चंडीगढ़:- 12 अक्टूबर:- आरके शर्मा विक्रमा :–आगामी 17 अक्टूबर शनिवार दिवस को कार्तिक मास के शारदीय नवरात्रों का प्रारंभ हो रहा है।नवदुर्गा के 9 दिन नवरात्रि 39 अधिष्ठात्री देवी यों की पूजा अर्चना और सीधी सिद्धि सिद्ध करने का सुअवसर होता है इन 9 दिनों में साल भर से प्रतीक्षारत ध्यानी, ज्ञानी, योगी, सिद्ध, साधु व महात्मा संत फकीर सभी अपने अपने मनोरथ सिद्ध करने के लिए कार्तिक मास के नवरात्रों की बेसब्री से प्रतीक्षा करते हैं। नवरात्रों में बड़ी दुर्लभ से दुर्लभ चीजों को सिद्ध करने के योग होते हैं। और सिद्धियों की दात्री मां बड़ी सहजता सरलता से प्रसन्न होकर अद्वितीय वरदान देती हैं। इसीलिए इन नवरात्रों में पूजा-पाठ, अर्चना, धर्म कार्य में प्रवृत्त रहने का विशेष महत्व कहा जाता है। लेकिन जरूरी नहीं कि हर आम जनमानस भी इन सिद्ध पुरुषों व उपासकों की तरह मां की पूजा अर्चना बड़े संयम, समर्पण स्वच्छता और निष्ठा के साथ संपन्न कर सकें। भाग- दौड़ भरी जिंदगी में समय के अभाव के चलते नवरात्रि माता के विभिन्न स्वरूपों की उनके श्लोक मंत्र जो सरल और सहज कंठस्थ हो जाते हैं और बहुत कर्णपय सम और आत्मबोध देने वाले होते हैं इन श्लोक-मंत्र और पाठ न कर सकें तो ये नौ देवियों के नौ बीज मंत्र हैं। उक्त पवित्र ओजस्वी मंत्रों का 108 बार जप करने से देवी मां के शुभ व सार्थक प्रभावदायी अनुकंपा भरे आशीर्वाद फलीभूत होते हैं। कार्तिक मास के नवरात्रों में सर्वप्रथम नवरात्रा माता शैलपुत्री जी का होता है। और मां शैलपुत्री का श्लोक मंत्र इस प्रकार है,” ह्रीं शिवायै नम:”। दूसरे नवरात्रि की स्वामिनी अधिष्ठात्री देवी मां ब्रह्मचारिणी का श्लोक मंत्र : “ह्रीं श्री अम्बिकायै नम:” किसी नवरात्रि देवी मां चंद्रघंटा का श्लोक मंत्र “ऐं श्रीं शक्तयै नम:” है।।
शारदीय नवरात्र की चौथी नवरात्रि माता कुसमुंडा जी कुष्मांडा जी का श्लोक मंत्र “ऐं ह्री देव्यै नम:” है। स्कंदमाता जी शारदीय नवरात्रों की पांचवीं अधिष्ठात्री देवी हैं जिनका श्लोक मंत्र :- “ह्रीं क्लीं स्वमिन्यै नम:” है।। देवी कात्यायनी जी कार्तिक शारदीय नवरात्रों की छठी अधिष्ठात्री देवी का श्लोक मंत्र : “क्लीं श्री त्रिनेत्रायै नम:”है।और शारदीय नवरात्रों की मां कालरात्रि जी साथ में अधिष्ठात्री देवी का मंत्र : “क्लीं ऐं श्री कालिकायै नम:”है। शारदीय नवरात्रों की आठवीं देवी मां महागौरी का श्लोक मंत्र: “श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नम:”है। और अंत में कार्तिक मास की शारदीय नवरात्रि की मां सिद्धिदात्री नवीं देवी का श्लोक मंत्र : “ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम:”है। ||∆||
अगर मां के आस्थावान भक्तजन किन्ही कारणों से नवरात्रि व्रत और संपूर्ण विधि विधान से पूजा अर्चना आदि आयोजन में नाकाम रहते हैं असमर्थ रहते हैं तो 9 दिन माता की अखंड ज्योति का विधि विधान से आयोजन करें । नवदुर्गा मां के स्वरूप चाहे वह प्रतिमा है या तस्वीर है के आगे सुबह शाम धूप दीप नैवेद्य और समर्थ मुताबिक फल भोज्य पदार्थ आदि का भोग लगाएं। और मां का ध्यान करते हुए मां के श्लोक मंत्रों का तीन बार से लेकर जहां तक मन और समय प्रबल रहे, जाप करना चाहिए। हो सके तो 9 दिन गरीब लाचार छोटी कन्याओं को फलादि वितरित करें। समर्थ मुताबिक भोजन करवाएं। वस्त्र आदि भी दें। और इन सबके साथ दक्षिणा का जरूर वितरण आयोजन करें। मां सदैव प्रसन्न होकर आपके घर में धन-धान्य, सुख वैभव, शांति व सुरक्षा, समृद्धि और स्वास्थ्य का लाभ देंगी।।