चंडीगढ़ / नई दिल्ली: 24 नवंबर – आर के विक्रम शर्मा / सुमन वैश्ववान: —- देश में पैठ कई नकारात्मक कार्रवाई को लेकर सर्वोच्च न्यायालय सरकारी तंत्र पर बुरी तरह खफा होने से कोई गुरेज नहीं बरत रहा है। इसीलिए सुप्रीम कोर्ट की देशवासियों में साख और मान इज्जत बढ़ रही है। जनता का सर्वोच्च न्यायालय और अन्य न्यायालयों के न्यायाधीशों के प्रति विश्वास सम्मान का भाव बढ़ना स्वाभाविक है। हाल ही में दिल्ली सरकार पर न्यायालय ने खफा होते हुए पूछा कि शादियों में कोविड -19 के कारण बारातियों की संख्या कम करने को लेकर इतनी देरी क्यों बरती गई है। । न्यायालय की यह सख्ती दूसरे प्रांतों में भी प्रभावशाली असर और वहाँ भी बारातों की लोगों की संख्या को कम करने को लेकर सरकार संजीदगी से सोचेगी। और कार्यवाही भी करेगी। ताकि सबका विश्वास पुख्ता रहे।
पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने हाल ही में एक सख्त आदेश देते हुए कहा कि रिश्तेदारी में विवाह शादी किसी भी सूरते हाल मान्य नहीं होगी। एक याचिका पर यह शख्स टिप्पणी करते हुए माननीय न्यायधीश ने कहा कि सगे संबंधियों में विवाह बंधन कभी भी स्वीकार्य नहीं होंगे। न्यायाधीश ने कहा कि ताऊ, चाचा व बुआ, मामा और मौसी सगे रिश्तों के बच्चों की आपस में शादियां स्वीकार्य रहेंगी। न्यायालय ने यह टिप्पणी उस वक्त आदेश करते हुए कही जब नाबालिग लड़का अपनी चचेरी बहन के साथ लिव इन रिलेशन में रहते हुए शादी की इजाजत मांग रहा था।। उक्त याचिकाकर्ता की आयु महज 17 वर्ष ही है। इस नाबालिग याचिका दायर करने वाले युवक ने न्यायालय में लिखती रूप में दलील दी थी कि जब वह 18 वर्ष का हो जाएगा। तभी अपनी चचेरी बहन से शादी करेगा लेकिन कोर्ट ने सख्ती से स्पष्ट करते हुए कहा कि तब भी यह शादी गैरकानूनी ही रहेगी।। न्यायालय के इस आदेश की सर्वत्र प्रशंसा हो रही है।