चंडीगढ़:-16 जनवरी:-आरके विक्रमा शर्मा /करण शर्मा :–भारतीय सभ्यता और संस्कृति में धर्म की प्रधानता है! और जहां धर्म होगा, वहां समानता, मर्यादा व सहिष्णुता, धर्म परायणता, देश भक्ति इत्यादि गुणों की भरमार रहेगी।
सभी धर्म कर्म मर्म हमारी कर्म भावना की प्रधानता पर निर्मित है। जिस तरह का भी कर्म करेंगे। उसका फल शत प्रतिशत मिलेगा ही। इसीलिए अगर कर्म ही करना है। तो क्यों ना भला कर्म किया जाए । यह विचार पंडित रामकृष्ण शर्मा ने अपने गुरु महाराज ब्रह्मलीन गुरु श्रीश्री 1008 गीतानंद जी महाराज भिक्षु की चरण सेवा में बैठे आस्थावानों से भगवान गणेश चतुर्थी तिथि के मौके पर सांझे किए।
उन्होंने आगे कहा कि आज भगवान गणेश चतुर्थी है अगर कोई भूले से भी भगवान गणपति का स्मरण कर ले तो उसे कई पुण्य बराबर फल मिलता है और अगर भगवान गणेश का ही सिमरन करते हुए किसी सूरदास को किसी वृद्ध को भरपेट खाना खिला दिया जाए तो यह अति उत्तम कार्य है भगवान गणेश सूरदास ओं को नेत्र ज्योति देते हैं। बांझ महिलाओं को संतान देते हैं। और रोगों से ग्रस्त लोगों को निरोगता प्रदान करते हैं। और गणेश भगवान ही अखिल विश्व के भाग्य विधाता कहे जाते हैं। यह वरदान गणपति जी को अपने पिता भगवान शंकर और मां पार्वती से ही मिला था।