चंडीगढ़:- 9 मई;- आर के शर्मा विक्रमा// करण शर्मा:– आज भगवान श्री विष्णु जी के परम प्रिय भक्त शिरोमणि और ब्राहमा जी के 59 मानस पुत्रों में से एक जो कि गोद से उत्पन्न हुए थे नारद महाराज जी का आज के ही दिन विद्या की देवी मां सरस्वती से जन्म हुआ था। नारद जी ही सृष्टि के एकमात्र देव हैं, जो तीन लोक में धरती आकाश व पाताल लोक में सशरीर स्वेच्छा से विचरण करते हैं। और नारद जी को सुर और असुर दोनों का सम्मान स्नेह और मार्ग दृष्टा विश्वास सुपात्र का स्थान प्राप्त है।। नारद जी भगवान श्री विष्णु जी का सदैव नारायण नारायण का उच्चारण करते हुए तीनों लोगों की हर प्रकार की जानकारी लगते हैं और परस्पर एक दूसरे के संदेशवाहक बनकर श्रेष्ठ पत्रकारिता का उदाहरण भी रचते हैं।।
ब्रह्मा जी की संतानें : विष्वकर्मा, अधर्म, अलक्ष्मी, आठवसु, चार कुमार, 14 मनु, 11 रुद्र, पुलस्य, पुलह, अत्रि, क्रतु, अरणि, अंगिरा, रुचि, भृगु, दक्ष, कर्दम, पंचशिखा, वोढु, नारद, मरिचि, अपान्तरतमा, वशिष्ट, प्रचेता, हंस, यति आदि मिलाकर कुल 59 पुत्र थे ब्रह्मा के।
ब्रह्मा के प्रमुख मनु संतानें :–
1. मन से मारिचि।
2. नेत्र से अत्रि।
3. मुख से अंगिरस।
4. कान से पुलस्त्य।
5. नाभि से पुलह।
6. हाथ से कृतु।
7. त्वचा से भृगु।
8. प्राण से वशिष्ठ।
9. अंगुष्ठ से दक्ष।
10. छाया से कंदर्भ।
11. गोद से नारद।
12. इच्छा से सनक, सनन्दन, सनातन और सनतकुमार।
13. शरीर से स्वायंभुव मनु और शतरुपा।
14. ध्यान से चित्रगुप्त का ।यह ब्रह्मा जी के 14 मनु संतानें थीं ।। साभार नामवली।।