चंडीगढ़ / अबोहर: – 12 नवंबर: – आर के विक्रम शर्मा / धर्मवीर शर्मा राजू: —- दीपों का त्यौहार शनिवार को देश में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी पूरी तरह आस्था और श्रद्धा के साथ मनाया जाएगा ! कोविड -19 और सर्दी का बढ़ता प्रकोप दिवाली के मौके पर वायु ध्वनि प्रदूषण से सभी को बुरी तरह से प्रभावित कर सकता है। इसीलिए समय रहते सरकारी स्तर पर जारी की जाने वाली तमाम घोषणाओं को सुनकर अक्षरत उनका पालन करना चाहिए।
दीपावली पर डाक्टरों की सलाह- अस्थमा व एलर्जी के मरीज पटाच्छों की धुएं से दूर रहें ।दीपावली पर अस्थमा के रोगी सांस लेने में समस्या आते ही इन्हेलर के दो-तीन पफ तुरंत लें।
कोरोना काल में पटाखों से उठने वाला धुआँ लोगों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। वहीं, इन दिनों पराली को आग लगाए जाने से पर्यावरण में प्रदूषण का जहर घुल रहा है। हवा में मौजूद दूषित कण अस्थमा व टीबी के रोगियों के लिए घातक हैं। सब के मरीज भी इस समस्या से अछूते नहीं हैं। तेज आवाज वाले पटाखें बहरेपन का कारण बन सकता है। ऐसे में इन समस्याओं से पीड़ित लोगों को दीवाली पर विशेष सतर्कता बरतने की जरूरत है।
,,, टीबी अधिकारी डाॅ। ने कहा कि पटाखों से निकलने वाली नाइट्रोजन आक्साइड, फफोरस, कार्बन डाईआक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड और सल्फर डाइआक्साइड जैसी जहरीली गैसें छाती व फेफड़े से जुड़ी बीमारियों को बढ़ावा देती हैं। दीपावाली के बाद ऐसे रोगियों की संख्या में 10-15 फीसद तक का इजाफा होता है।टीबी, अस्थमा व एलर्जी के मरीजों को पटाखों के धुएं से बचने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि ऐसे मरीजों को दीपावली से पहले ही घरों से बाहर न निकलने की सलाह दी गई है।
साँस लेने में समस्या का सामना: —-
उन्होंने कहा कि इन रोगियों को हवा में मौजूद दूषित कणों की वजह से फेफड़े में सूजन हो सकती है। इस कारण उन्हें सांस लेने में कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है। समस्या से निजात पाने के लिए मरीजों को इन्हेलर हमेशा अपने पास रखना चाहिए। साँस लेने में समस्या आने पर इन्हेलर के दो-तीन पफ तुरंत लेने चाहिए। इसके अलावा अस्थमा और टीबी के रोगियों को डाक्टर की सलाह के अनुसार रुतीन में दवा खानी चाहिए। इन रोगियों के फेफड़े कमजोर होते हैं। दवा छोड़ने से समस्या विकराल रूप धारण कर सकती है। अस्थमा, टीबी और सभी के रोगियों को पटाखों से दूर रहना चाहिए। उन्हें पटाखा चलाने वाले व्यक्ति से कम से कम सात फीट की दूरी बनाकर रखनी चाहिए। मास्क का प्रयोग भी आवश्यक है।
डेसीबल वाले पटाखे कान के लिए गर्भवती महिलाओं: —— ई और रोग की मदद डा। संजीव शर्मा कम आवाज वाले पटाखे कानों के सुरक्षित मानते हैं। उन्होंने कहा कि 110 डेसीबल वाले पटाखे कान के पर्दे के लिए हानिकारक हैं। दीपावली के बाद एक सप्ताह के भीतर ओपीडी में 4-5 रोगी ऐसे आते हैं जिनके कान में समस्या हो जाती है।
चंडीगढ़ सेक्टर 20 की सरकारी डिस्पेंसरी के मेडिसिन के डॉ जेपी बंसल ने कहा कि दीपावली पर चारों ओर ध्वनि और वायुमंडल फैला होता है। जहाँ तक संभव हो सके, घरों के भीतर रहें ।। और ऐसे प्रदूषित वातावरण में खड़े होने का परहेज करें और अगर कोई भी सूरते हाल पटाखे फुलझिरियों आदि चल रहा है तो ही। तो कॉटन के कपड़े पहनकर और मुंह पर भी कॉटन का मुखौटा लगाना जरूरी है। तो वायु प्रदूषण से सांस आदि की बीमारी ना पनप उठे और उस वक्त भी आप को सांस लेने में कठिनाई ना आए। पटाखा जी के दोहे से जिन लोगों को इस प्रकार की सभी है वह तो इन चार्टररों से बिल्कुल बहुत सुरक्षित खड़े रहने और नज़र पर भी सामान्य चश्मा लगाते हैं तो आँखों को हर प्रकार की हानि से लगभग 70 जा सकता है।