चंडीगढ़: – 6 जुलाई: अल्फा न्यूज इंडिया डेस्क: – इस बर्ष सावन का महीना 6 जुलाई से शुरू हो रहा है, जिसके दौरान पांच साल का समय होगा। आगामी 03 अगस्त को सोमवार के साथ इस पावनी माह का समापन हो जाएगा।
हिंदू कैलेंडर के पांच महीने का नाम सावन है। यह महीना आषाढ़ के बाद और भाद्रपद के पहले आता है। इस महीने से ही वर्षा ऋतु की शुरुआत हो जाती है। काशी के ज्योतिषाचार्य और धर्म के जानकार पं। गणेशिश ने बताया कि हिंदू पंचांग में सभी महीनों के नाम नक्षत्रों पर आधारित हैं। हर महीने की पूर्णिमा को चंद्रमा जिस नक्षत्र में होता है उस महीने का नाम उसी नक्षत्र के पर रखा गया है। श्रवण नाम भी श्रवण नक्षत्र पर आधारित हैं। सावन माह की पूर्णिमा को चंद्रमा श्रवण नक्षत्र में रहता है। इसलिए प्राचीन ज्योतिषियों ने इस महीने का नाम श्रावण रखा है। सावन माह की पूर्णिमा तिथि पर श्रवण नक्षत्र के संयोग में रक्षाबंधन पर्व मनाया जाता है।
• इस महीने के देवता शुक्र हैं और भगवान शिव के साथ इस महीने में भगवान विष्णु के श्रीधर रूप की पूजा करनी चाहिए। इसलिए सावन माह में इनकी ही पूजा और व्रत करने का महत्व बताया गया है। इस महीने में भगवान शिव, विष्णु और शुक्र की उपासना के दौरान कुछ नियमों को भी ध्यान में रखना चाहिए। जैसे पूरे महीने पत्तों की सतर्कता नहीं करनी चाहिए। सात्विक भोजन करना चाहिए। मांसाहार और हर तरह के नशे से दूर रहना चाहिए। इस महीने में ज्यादा मसालेदार भोजन से भी बचना चाहिए। इसके साथ ही ब्रह्मचर्य के नियमों का पालन करना चाहिए। सावन माह में भगवान शिव के साथ विष्णु जी के अभिषेक का भी बहुत महत्व है। सावन में शुक्र और भगवान विष्णु की पूजा करने से दांपत्य सुख बढ़ता है।
स्कंदपुराण के अनुसार जरुर करें: —-
स्कंदपुराण के अनुसार सावन माह में एकभुक्त व्रत करना। यानी एक समय ही भोजन करना चाहिए। इसके साथ ही पानी में बिल्वपत्र या आंवला डालकर 22 आना चाहिए। इससे जाने-अनजाने में हुए पाप खत्म हो जाते हैं। इस महीने के दौरान भगवान विष्णु का वास जल में होता है। इसलिए इस महीने में तीर्थ के जल से स्नान का बहुत महत्व है। मंदिरों में या संतों को वस्त्र का दान देना चाहिए। इसके साथ ही चांदी के बर्तन में दूध, दही या पंचामृत का दान करें। तांबे के बर्तन में अन्न, फल या अन्य खाने की चीजों को रखकर दान करना चाहिए।
घर में धार्मिक वातावरण बनाए रखने के लिए भगवान विष्णु जी और भगवान शिव जी आदि के महा मंत्रों का आठो पहर गुणगान प्रसन्नायमन रखने से घर में सकारात्मक उर्जा का प्रचार और प्रसार प्रखर होता है। धर्मप्रज्ञ पंडित रामकृष्ण शर्मा जी ने बताया कि इस मास श्री विष्णु जी के या श्री भगवान शिव जी के ध्यान में चिर मगन रहने से कई कूलों का उद्धार हो जाता है। और दिव्य प्राणी को श्री शिव जी का धाम वास प्राप्त होता है ।। यह मास श्री विष्णु जी सहित भगवान शिव को भी अति प्रिय है ।। इस मास में भगवान शिवलिंग का जलाभिषेक विशेष प्रिय स्थान रखता है ।। भगवान श्री विष्णु जी को पवित्र नदियों का जलाकर जलाभिषेक करना चाहिए और भगवान को तुलसी पत्र डालकर ही महा भोग लगाना चाहिए इससे भगवान तृप्त होते हैं और भक्तों को विशेष अनुकंपा से अनुग्रहित करते हैं। समाजसेवी और धर्म में रक्त पंडित रामकृष्ण शर्माने बताया कि भगवान शिव को इस मास में बिल्व पत्र और बिल्व फल विशेष प्रिय हैं। अतः भगवान शंकर पर बिल्व पत्री अभिषेक करने का विशेष महत्व है। बिल्व फल को धरती पर आंवला के बाद दूसरा अमृत फल का दर्जा प्राप्त है। जो भगवान शिव को अति प्रिय है।
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