हमारे संस्कार ही हमारे भविष्य को करते हैं प्रस्थापित

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चंडीगढ़ 11 अगस्त अल्फा न्यूज इंडिया डेस्क:– शादी की सुहागसेज पर बैठी एक स्त्री का पति जब भोजन की थाल लेकर अंदर आया तो पूरा कमरा उस स्वादिष्ट भोजन की खुशबू से भर गया ।रोमांचित उस स्त्री ने अपने पति से निवेदन किया कि मांजी को भी यही बुला लेते तो हम तीनों साथ बैठ कर भोजन करते।

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पति ने कहा छोड़ो उन्हें वो खाकर सो गई होगी आओ हम साथ मे भोजन करते है प्यार से… उस स्त्री ने पुनः अपने पति से कहा कि नही मैंने उन्हें खाते हुए नही देखा है,तो पति ने जवाब दिया कि क्यो तुम जिद कर रही हो शादी के कार्यो से थक गयी होगी इस लिए सो गई होगी, नींद टूटेगी तो खुद भोजन कर लेगी। तुम आओ हम प्यार से खाना खाते है।
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उस स्त्री ने तुरंत तलाक लेने का फैसला कर लिया औऱ तलाक लेकर उसने दूसरी शादी कर ली औऱ इधर उसके पहले पति ने भी दूसरी शादी कर ली। दोनों अलग अलग सुखी घर-गृहस्ती बसा कर खुशी-खुशी रहने लगे।

इधर उस स्त्री को दो बच्चे हुए जो बहुत ही सुशील औऱ आज्ञाकारी थे। जब वह स्त्री 60 वर्ष की हुई तो वह बेटो को बोली, मैं चारो धाम की यात्रा करना चाहती हूँ ताकि तुम्हारे सुख मय जीवन की प्रार्थना कर सकूं। बेटे तुरंत अपनी माँ को लेकर चारो धाम की यात्रा पर निकल गये।एक जगह तीनो माँ बेटे भोजन के लिए रुके औऱ बेटे भोजन परोस कर माँ से खाने की विनती करने लगे।
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उसी समय उस स्त्री की नजर सामने एक फटेहाल, भूखे औऱ गंदे से वृद्ध पुरुष पर पड़ी जो इस स्त्री के भोजन और बेटों की तरफ बहुत ही कातर नजर से देख रहा था। उस स्त्री को उस पर दया आ गई औऱ बेटो को बोली जाओ पहले उस वृद्ध को नहलाओ औऱ उसे वस्त्र दो फिर हम सब मिल कर भोजन करेंगे।
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बेटे जब उस वृद्ध को नहला कर कपड़े पहना कर उस स्त्री के सामने लाये तो वह स्त्री आश्चर्य चकित रह गयी, वह वृद्ध वही था जिससे उसने शादी की सुहाग रात को ही तलाक ले लिया था। उसने उससे पूछा कि क्या हो गया जो तुम्हारी हालत इतनी दयनीय हो गई, उस वृद्ध ने नजर झुका कर कहा कि सब कुछ होते भी मेरे बच्चे मुझे भोजन नही देते थे, मेरा तिरस्कार करते थे मुझे घर से बाहर निकल दिया।
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*उस स्त्री ने उस वृद्ध से कहा कि इस बात का अंदाजा तो मुझे तुम्हारे साथ सुहाग रात को ही लग गया था जब तुमने पहले अपनी बूढ़ी माँ को भोजन कराने की बजाय उस स्वादिष्ट भोजन का थाल लेकर मेरे कमरे में आ गए थे, औऱ मेरे…. बार-बार कहने के बावजूद भी आप ने अपनी माँ का तिरस्कार किया। उसी का फल आज आप भोग रहे है।* 🎖

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