उठो जागो कहीं मेरा भारत सो ही ना जाए

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चंडीगढ़: 21 मार्च:- आर के विक्रमा शर्मा/ करण शर्मा:– यह समाज धार्मिक और परिवारिक राष्ट्रीयता हाजी को समर्पित कविता किसी आमों की कलम से अल्फा न्यूज़ इंडिया के सुधि पाठकों सहित भारतवासियों को अल्फा न्यूज़ इंडिया की माध्यम से प्रस्तुत है।

 

*”मन्दिर लगता आडंबर ,*

*और मदिरालय में खोए हैं ,”*

*”भूल गए कश्मीरी पंडित ,*

*और अफजल पे रोए हैं……..”*

 

*”इन्हें गोधरा नहीं दिखा ,*

*गुजरात दिखाई देता है ,”*

*”एक पक्ष के लोगों का ,*

*जज्बात दिखाई देता है……..”*

 

*”हिन्दू को गाली देने का ,*

*मौसम बना रहे हैं ये ,”*

*”धर्म सनातन पर हँसने को ,*

*फैशन बना रहे हैं ये…….”*

 

*”टीपू को सुल्तान मानकर ,*

*खुद को बेच कर फूल गए ,”*

*”और प्रताप की खुद्दारी की ,*

*घास की रोटी भूल गए…….”*

 

*”आतंकी की फाँसी इनको ,*

*अक्सर बहुत रुलाती है ,”*

*”गाय माँस के बिन भोजन की ,*

*थाली नहीं सुहाती है…….”*

 

*”होली आई तो पानी की ,*

*बर्बादी पर ये रोते हैं ,”*

*”रेन डाँस के नाम पर ,*

*बहते पानी से मुँह धोते हैं……..”*

 

*”दीवाली की जगमग से ही ,*

*इनकी आँखें डरती हैं ,”*

*”थर्टी फर्स्ट की आतिशबाजी ,*

*इनको क्यों नहीं अखरती है…….”*

 

*”देश विरोधी नारों को ,*

*ये आजादी बतलाते हैं ,”*

*”राष्ट्रप्रेम के नायक संघी ,*

*इनको नहीं सुहाते हैं……..”*

 

*”सात जन्म के पावन बंधन ,*

*इनको बहुत अखरते हैं ,”*

*”लिव इन वाले बदन के ,*

*आकर्षण में आहें भरते हैं…..”*

 

*”आज समय की धारा कहती ,*

*मर्यादा का भान रखो ,”*

*”मूल्यों वाला जीवन जी कर ,*

*दिल में हिन्दुस्तान रखो……..”*

 

*”भूल गया जो संस्कार ,*

*वो जीवन खरा नहीं रहता ,”*

*”जड़ से अगर जुदा हो जाए ,*

*तो पत्ता हरा नहीं रहता……..”*

 

🔶🔶🔶🔶🔶🔶🔶🔶🔶

 

*”भारत माता की जय”*

*”वन्दे मातरम”*

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