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  • *अंत्रवृद्धि (हर्निया- आंत उतरना) क्या है.?*

● हर्निया पेट की दीवार की दुर्बलता से होता हैं।

● आम बोलचाल की भाषा में हर्निया पेट के किसी भी हिस्से में पैदा होने वाले उभार को कहा जाता हैं।

● इसे आंत उतारना भी कहा जाता हैं।

● व्यक्ति जब लेटता हैं तो यह उभार गायब हो जाता हैं।

● विशेषज्ञ बताते हैं के ये रोग ज़्यादातर पुरुषो को होता हैं।

 

*आइये जाने इस का उपचार*

हर्निया के दर्जनो प्रकार पाये जाते हैं, लेकिन छोटी आंत के कारण पैदा होने वाले हर्निया इस प्रकार हैं।

1. उदरगत

2. इंग्वाइनल

3. मलद्वारगत

4. पुराने शल्यक्रिया के घाव वाले स्थान पर (इंसीजनल)

5. नाभिगत (अमबलाइकल)

लक्षण।

 

*●पेट में दर्द होना●*

● यह दर्द निरंतर या कभी कभी हो सकता हैं।

● नाभि क्षेत्र का किसी भी प्रकार से फूलना अथवा उसमे उभार महसूस होना।

● पुरुषो के अंडकोष में हवा या पानी भरने जैसा महसूस होना। उल्लेखनीय हैं के ये लक्षण लेटने पर समाप्त हो जाते हैं।

कारण।

● समय से पूर्व पैदा होने वाले बच्चे में ये अधिक होते देखा गया हैं।

 

*●अन्य कारण●*

● वृद्धावस्था

● मोटापा

● लम्बे समय से खांसी से पीड़ित रहना

● लम्बे समय से कब्ज से पीड़ित रहना

● लगातार खड़े रहना जैसे सेल्समैन, अध्यापक, बस कंडक्टर, सुपरवाइजर जैसे कार्य करने वाले लोग।

● कुपोषण श्रमिक अथवा अधिक वजन उठाने से।

 

*●घरेलु उपचार●*

(1). त्रिफला –

रात को सोते समय गुनगुने पानी के साथ १ चम्मच त्रिफला चूर्ण ले कर सोये।

(2). अरण्ड का तेल –

अगर अंडकोष में वायु भरी हुयी प्रतीत हो तो एक कप दूध में २ चम्मच अरण्ड का तेल डालकर एक महीने तक पिलाये, इस से हर्निया सही होता हैं। और 1 से 10 मिलिग्राम अरण्डी के तेल में छोटी हरड़ का 1 से 5 ग्राम चूर्ण मिलाकर दे

(3). कॉफ़ी –

कॉफ़ी ज़्यादा पीने से भी इस रोग में बहुत लाभ मिलता हैं।

(4). नारायण तेल :

नारायण तेल से मालिश करना चाहिए। मात्रा 1 से 3 ग्राम दूध के साथ पीना चाहिए।

(5). मैगनेट बेल्ट –

मैगनेट का बेल्ट बाँधने से हार्निया में लाभ होता है।

(6). चुम्बकीय चिकित्सा से भी बहुत लाभ मिलता हैं। इसके लिए आप किसी चिकित्सक से परामर्श करे।

(7). नए रोग में कदम्ब के पत्ते पर घी लगाकर उसे आग पर हल्का सा सेक कर अंडकोष पर लपेट दे तथा लंगोट से बाँध ले।

(8). नियमित रूप से दस ग्राम अदरक का मुरब्बा सवेरे खाली पेट सेवन करने से हर्निया रोग ठीक होता हैं। एक से दो महीने सेवन करने से ही प्रयाप्त लाभ होJता हैं।

(9). नोनी का लगातार प्रयोग करना चाहिये।

 

●आयुर्वेदिक उपचार●

■ वृद्धिबाधिका वटी दो दो गोलिया दिन में दो बार ताज़ा पानी या बड़ी हरड़ के काढ़े के साथ ले।

● आयुर्वेद में इस औषिधि की बड़ी महिमा हैं, इसके नियमित सेवन से हर्निया तथा अंडकोष में वायु भरना, दर्द होना, पानी भरना इत्यादि लक्षण शांत होने लगते हैं।

● नए रोग की तो ये रामबाण दवा हैं।

● यदि इस औषधि के सेवन से किसी का जी मिचलता हो या बेचैनी होती हो तो निम्बू की शिकंजी या काला नमक मिलायी हुई छाछ के साथ औषिधि ग्रहण करवाये।

● इस औषिधि के तुरंत बाद गर्म तासीर वाले कोई भी आहार ना ले जैसे चाय कॉफ़ी गरमा गर्म दूध इत्यादि।

● अगर सेवन करना हो तो एक घंटे के बाद ही कुछ सेवन करे।

● यदि साथ में कब्ज रहता हो तो वृद्धिबाधिका वटी के साथ साथ आरोग्यवर्धनी वटी दो दो गोलिया दिन में दो बार अवश्य ही सेवन करे।

रखे ध्यान।

● शरीर का वजन नहीं बढ़ने दे।

● मोटापे पर लगाम रखे।

● क्षमता से अधिक वजन भूलकर भी ना उठाये।

● खांसी को बढ़ने नहीं दे तथा आयुर्वेदीय पथ्य का पालन करते हुए समय रहते ही इसका इलाज कराये।

● ऐसा ऑपरेशन चीरा लगा हो उसमे पर्याप्त आराम करे।

● अंडरवियर हमेशा टाइट अथवा लंगोट धारण करे।

हर्निया के बीमारो को कम खाना चाहिए।

● कब्ज़ न रहने दे।

● मल त्यागते समय मल  के लिए ज़ोर नहीं लगाये।

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#नेचुरोपैथ कौशल जी की वहाहटसअप वाल से साभार #

 

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