धर्मपरक बनने के लिए क्रमव्ययी बनना अनिवार्य ; पवन मदान

Loading

चंडीगढ़ ; 28 फरवरी ; आरके शर्मा विक्रमा ;– धर्म तभी स्थिर होता है जब कर्म में सादगी निरंतरता और ईमानदारी का समावेश होता है ! कर्म को धर्म बनाने के लिए कर्म पूंजी का खर्च सर्वमान्य और सर्वोन्मुखी होना चाहिए ये विचार भारतीय स्टेट बैंक [एसबीआई] के सेवानिवृत हुए पवन मदान ने अपनी निजी वार्तालाप में सांझे किये ! पवन मदान आज अपनी बैंक की सेवा से बहुत हर्षोल्लास भरे माहौल में सेवानिवृति का ताज पहन कर खुश हैं ! उनका स्वाभिमान बोल उठा “बैंक में नौकरी उनका पैशन रहा और हर ड्यूटी के प्रति जिम्मेवारी और जवाबदेही उनकी प्राथमिकता रही” ! उनकी धर्मपत्नी भी चंडीगढ़ प्रशासन में कार्यरत हैं ! और एकलौता लख्तेजिगर विदेश में उच्च शिक्षा प्राप्त  कर रहा है ! सेवानिवृति के यादगारी अवसर पर बैंक के बड़े अधिकारी और कनिष्ठ कर्मी, मित्र, शुभचिंतक आदि उपस्थित थे ! पवन मदान ने अपनी सेवावधि में बड़े अफसरों के गर्मजोशी भरे मार्गदर्शन, प्रेरणा सहित सहकर्मिओं के सदा उदारता भरे साथ के लिए सभी का हार्दिक धन्यवाद किया ! बैंक ऑफिसर्स ने भी उनको स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया और उनके अच्छे भविष्य के लिए शुभकामनायें दीं  ! अल्फा  न्यूज इंडिया ने पवन मदान के बारे तारीफ करने से पहले उनके तारीख कर्म में पढ़ाई और फिर एसबीआई में जोइनिंग और युवा अवस्था के दौरान पंजाब यूनिवर्सिटी की एसबीआई ब्रांच में कार्यरत रहना और फिर अनेकों भारी कार्यभार वाली ब्रांचेज में जिम्मेवार  अधिकारी बनकर सेवा करना प्रमुख रहा ! हर तरह के ऐब से परहेज रखने वाले विनम्र और स्नेही स्वभाव के धनी पवन मदान यारों के यार भी कहे !  मुसीबत और आभाव में दूसरों की यथासम्भव मदद उनकी फितरत है ! सम्पादक  मंडल  ने उनके शानदार स्वस्थ भविष्य की उनको मंगलकामना मुबारिक की !

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

8477

+

Visitors