बाजारों आदि को दूर से ही निहार रहे हैं। किसी को भी घर से बाहर जाने की कोई परमिशन नहीं है।

कर्फ्यू ग्रस्त इलाकों के अलावा भोपाल के अन्य हिस्सों में भी पुलिस बहुत ही मुस्तैदी से चौकन्नी बनी हुई है। हर किसी की हर गतिविधि पर उनकी पैनी निगाह बनी हुई है। खबर लिखे जाने तक किसी तरह की भी कोई हिंसक घटना सामने नहीं आई है। कर्फ्यू में पूरी तरह से सख्ती बरती जा रही है। व्यवसायिक संस्थान, दुकानों में, उद्योगों, कालेज स्कूल सब बंद हैं। हॉस्पिटल और मेडिकल दवाइयों की दुकानें खुली हैं। कोई भी व्यक्ति मेडिकल इमरजेंसी को छोड़ कर घर से बाहर नहीं निकल सकता है। कोर्ट के इस फैसले का आर एस एस ने गर्मजोशी और उत्साह से स्वागत किया है। और कोर्ट के फैसले को सिर माथे पर लिया है। हालांकि कानाफूसी यह भी है कि कोर्ट ने फैसला सुनाने में काफी वक्त लगाया है। लेकिन जो भी फैसला आया है वह सर्वमान्य है।

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