गिद्ध. बच्ची – – मुजफ्फरपुर __बच्चे – – – पब्लिक प्रैस – – – पुलिस – – – परोपकार – – – हत्यारे –  – – तमाशबीन हैं सारे 

Loading

चंडीगढ़ : 20 जून : अल्फा न्यूज इंडिया डेस्क :—-गिद्ध. बच्ची – – मुजफ्फरपुर __बच्चे – – – पब्लिक प्रैस – – – पुलिस – – – परोपकार – – – हत्यारे –  – – तमाशबीन हैं सारे

यह पहली तस्वीर याद है आपको ?

इसे नाम दिया गया था “The Vulture and the little girl “…

इस तस्वीर में एक गिद्ध भूख से मर रही एक छोटी लड़की के मरने का इंतज़ार कर रहा है। इसे एक साउथ अफ्रीकन फोटो जर्नलिस्ट केविन कार्टर ने 1993 में सूडान के अकाल के समय खींचा था और इसके लिए उन्हें पुलित्जर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। लेकिन कार्टर इस सम्मान का आनंद कुछ ही दिन उठा पाए, क्योंकि कुछ महीनों बाद 33 वर्ष की आयु में उन्होंने अवसाद से आत्महत्या कर ली थी।

(((((“ऐसा क्या हुआ था ???”)))))

दरअसल जब वे इस सम्मान का जश्न मना रहे थे तो सारी दुनिया में प्रमुख चैनल और नेटवर्क पर इसकी चर्चा हो रही थी। उनका अवसाद तब शुरू हुआ जब एक ‘फोन इंटरव्यू’ के दौरान किसी ने पूछा कि उस लड़की का क्या हुआ???

कार्टर ने कहा कि वह देखने के लिए रुके नहीं क्योंकि उन्हें फ्लाइट पकड़नी थी। इस पर उस व्यक्ति ने कहा कि “मैं आपको बताना चाहता हूँ, कि उस दिन वहां दो गिद्ध थे, जिसमें से एक के हाथ में कैमरा था !!!”

इस कथन के भाव ने कार्टर को इतना विचलित कर दिया कि वे अवसाद में चले गये और अंत में आत्महत्या कर ली।

किसी भी स्थिति में कुछ हासिल करने से पहले मानवता आनी ही चाहिए । कार्टर आज जीवित होते अगर वे उस बच्ची को उठा कर यूनाईटेड नेशन्स के फीडिंग सेंटर तक पहुँचा देते जहाँ पहुँचने की वह कोशिश कर रही थी ।

आज इस घटना के 26 सालों बाद, ये कैमरे वाले गिद्ध मुजफ्फरपुर के अस्पतालों मे मंडरा रहे हैं। तस्वीरें खींच रहे है, अपने गंदे जूतों और कैमरों के साथ शोर मचाते हुए, अस्पताल के आईसीयू मे घुसे जा रहे हैं। डाॅक्टरों पर रौब जमा रहे हैं। जान बचाने की जद्दोजहद में लगे डाॅक्टरों को हड़का रहे हैं।

 

इन गिद्धों को मरते बच्चों से कोई सरोकार नही है। इन्हें केवल ख़बर में मसाला डालकर उसे चटपटा बनाना है और टीआरपी बढ़ानी है। ये बच्चों के शवों को नोच कर खा जाने को आमादा गिद्ध हैं।

 

केविन कार्टर में शर्म हया बची हुई थी, जिससे उसने आत्महत्या कर ली थी। मगर इन गिद्धों ने तो ईमान के साथ साथ आत्मा भी बेच खाई है।

 

तभी तो “अंजना ओम कश्यप” आईसीयू में घुस कर, इलाज़ करते एक जूनियर डाॅक्टर को बीच में डिस्टर्ब कर, पूछ रही है कि अस्पताल मे जगह क्यों नहीं है ???

 

और अजीत अंजुम नाम का एक और गिद्ध डाॅक्टरों पर चीखकर, उन्हें काम नहीं करने दे रहा। अपने कैमरे की चोंच से ये गिद्ध बच्चों की लाशों को चीर फाड़ने पर आमादा हैं… और पूरा देश निर्लज्जता से ब्रैकिंग न्यूज देख रहा है !!!

सरकारों व प्रशासकीय जिम्मेदार जिममेवारों को जगाते हुए फतेहवीर खुद मिट्टी हुआ पर हुआ क्या कहीं_-_-? -? -??!! एक सवाल जो मांग रहा जवाब।।

तमाम दिवंगत नन्हीं आत्माओं की शांति हेतु अल्फा न्यूज इंडिया डोट इन का अश्रु मयी नमन।।।।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

8316

+

Visitors