सच्चे समूचे इतिहास से वंचित कर दिया राजनीति के धूर्त धोखेबाजों ने

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चंडीगढ़ 15 अगस्त : आरके शर्मा विक्रमा:— आज महाराष्ट्र समूचा देश 74 वें स्वतंत्रता दिवस की वर्षगांठ मिले-जुले मोर के साथ मना रहा है जहां आजादी पाने की असीम खुशी है वही कोरोना वायरस जैसी वैश्विक महामारी शेर लाखों लोगों के संक्रमित होने का दुख और हजारों लोगों के अकाल मृत्यु का शिकार होने का मातम ही मनाया जा रहा है देश को मुसलमानों और फिर अंग्रेज जाओ की गुलामी से आजादी दिलवाने के लिए भारत माता के वीर सूरमा उन्हें हंसते-हंसते फांसी के रस्सी चूमे हैं और आशा है यातनाएं झेली हैं यही बस नहीं होती है अंग्रेजों की कहर बरसाती नीतियां भी बेबसी में खूब सहन की हैं आजादी दिलाने में नरम दल और गरम दल सक्रिय थे पर यह आजादी गरम दल की बदौलत ही मिली है गरम दल के देशभक्तों ने सीने पर गोलियां खाई हैं फांसी के फंदे को चूमा है और अपने घर परिवारों के सदस्यों को बेवजह दर्दनाक मौत के मुंह में जाते देखा है नेताजी सुभाष चंद्र बोस बंकिम बाबू लाल बाल पाल भगत सिंह राजगुरु सुखदेव चंद्रशेखर आजाद झांसी की रानी लक्ष्मीबाई तात्या टोपे जैसे हजारों देशभक्तों ने अंग्रेजों से आखरी दम तक लोहा लिया है। लेकिन देश के आजादी के बाद युवा और भावी पीढ़ियों को आज तक गुमराह करने वाला इतिहास पढ़ाया जाता है। यह शर्मनाक क्रम अबाध रूप से जारी है। ठीक वैसे ही जैसे सांसदों को विधायकों को टेलीफोन के लिए हजारों रुपए का भत्ता दिया जाता है।।

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