गिलोय से सबके आंतरिक और बाहरी रोग दूर होय

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चंडीगढ़:- 01 दिसंबर:- आर के विक्रमा शर्मा प्रस्तुति:– कुदरत ने समूची धरती पर नाना प्रकार की जड़ी बूटियां भौतिक मंडल के लिए ही सृजित की हैं। इंसान के साथ-साथ पशु पक्षियों के लिए भी भगवान ने उनकी दर्द पीड़ा सहने से राहत के लिए अनेकों प्रकार की प्राकृतिक छटा में जड़ी बूटियों की अद्भुत लाभकारी संपदा बिखेरी है।।  गिलोय हर रोग की निवारक, जीवनदायक अमृता है
अत्यंत लाभकारी तथा स्वास्थ्य वर्धक औषधि है गिलोय
ब्यावर, (हेमन्त साहू)। कोरोना में रामबाण औषधि के रूप में गिलोय
सर्वाधिक गुण  सम्पन्न,सस्ती और सुलभ मानी जा रही है। वैसे तो प्रत्येक
औषधि हमारे लिए प्रकृति का उपहार है लेकिन गिलोय अनेकों गुण-धर्मो से
युक्त हमारे लिए अत्यंत लाभकारी तथा स्वास्थ्य वर्धक है । इसलिए इसको
अमृता भी कहा जाता है।

सामान्यत: नीम के ऊपर चढ़ी हुई  गिलोय अत्यंत
गुणकारी मानी गई है । अनेक रोगों में इसका उपयोग होता  है। रक्त विकार
में-  रक्त का शुद्धिकरण करने में तथा रक्त के विकारों से उत्पन्न रोगों
में अत्यंत लाभकारी है। जो लोग  मधुमेह (डायबिटीज) रोग से ग्रस्त हैं,
उनके लिए नीम गिलोय का रस अत्यंत गुणकारी है। यह शरीर में इंसुलिन की
उत्पत्ति व रक्त में उसकी घुलनशीलता को बढ़ाती है । इससे रक्त शर्करा
घटती है । जीवाणु नाशक हमारे शरीर के जिस भाग में जीवाणु शांत अवस्था में
पड़े रहते हैं गिलोय वही पहुंचकर उनका नाश करती है ।रक्त कैंसर में जिन
लोगों के रक्त कैंसर है उनके लिए गिलोय का स्वरस अत्यंत रामबाण है। विधि-
गिलोय लगभग 2 फुट लंबी तथा एक अंगुली जितनी मोटी, 10 ग्राम गेहूं की हरी
पत्तियां लेकर थोड़ा पानी मिलाकर पीस लें कपड़े से निचोड़ कर एक कप की
मात्रा में खाली पेट नित्य प्रयोग करे। त्वचा से संबंधित होने वाले रोगों
में नीम गिलोय का रस अत्यंत लाभप्रद है। हृदय रोग में – गिलोय का रस हृदय
को मजबूत बनाता है । त्रिदोष नाशक – वात ,पित्त और कफ से होने वाले रोगों
में लाभकारी है । नेत्र ज्योति में- गिलोय रस में त्रिफला मिलाकर क्वाथ
(काढ़ा) बनाकर इसे पीपल के चूर्ण और शहद के साथ प्रात: सायं सेवन करते
रहने से नेत्रों की ज्योति बढ़ती है। कान का मैल साफ करने में गिलोय को
पानी में घिस कर गुनगुना करके कान में उसकी दो-दो बूंद दिन में दो बार
डालने से कान का मैल निकल जाता है।

जीर्ण ज्वर में( बुखार )- जीर्ण ज्वर
या 6 दिन से भी अधिक बुखार नहीं टूटने पर 40 ग्राम गिलोय कूटकर मिट्टी के
बर्तन में 250 ग्राम पानी में मिलाकर रात भर ढक कर रखते हैं और प्रात:
छानकर पीने से( दिन में तीन बार) ज्वर नष्ट हो जाता है । डेंगू और
मलेरिया में प्लेटलेट्स डाउन हो जाती है जिसके कारण ब्लडिंग होने की
संभावनाएं रहती है। गिलोय का उपयोग करने से प्लेटलेट्स बढ़ती है। गिलोय
की बेल तोडकर उसके छोटे छोटे टुकडे कर लिए जाय और दिन में तीन चार बार
मुँह में रखकर चबाना हर रोग में सार्थक साबित हुआ है।

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