चैत्र पूर्णिमा को भक्त शिरोमणि भगवान हनुमान जी की धरावतरण धर्म समागम की बधाईयां

Loading

चंडीगढ़:26 अप्रैल:आरके शर्मा विक्रमा+ करण शर्मा प्रस्तुति:–

भक्त शिरोमणि भगवान श्री हनुमान जन्मोत्सव चैत्र माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दिन हनुमानजी का जन्म हुआ माना जाता है।

समुद्रमंथन के पश्चात शिव जी ने भगवान विष्णु का मोहिनी रूप देखने की इच्छा प्रकट की, जो उन्होनें देवताओं और असुरों को दिखाया था। उनका वह आकर्षक रूप देखकर वह कामातुर हो गए। और उन्होंने अपना वीर्यपात कर दिया। वायुदेव ने शिव जी के बीज को वानर राजा केसरी की पत्नी अंजना के गर्भ में प्रविष्ट कर दिया। और इस तरह अंजना के गर्भ से वानर रूप हनुमान का जन्म हुआ। उन्हें शिव का ११वाँ रूद्र अवतार माना जाता है।

इन्द्र के वज्र से हनुमानजी की ठुड्डी (संस्कृत में हनु) टूट गई थी। इसलिये उनको हनुमान का नाम दिया गया। इसके अलावा ये अनेक नामों से प्रसिद्ध है जैसे बजरंग बली, मारुति, अंजनि सुत, पवनपुत्र, संकटमोचन, केसरीनन्दन, महावीर, कपीश, शंकर सुवन आदि।

हनुमान जन्मोत्सव को लोग हनुमान मन्दिर में दर्शन हेतु जाते है। कुछ लोग व्रत भी धारण कर बड़ी उत्सुकता और जोश के साथ समर्पित होकर इनकी पूजा करते है। चूँकि यह कहा जाता है कि ये बाल ब्रह्मचारी थे इसलिए इन्हे जनेऊ भी पहनाई जाती है। हनुमानजी की मूर्तियों पर सिन्दूर और चांदी का वर्क चढाने की परम्परा है। कहा जाता है राम की लम्बी उम्र के लिए एक बार हनुमान जी अपने पूरे शरीर पर सिन्दूर चढ़ा लिया था और इसी कारण उन्हें और उनके भक्तो को सिन्दूर चढ़ाना बहुत अच्छा लगता है जिसे चोला कहते है। संध्या के समय दक्षिण मुखी हनुमान मूर्ति के सामने शुद्ध होकर मन्त्र जाप करने को अत्यंत महत्त्व दिया जाता है। हनुमान जयन्ती पर रामचरितमानस के सुन्दरकाण्ड पाठ को पढना भी हनुमानजी को प्रसन्न करता है। सभी मन्दिरों में इस दिन तुलसीदास कृत रामचरितमानस एवं हनुमान चालीसा का पाठ होता है। जगह जगह भण्डारे आयोजित किये जाते है। तमिलानाडु व केरल में हनुमान जन्मोत्सव मार्गशीर्ष माह की अमावस्या को तथा उड़ीसा में वैशाख महीने के पहले दिन मनाया जाता है। वहीं कर्नाटक व आंध्र प्रदेश में चैत्र पूर्णिमा से लेकर वैशाख महीने के 10वें दिन तक यह त्यौहार मनाया जाता है।

इस दिन व्रत रखने वालों को कुछ नियमों का पालन करना होता है। व्रत रखने वाले व्रत की पूर्व रात्रि से ब्रह्मचर्य का पालन करें। फिर हनुमान जन्मोत्सव के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर प्रभु श्री राम, माता सीता व श्री हनुमान का स्मरण करें। फिर स्नान कर हनुमान जी की प्रतिमा को स्थापित करें और विधिवत उनकी पूजा करें। हनुमान चालीसा और संकटमोचन का पाठ करें। फिर हनुमान जी की आरती उतारें। इस दिन कई लोग सुन्दरकाण्ड या हनुमान चालीसा का अखण्ड पाठ भी करवाते हैं। भगवान हनुमान को प्रसाद के रूप में गुड़, भीगे या भुने चने एवं बेसन के लड्डू चढ़ाएं। माना जाता है कि इस दिन हनुमान जी को सिन्दूर का चोला चढ़ाने से मनोकामना की पूर्ति जल्दी हो जाती है।

मान्यता है त्रेतायुग में प्रभु श्रीराम के साथ ही सभी देवी-देवतागण अपने-अपने लोकों को प्रस्थान कर गये थे किन्तु प्रभु श्रीराम के आशीर्वाद से हनुमानजी प्रभु के भजन और जनकल्याण हेतु पृथ्वी पर ही रह गये थे। अपनी प्रत्यक्षता का प्रमाण वे समय-समय पर पृथ्वी वासियों को भिन्न-भिन्न रूपों में देते रहते हैं। जहाँ भी रामकथा, रामचरितमानस सुन्दरकाण्ड आदि का आयोजन किया जाता है वहाँ हनुमानजी के लिये एक पृथक आसन की व्यवस्था की जाती है। जहाँ भी प्रभु श्रीराम का स्मरण किया जाता है वहाँ हनुमानजी प्रत्यक्ष उपस्थित रहते हैं। हनुमानजी देवता होने के साथ-साथ सर्वश्रेष्ठ गुरू भी हैं। प्रभु श्रीराम को शीघ्र पाने का सबसे सरल और सुगम मार्ग स्वयं हनुमानजी ही हैं। हनुमान जन्मोत्सव के दिन बजरंगबली की विधिवत पूजा करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है साथ ही सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। हनुमानजी का मूल मंत्र है:-

 

*”ॐ हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट्”*

#Note: इस बार कोरोना वायरस (Coronavirus) के चलते हनुमान जी के मन्दिरोंं में भक्त दर्शन के लिए नहीं जा पायेंगे। तो ऐसे में आपको घर पर ही विधि-विधान के साथ पूजा करनी है।

💝

🏹रामचरित मानस के कुछ रोचक तथ्य🏹

1:~लंका में राम जी = 111 दिन रहे।
2:~लंका में सीताजी = 435 दिन रहीं।
3:~मानस में श्लोक संख्या = 27 है।
4:~मानस में चोपाई संख्या = 4608 है।
5:~मानस में दोहा संख्या = 1074 है।
6:~मानस में सोरठा संख्या = 207 है।
7:~मानस में छन्द संख्या = 86 है।

8:~सुग्रीव में बल था = 10000 हाथियों का।
9:~सीता रानी बनीं = 33वर्ष की उम्र में।
10:~मानस रचना के समय तुलसीदास की उम्र = 77 वर्ष थी।
11:~पुष्पक विमान की चाल = 400 मील/घण्टा थी।
12:~रामादल व रावण दल का युद्ध = 87 दिन चला।
13:~राम रावण युद्ध = 32 दिन चला।
14:~सेतु निर्माण = 5 दिन में हुआ।

15:~नलनील के पिता = विश्वकर्मा जी हैं।
16:~त्रिजटा के पिता = विभीषण हैं।

17:~विश्वामित्र राम को ले गए =10 दिन के लिए।
18:~राम ने रावण को सबसे पहले मारा था = 6 वर्ष की उम्र में।
19:~रावण को जिन्दा किया = सुखेन बेद ने नाभि में अमृत रखकर।

श्री राम के दादा परदादा का नाम क्या था?
नहीं तो जानिये-
1 – ब्रह्मा जी से मरीचि हुए,
2 – मरीचि के पुत्र कश्यप हुए,
3 – कश्यप के पुत्र विवस्वान थे,
4 – विवस्वान के वैवस्वत मनु हुए.वैवस्वत मनु के समय जल प्रलय हुआ था,
5 – वैवस्वतमनु के दस पुत्रों में से एक का नाम इक्ष्वाकु था, इक्ष्वाकु ने अयोध्या को अपनी राजधानी बनाया और इस प्रकार इक्ष्वाकु कुलकी स्थापना की |
6 – इक्ष्वाकु के पुत्र कुक्षि हुए,
7 – कुक्षि के पुत्र का नाम विकुक्षि था,
8 – विकुक्षि के पुत्र बाण हुए,
9 – बाण के पुत्र अनरण्य हुए,
10- अनरण्य से पृथु हुए,
11- पृथु से त्रिशंकु का जन्म हुआ,
12- त्रिशंकु के पुत्र धुंधुमार हुए,
13- धुन्धुमार के पुत्र का नाम युवनाश्व था,
14- युवनाश्व के पुत्र मान्धाता हुए,
15- मान्धाता से सुसन्धि का जन्म हुआ,
16- सुसन्धि के दो पुत्र हुए- ध्रुवसन्धि एवं प्रसेनजित,
17- ध्रुवसन्धि के पुत्र भरत हुए,
18- भरत के पुत्र असित हुए,
19- असित के पुत्र सगर हुए,
20- सगर के पुत्र का नाम असमंज था,
21- असमंज के पुत्र अंशुमान हुए,
22- अंशुमान के पुत्र दिलीप हुए,
23- दिलीप के पुत्र भगीरथ हुए, भागीरथ ने ही गंगा को पृथ्वी पर उतारा था.भागीरथ के पुत्र ककुत्स्थ थे |
24- ककुत्स्थ के पुत्र रघु हुए, रघु के अत्यंत तेजस्वी और पराक्रमी नरेश होने के कारण उनके बाद इस वंश का नाम रघुवंश हो गया, तब से श्री राम के कुल को रघु कुल भी कहा जाता है |
25- रघु के पुत्र प्रवृद्ध हुए,
26- प्रवृद्ध के पुत्र शंखण थे,
27- शंखण के पुत्र सुदर्शन हुए,
28- सुदर्शन के पुत्र का नाम अग्निवर्ण था,
29- अग्निवर्ण के पुत्र शीघ्रग हुए,
30- शीघ्रग के पुत्र मरु हुए,
31- मरु के पुत्र प्रशुश्रुक थे,
32- प्रशुश्रुक के पुत्र अम्बरीष हुए,
33- अम्बरीष के पुत्र का नाम नहुष था,
34- नहुष के पुत्र ययाति हुए,
35- ययाति के पुत्र नाभाग हुए,
36- नाभाग के पुत्र का नाम अज था,
37- अज के पुत्र दशरथ हुए,
38- दशरथ के चार पुत्र राम, भरत, लक्ष्मण तथा शत्रुघ्न हुए |
इस प्रकार ब्रह्मा की उन्चालिसवी (39) पीढ़ी में श्रीराम का जन्म हुआ | हर हिंदू इस जानकारी को जाने..।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

8467

+

Visitors