चंडीगढ़/चीका: 05 जनवरी:– अल्फा न्यूज इंडिया डेस्क:—आज मनरेगा मजदूर यूनियन ने ब्लॉक गुहला की यूनियन प्रधान कर्मजीत कौर, पत्रकार ज्ञान गोयल पंजाब केसरी, पत्रकार अजीत सैनी दैनिक भास्कर, सामाजिक कार्यकर्ता नोदी तथा 5 अन्य मनरेगा मजदूरों के खिलाफ बीडीपीओ गुहला द्वारा की गई झूठी शिकायत के आधार पर थाना चीका में दर्ज एफआईआर संख्या 4 दिनांक 4/1/2021 की निष्पक्ष जाँच करके रद्द करवाने की मांग को लेकर देवीलाल पार्क से शहीद उधम सिंह चौक तक प्रदर्शन किया और शहीद उधम सिंह चौक पर धरना दिया. आज के धरना प्रदर्शन की अध्यक्षता मनरेगा मजदूर यूनियन के प्रधान कामरेड पाल सिंह व जिला प्रधान कामरेड जोगिंदर सिंह ने की. बारिश चलती रही लेकिन मजदूर बारिश में भी बीडीपीओ गुहला रोजी मैडम के खिलाफ प्रदर्शन करते रहे. प्रदर्शनकारी मजदूरों में बीडीपीओ द्वारा की गई झूठी शिकायत के आधार पर मनरेगा मजदूर यूनियन के नेताओं व स्थानीय पत्रकारों के खिलाफ संगीन धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किये के खिलाफ गहरा रोष था. आज के धरना प्रदर्शन को मनरेगा मजदूर यूनियन के महासचिव कामरेड फूल सिंह, जिला सचिव कामरेड फकीर चंद, ब्लॉक गुहला के सचिव रामपाल, जन संघर्ष मंच हरियाणा की महासचिव सुदेश कुमारी एडवोकेट, व राज्य सचिव कामरेड सोमनाथ, सामाजिक कार्यकर्ता नोदी, भारतीय किसान यूनियन के हल्का प्रधान हरदीप बदसुई आदि ने संबोधित किया. सभी वक्ताओं ने बीडीपीओ गुहला तथा उसके साथ मिलीभगत करके मनरेगा में मनमानी करने वाले सरपंचों की कड़ी निंदा की. स्थानीय विधायक की भी कड़ी निंदा की गई क्योंकि उन्हें शुरू से ही पता है कि बीडीपीओ गुहला ने मनरेगा मजदूरों के साथ अभद्र व्यवहार किया है और थाना चीका में मनरेगा मजदूरों के खिलाफ झूठी शिकायत दर्ज करवाई है परंतु विधायक ने मजदूरों का पक्ष नहीं लिया और उसके समर्थक सरपंच व आदमियों ने थाना चीका में पुलिस पर राजनीतिक दबाव बनाकर एफआईआर दर्ज करवाई है.
वक्ताओं ने कहा कि दिनांक 18 दिसम्बर 2020 को देवीलाल पार्क चीका में हुए मनरेगा मजदूर यूनियन के ब्लॉक सम्मेलन में ब्लॉक इकाई गुहला का चुनाव हुआ था जिसमें कर्मजीत कौर निवासी भुंसला को ब्लॉक प्रधान तथा सावित्री को उप प्रधान चुना गया था. चुनाव के बाद कर्मजीत कौर व सावित्री तथा अन्य कुछ मजदूरों के साथ मनरेगा काम दिये जाने, बेरोजगारी भत्ता दिये जाने और अन्य समस्याओं का समाधान करवाये जाने बारे निवेदन पत्र देने बीडीपीओ गुहला के दफ्तर में गए थे. दफ्तर में जब कर्मजीत कौर ने बीडीपीओ रोजी मैडम को मनरेगा मजदूरों की समस्याएं बतानी चाही और समस्याओं बारे निवेदन पत्र देना चाहा तो बीडीपीओ महोदया ने न निवेदन पत्र लिया और न बात सुनी और अभद्र व्यवहार किया और मांगों को पूरा करने का आश्वासन भी नहीं दिया. बीडीपीओ महोदया ने कहा कि “मुझे पता है तुम्हारा ‘पेशा’ क्या है? तुम यूनियन के दबाव से मनरेगा काम लेना चाहती हो मैं किसी दबाव में काम नहीं दूंगी और न बेरोजगारी भत्ता दूंगी. मनरेगा कानून के प्रावधान लागू करने मेरे हाथ में हैं मैं जिसे चाहूँ उसे काम दूंगी और जिसे चाहूँ उसे काम नहीं दूंगी. बेरोजगारी भत्ता किसी को नहीं दूंगी.मेरी पावर ऊपर तक है. तुझे सबक सिखा दूंगी.”
कर्मजीत कौर उक्त बीडीपीओ गुहला के द्वारा अभद्र व्यवहार किये जाने के बाद दफ्तर से बाहर आ गयी और बाहर पत्रकारों को बीडीपीओ गुहला द्वारा उनके साथ किये गए अभद्र व्यवहार और मनरेगा मजदूरों की मांगों के बारे में दफ्तर के बाहर विरोध जता कर बताया .19 दिसम्बर के अखबारों में बीडीपीओ गुहला द्वारा मनरेगा मजदूरों के साथ अभद्र व्यवहार करने की खबरें छपी थी और जिसमें उक्त बीडीपीओ की बात छपी थी कि मैंने मनरेगा मजदूरों को काम देने का आश्वासन दिया है और मजदूरों के साथ अभद्र व्यवहार नहीं किया है.
बाद में पता चला कि 24 दिसम्बर 2020 को बीडीपीओ रोजी मैडम ने मनरेगा मजदूर यूनियन की ब्लॉक गुहला की प्रधान कर्मजीत कौर, उप प्रधान सावित्री, पत्रकार ज्ञान गोयल पंजाब केसरी, अजीत सैनी पत्रकार दैनिक भास्कर, सामाजिक कार्यकर्ता नोदी सहित 5 अन्य मनरेगा मजदूरों के खिलाफ झूठी शिकायत कर दी है कि कर्मजीत कौर ने अपनी प्रधान होने का रौब झाड़ा, बुरा भला कहा, मजदूरों को भड़काया, धक्का मुक्की की, सरकारी गाड़ी का घेराव किया आदि आदि. बीडीपीओ रोजी मैडम ने अपनी शिकायत में माना है कि 24 दिसम्बर को उनके दफ्तर के लोगों ने जब 19 दिसम्बर के अखबारों में बीडीपीओ गुहला द्वारा मनरेगा मजदूरों के साथ अभद्र व्यवहार किये जाने संबंधी खबर दिखाई तो वह हैरान हो गई. अगले ही पैरा में वह खुद मानती है कि एक पत्रकार ने फोन करके उनका पक्ष भी पूछा था. असली बात यह है कि अखबार में उनके मजदूर विरोधी रवैये का भेद खुल जाने पर वह बौखला गई और बदला लेने की नीयत से मजदूरों व मीडिया की आवाज दबाने के लिए यह शिकायत की है जबकि वे खुद मनरेगा कानून के उल्लंघन की दोषी हैं.
थाना चीका से सूचना मिलने पर कर्मजीत कौर व उनके साथ यूनियन के वरिष्ठ नेता तथा मौजिज़ आदमी थाना चीका में गये और एसएचओ चीका से मिले और उन्हें बताया कि बीडीपीओ रोजी मैडम ने बिलकुल झूठे व बेबुनियाद आरोप लगाये हैं. कर्मजीत कौर आदि मनरेगा मजदूरों का कोई दोष नहीं है. असल बात यह है कि अभद्र व्यवहार बीडीपीओ ने मजदूरों के साथ किया है. मनरेगा मजदूरों ने किसी प्रकार की धक्का मुक्की या सरकारी गाड़ी का घेराव नहीं किया. शांतिपूर्ण तरीके से अपना विरोध जताया था. बीडीपीओ रोजी मैडम ने दुर्भावना से ग्रसित होकर शिकायत की है. कर्मजीत कौर, कमलेश मैंगड़ा आदि ने यूनियन को उनके गांवों में मनरेगा परिवारों को अप्रैल 2020 में लॉकडाउन के दौरान खाद्य सामग्री की कमी के बारे बताया था और यूनियन के महासचिव ने यह शिकायत जिले के उच्च अधिकारियों के पास की थी. उच्च अधिकारियों ने उक्त बीडीपीओ से जबाब मांगा था और इसने फर्जी जबाब तैयार करके भेजा था कि गरीबों के पास राशन की कोई कमी नहीं है. कर्मजीत कौर आदि ने उक्त बीडीपीओ के गरीब विरोधी रवैये के खिलाफ आवाज उठाई थी इस कारण और बार बार मनरेगा मजदूरों को काम दिये जाने की मांग करने को लेकर वह इनसे रंजिश रखती है. बीडीपीओ गुहला रोजी मैडम ने अपने पद का दुरूपयोग करते हुए मनरेगा मजदूरों के खिलाफ झूठी शिकायत की है. वह चाहती दिनांक 4 जनवरी 2021 को बीडीपीओ गुहला के आदमी (जिनमें अधिकांश गुहला के मौजूदा विधायक के समर्थक सरपंच व मेट हैं) में थाना चीका में आए और पुलिस के ऊपर कर्मजीत कौर आदि के खिलाफ बीडीपीओ गुहला द्वारा की गई उक्त झूठी शिकायत के आधार पर मुकदमा दर्ज किये जाने का दबाव डाला और थाना चीका पुलिस ने दबाव में आकर कर्मजीत कौर आदि के खिलाफ झूठा मुकदमा दर्ज कर दिया है. मनरेगा मजदूर नेताओं ने कहा कि सरपंचों व मेटों का बीडीपीओ के पक्ष में आने का कारण मनरेगा काम देने में मनमानी व गबन करने का है. मनरेगा कानून के अनुसार मनरेगा मजदूरों को काम देने, बेरोजगारी भत्ता देने, मजदूरी भुगतान करवाने आदि की जिम्मेदारी सरपंच और बीडीपीओ की होती है जिसको ये लोग पूरा नहीं कर रहे हैं.सरपंच यदि मजदूरों को मनरेगा काम दे दें तो मजदूरों को बीडीपीओ दफ्तर में आने की जरूरत ही न पड़ती. ये लोग मजदूर विरोधी व दलाल किस्म के लोग हैं.
मनरेगा कानून के अनुसार किसी भी ग्रामीण परिवार को साल में सौ दिन का मनरेगा काम पाने की रोजगार गारंटी मिली हुई है. काम की डिमांड करने पर 15 दिन के अंदर अंदर काम देना होता है और यदि 15 दिन के अंदर काम नहीं दिया जाए तो बेरोजगारी भत्ता दिया जाना चाहिए. ब्लॉक के मजदूरों को काम देने व बेरोजगारी भत्ता देने की कानूनी जिम्मेदारी पंचायती राज संस्थाओं के साथ साथ बीडीपीओ की होती है परन्तु बीडीपीओ गुहला और सरपंच यह काम ठीक से नहीं कर रहे हैं और पहले भी जब मजदूर काम मांगने और बेरोजगारी भत्ता दिये जाने की मांग करने आते हैं तो वे उन्हें धमकाती रही हैं. मजदूर पूछते हैं कि ऐसे में गरीब मजदूर किसको अपनी फरियाद सुनाएँ.
ट्रेड यूनियन एक्ट 1926 के अनुसार कोई भी मजदूर संघ मजदूरों की प्रतिनिधि होती है और यूनियन के पदाधिकारी मालिक या प्रबंधन से मजदूरों की ओर से उनका पक्ष रखने का अधिकार रखते हैं. बीडीपीओ गुहला रोजी मैडम ने यूनियन द्वारा दिए जाने वाले निवेदन पत्र को न लेकर और यूनियन नेताओं के खिलाफ झूठी शिकायत देकर ट्रेड यूनियन एक्ट 1926 का उल्लंघन किया है.
मनरेगा मजदूर इस बात अड़ गये कि डीएसपी महोदय यहीं शहीद उधम सिंह चौक पर आएं और हमारा ज्ञापन लें और मनरेगा मजदूरों को न्याय दिया जाए, बीडीपीओ कार्यालय में लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज लेकर जांच की जाए. निष्पक्ष जांच करके एफआईआर नंबर 4 दिनांक 4 /1/2021 को रद्द करके मजदूरों को न्याय प्रदान करें. दिनांक 18 दिसम्बर को बीडीपीओ गुहला रोजी मैडम द्वारा कर्मजीत कौर के साथ अभद्र व्यवहार किये जाने, मनरेगा कानून 2005 व ट्रेड यूनियन एक्ट 1926 का उल्लंघन किये जाने के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाए.डीएसपी किशोरी लाल तब मौके पर आए निष्पक्ष जांच करने का आश्वासन दिया और कहा कि किसी के भी खिलाफ झूठी शिकायत के आधार पर कार्रवाई नहीं होगी. इसके बाद एसडीएम गुहला के माध्यम से मुख्यमंत्री हरियाणा सरकार, जिला उपायुक्त कैथल, सीईओ जिला परिषद कैथल तथा उनके नाम ज्ञापन सौंपा. एसडीएम महोदया ने मुख्यमंत्री जी व उच्च अधिकारियों को मजदूरों का ज्ञापन प्रेषित करने और अपने स्तर पर भी जांच करने का भरोसा दिया.
मनरेगा मजदूर यूनियन, जन संघर्ष मंच हरियाणा तथा अन्य जत्थेबंदियों से आए नेताओं ने स्थानीय पुलिस प्रशासन को चेतावनी दी कि यदि दस दिन के अंदर मनरेगा मजदूर यूनियन की ब्लॉक गुहला की प्रधान कर्मजीत कौर, उपप्रधान सावित्री, दो पत्रकार भाइयों,सामाजिक कार्यकर्ता नोदी तथा अन्य मनरेगा मजदूरों के खिलाफ दर्ज झूठी एफआईआर रद्द नहीं की जाती और मनरेगा कानून व ट्रेड यूनियन एक्ट 1926 के तहत मजदूरों के अधिकारों का उल्लंघन करने वाली बीडीपीओ गुहला के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जाती है तो जिला स्तर पर आंदोलन किया जाएगा.