चंडीगढ़:- 12 दिसंबर: आरके विक्रमा शर्मा/ करण शर्मा:– किसान सही मायनों में मां धरती का लाल है। और वह पूर्णतया दयावान हैl उसे खुद के लिए किसी की दया की भीख नहीं चाहिए। उसका कर्तव्य है खुद भूखे रहकर अन्न उगा कर दूसरों का पेट भरना है। वह यह भी भेद नहीं करता कि जो उसका दमन कर रहा है। जो उस पर लाठीचार्ज कर रहा है। जो उस पर मुकदमे दर्ज कर रहा है। जो उसे मक्कार कह रहा है। जो उसे आतंकवादी एडेंटीफाई कर रहा है। उसका भी उसने निष्पक्ष और निस्वार्थ भाव से पेट भरना है।। क्योंकि वह धरतीपुत्र है।। आज भारत में धरतीपुत्र सड़कों पर अपने अधिकार की रक्षा के लिए शहीद होने की बाट जोह रहा है।। और सरकार दमनकारी नीति के चलते उसके लिए फांसी का फंदा नुमा बिल लेकर आई है।। किसानों के साथ यह अन्याय की लड़ाई आज की कोई पहली लड़ाई नहीं है।। जब से किसान ने धरती में अन्न उगाना शुरू किया है। उसका शोषण, उसका दमन नाना प्रकार से अबाध रूप से जारी है।।
आधुनिक भारत में प्राचीन काल का किसान जो तब भी और अब भी अन्नदाता ही है। खुद की शहादत का तमाशा कानून की इमारत की सम्मत जाते रास्ते पर खड़ा हो कर देख रहा है।। और उसी अनाज अन्न से पेट भरने वाले सब न्यायाधीश, वकील, पुलिस व सियासत दान और किसानों के कथित कदरदान सब मिलकर आज उसकी अटूट अथक मेहनत के साथ-साथ उसकी मां धरती को भी पद दलन कर रहे हैं।।
आज हाड़ मांस कंपाने वाली कड़ाके की सर्दी में अन्नदाता किसान अपने घर परिवार से दूर अपने बूढ़े मां बाप और अपनी औलाद अपने छोटे-छोटे बच्चों को घर परिवार मैं नीली छतरी वाले की छत्रछाया में छोड़कर सड़कों पर तकरीबन 8 हफ्तों से ठिठुर रहा है हाथ उठा उठा कर कानून बनाने वालों से अपनी मां धरती की हिफाजत की दुहाई मांग रहा है और निष्ठुर शासन का तंत्र मंत्र यंत्र उसका उपहास उड़ा रहा है और उसके विनाश की नई कहानी लिखने जा रहा है।। शर्म और इंसानियत को भी लोन देने वाली घटना आज की और पुरानी पीढ़ी देखकर कांप उठती है। जब कड़ाके की सर्दी की रात में किसानों पर ठंडे पानी की बौछारें होती हैं। और दिन भर खूब लाठी चार्ज किया जाता है। हद तो तब हो जाती है कि उनको पीने का पानी मुहैया करवाने वाले टैंकरों को “बड़ी सरकार” के कहने पर “दिल्ली पुलिस” जबरदस्ती वापिस भेज देती है। लेकिन यहां एक मजेदार और गौरवमई बात “”अल्फा न्यूज़ इंडिया”” बखूबी शुमार कर रहा है कि इस वक्त हरियाणा की सड़कों पर कड़ाके की सर्दी में लाखों की तादाद में डेरा डाले किसान सुरवीरों की धरती पंजाब के हैं! यह पंजाब के सरदार किसान देश का स्वाभिमान हैं! रक्षक हैं, अन्नदाता हैं। लेकिन आज सरकार जो सत्तासीन है, को छोड़कर पूरा देश एकजुटता के साथ इनके साथ खड़ा है।
कोई टांडा होशियारपुर से बदामों की बोरियां भरकर आंदोलनकारी किसानों में बांट रहा है। तो दूसरी ओर, विदेशी धरती मुस्लिम मुल्क कुवैत आदि से शुद्ध देसी घी की बेहतरीन ब्रांडेड क्वालिटी की पिनियां लाखों की तादाद में किसानों में और किसानों पर लाठी भांजते पुलिस बल में और इन सड़कों से गुजरने वाले लोगों में वितरित करवा रहे हैं।।तो किसी ने कपड़े धोने की बेशकीमती महंगी फुली ऑटोमेटिक मशीनें इनको मुहैया करवाई हैं। तो अनेकों ने देसी पानी गर्म करने वाले गीजर लगवाए हैं।। ऐसे में अगर सरकार ओछी हरकतें करते हुए, पीने का पानी के टैंकर रोकती है। तो यह उसकी भूल है कि यह सूरमें पंजाबी किसान अगली सवेर को खुद के खुदे हुए कुओं से पानी भरकर पीने वाले हैं।। और खुद हैंड पंप का रातो रात बोर करके सवेरे ताजा और निरोगी पानी पीने की क्षमता रखते हैं।।