आरटीआई एक्टिविस्ट के आगे घुटने नहीं टेकेगा एसबीआई प्रबंधन

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आरटीआई एक्टिविस्ट के आगे घुटने नहीं टेकेगा एसबीआई प्रबंधन 

चंडीगढ़ /नईदिल्ली ; 7 मई ; आरके विक्रमा शर्मा /सुमन वैदवान ; देश के अग्रणी बैंक स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया ने अपने कुछ उपभक्ताओं की नींद में खलल डालने वाली  घोषणा की है ! इसके अनुसार अब निलंबित बैंक खातों  में कई कारणों  से छुपाई गई बैंक की धन राशि के चलते उसकी जानकारी सार्वजनिक नहीं की जा सकती ! उक्त खातो में उन बैंक खाता  धारकों के बयाज की धनराशि  रखी जाती है जो इनका ब्यौरा किसी से साँझा नहीं करते हैं ! भले ही इसमें धार्मिक कारण सबब बनते हैं ! बैंक के शीर्ष प्रबंधन के हवाले से ये भी जानकारी हस्तगत हुई है कि बैंक ऐसी डाटाबेस इंफॉरमेशन नहीं रखता है ! उदाहरण के लिए कोई राइट टू इन्फॉर्मेशन के तहत जानकारी मांगता है ये उसका अधिकार है पर बैंक को ऐसी जानकारी जुटाने में खूब पापड़ बेलने पड़ते हैं ! तब जाकर ऐसी विस्तृत जानकारी मिलती है ! बैंक ने आरटीआई के तहत जानकारी मांगने वाले को लिखती जवाब देते हुए स्पष्ट किया कि आरटीआई एक्ट की धारा 7 [9 ]के तहत आवेदक द्वारा मांगी जा रही जानकारी हेतु बैंक को इसके लिए खूब बैंक संसाधन काम में प्रयुक्त करने पड़ेंगे जोकि बैंक जैसे कार्यशील अदायरे 

के लिए कतई आसान नहीं है ! उक्त धारा की बदौलत ही ऐसी जानकारी नहीं दे सकने के लिए प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता ! इस प्रक्रिया में बैंक  रिकॉर्ड की हिफाजत और मेंटेन रखने के लिए बड़ी जद्दोजहद करनी आम बात नहीं होती है ! आरबीआई के पूर्व में छपे जर्नल के मुताबिक  देश में इंटरस्ट के शक्ल में मिलने वाली करोड़ों की धनराशी निलंबित खातों में ही सुरक्षित रखी जाती है ! कड़वा सच ये भी हैं उक्त राशि का अगर देश कल्याण हेतु उपयोग हो सके तो बहुत लाभ देश की झोली में पड़ेगा ! लेकिन हो सकता बैंक की अपनी शर्तें और नियमावली हों !! 


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