एजुकेटेड शहर झेल रहा कोरोना का कहर, जिम्मेदार जवाबदेह अधिकारी बने मूकदर्शक

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चंडीगढ़:- 27 मई:- अल्फा न्यूज़ इंडिया डेस्क:—कोरोना वायरस के जानलेवा  कहर की मार यूं तो देश और दुनिया झेल रही है। लेकिन हैरत की बात तो यह है कि दो राज्यों की राजधानी चंडीगढ़ में कोरोनावायरस खुलेआम मौत का तांडव नाच रहा है। और जिम्मेदार जवाब देह अधिकारी अपनी अपनी जवाबदेही  और जिम्मेवारी से बिदकते नजर आ रहे हैं।मजेदार बात तो यह है कि इसी बिल्डिंग में चंडीगढ़ के प्रशासक सहित उनके एडवाइजर, फाइनेंस सेक्रेट्री व होम सेक्रेट्री सहित चीफ इंजीनियर जैसे अन्य  पावरफुल आईएएस अधिकारी भी बैठते हैं।

चंडीगढ़ में कोरोना के कहर के पीड़ितों के आंकड़े हैरानी भरे हैं और व्यवस्था पर भी करारी चोट करने वाले हैं। आज रात्रि 11:30 बजे तक की जानकारियों मुताबिक जीरकपुर वीआईपी रोड की निवासी महिला मुंबई से लौटी है कोरोना पॉजिटिव पाई गई है इसी तरह मोहाली में 108 संक्रमित होने के साथ तीन एक्टिव व 3 कोरोना से लड़ते-लड़ते जिंदगी की जंग हार गए। सेक्टर  67 वासी जो अमेरिका से लौटा है और फेज 10 निवासी जो ओमान से लौटा है दोनों कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं।। सेक्टर 16 जरनल मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल में सेक्टर 30 की महज 1 महीने की बच्ची की मौत होने पर डॉक्टरों ने उसके सैंपल्स लिए हैं। और खबर लिखे जाने तक कोरोना रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है। बापूधाम में सबसे ज्यादा एक्टिव केस पाए जाने से पूरा शहर दहशत में है। एक स्थानीय हिंदी समाचार पत्र के अनुसार आज बापूधाम में 6 नए केस कोरोनावायरस आने से कुल संख्या 216 कोरोनावायरस से संक्रमित दर्ज किए गए हैं। उक्त नये इन पाज़ीटिव केसों में 08 व 12 और 15 व 16 सहित 17 बर्ष और 53 बर्ष के शुमार हैं।

कहने को तो केंद्र सरकार द्वारा जारी अधिसूचनाओं का अक्षरत पालन करवाने में चंडीगढ़ प्रशासन के अधिकारी एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं। लेकिन पॉजिटिव रिजल्ट के नाम पर हकीकत सच्चाई से परे है। खुद तो अधिकारी अपने बड़े बड़े व खुले कक्षों में बैठ कर निर्धारित सोशल डिस्टेंसिंग से भी ज्यादा दूरी बनाकर खुद को सुरक्षित रखते हुए देखे जा सकते हैं। वहीं, दूसरी ओर इनके अधीनस्थ कर्मचारी  10 बाय 10 के कमरों में भी भीड़ के रूप में बैठे देखे गए हैं। और निर्धारित आउटसाइड पब्लिक डीलिंग टाइमिंग का भी खुलेआम उल्लंघन हो रहा है। एंट्री के मेन गेट पर सैनिटाइजर स्प्रे तो दूर की बात है हाथों पर लगाने के लिए एक बूंद तक भी कर्मचारियों को नसीब नहीं है। बड़े-बड़े दावे और वादे करने वाले अधिकारी अपनी सुरक्षा तक ही सीमित होकर रह गए हैं। मुंहलगे छूटभैया छोटे अधिकारी अपनी मनमर्जी से कर्मचारियों से हंड्रेड परसेंट हाजिरी दर्ज करवा रहे हैं। ऐसा नहीं है कि यह ड्रामा सभी जगह है। अनेकों दफ्तरों में 50% हाजिरी का पालन इमानदारी से किया जा रहा है। यहां तक कि हेल्पिंग हैंड कर्मचारियों को भी 50% हाजिरी दायरे में रखा गया है। अब यह बात भी हजम नहीं होती कि बड़े अधिकारियों को इस सब की खबर/भनक तक नहीं है! लेकिन बेपरवाही का आलम चारों ओर व्याप्त है। मजेदार बात तो यह है कि बड़े अधिकारियों के कमरों के बाहर बैठे अर्दली भी बिना मासक के बैठे देखे जा सकते हैं। इन ब्रांचों में पब्लिक डीलिंग खुलेआम होती है। और बाहर से आने वाले उपभोक्ता अपने हाथों को बिना सैनिटाइज किए हुए ब्रांचों में बेेे रोक-टोक  घूमते देखे जा सकते हैं। यूटी सचिवालय में साढ़े चार फ्लोर पर बने केबिन एंप्लाइज से भरे देखे जा सकते हैं। यहां बड़े अधिकारियों से महज कुछ ही दूरी पर कायदे कानूनों की धज्जियां उड़ती हैं। और कर्मचारी 50% हाजिरी के बजाय 100% उपस्थिति दर्ज करवाने को मजबूर हैं। इस फ्लोर पर छोटे-छोटे कैबिन में 3–3 कर्मचारी धंसे हुए बैठे हैं। और हैरत की बात यह है कि अनेकों टेबलों पर तो काम की भी कमी बनी हुई है।। लेकिन हाजरी 100% ली जा रही है। और प्रशासक के आदेशों को मनमर्जी के जूतों तले रौंदा जा रहा है। चंडीगढ़ पुलिस मुख्यालय में कोरोनावायरस से लड़ने में बरती जा रही सावधानियां बखूबी अंजाम दी जा रही हैं। और ठीक सामने वाली बिल्डिंग में चीफ इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट की कई डिवीजनें हैं। मेन गेट पर चंडीगढ़ पुलिस के महिला और पुरुष जवान मुस्तैद ड्यूटी दे रहे हैं पर यहां सैनिटाइज करने के लिए कुछ भी इंतजाम नहीं है। इस मामले में डायरेक्टर एजुकेशन डिपार्टमेंट में अनेकों सावधानियों को बखूबी पूरा किया जा रहा है। और इससे ऊपर की मंजिल पर इन्हीं सावधानियों की ओर से बड़े से छोटे अधिकारी बेपरवाही के आलम में हैं। इन अधिकारियों के अधीनस्थ कर्मचारी भेड़ बकरियों की तरह ब्रांचों में काम कर रहे हैं। और साथ ही साथ बिना किसी टाइम पाबंदी के पब्लिक डीलिंग को भी निपटा रहे हैं। आखिर अधिकारी और कर्मचारी किस अनहोनी घटना के घटने की इंतजार में हैं और शीर्ष अधिकारी इन पर अनुशासनात्मक कार्यवाही क्यों नहीं कर रहे हैं यह सवाल भी अफसरों की मुस्तैदी व पारदर्शिता पर प्रश्न चिन्ह लगा रहा है।।

 

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