चंडीगढ़/ दिल्ली:– 11 नवंबर:– अल्फा न्यूज़ इंडिया डेस्क:– सुप्रीमकोर्ट ने अर्णब गोस्वामी जमानत याचिका की सुनवाई के दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, ‘यदि हम एक संवैधानिक न्यायालय के रूप में व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा नहीं करेंगे, तो कौन करेगा?
अगर राज्य सरकारें किसी व्यक्ति को जानबूझकर टारगेट करती हैं, तो उन्हें पता होना चाहिए कि नागरिकों की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए शीर्ष अदालत है.’
इस दौरान कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार पर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि *अगर राज्य सरकारें किसी को टारगेट करती हैं, तो यह न्याय का उल्लंघन होगा।*
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र सरकार को सलाह देते हुए कहा, ‘हमारा लोकतंत्र असाधारण रूप से लचीला है। महाराष्ट्र सरकार को इस सब (टीवी पर अर्नब गोस्वामी के तानों) को नजरअंदाज करना चाहिए। *’ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, ‘मैं अर्नब का चैनल नहीं देखता और आपकी विचारधारा भी अलग हो सकती है, लेकिन कोर्ट अभिव्यक्ति की आजादी की रक्षा नहीं करेगा तो यह रास्ता उचित नहीं है।’*
जस्टिस चंद्रचूड़ ने महाराष्ट्र पुलिस से पूछा, ‘अगर उन पर पैसा बकाया है और कोई आत्महत्या करता है, तो क्या यह अपहरण का मामला है? क्या यह कस्टोडियल पूछताछ का मामला है? अगर एफआईआर अभी भी लंबित है तो क्या उसे जमानत नहीं दी जाएगी?’
सुनवाई के दौरान अर्नब गोस्वामी की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश सीनियर वकील हरीश साल्वे ने इस मामले में सीबीआई जांच की मांग की। उन्होंने जमानत पर बहस के दौरान कहा कि द्वेष और तथ्यों को अनदेखा करते हुए राज्य की शक्तियों का दुरुपयोग किया जा रहा है। हम एफआईआर के चरण से आगे निकल गए हैं। *इस मामले में मई 2018 में एफआईआर दर्ज की गई थी। दोबारा जांच करने के लिए शक्तियों का गलत इस्तेमाल किया जा रहा है।*