अक्षय तृतीया का मतलब है सृष्टि के महान समागमों का महाकुंभ

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चंडीगढ़:- 14 मई:- आरके विक्रमा शर्मा+ करण शर्मा एन के धीमान+ हरीश शर्मा:——- आज का दिन बहुत ही पावन और सर्व कल्याणकारी दिवस है! क्योंकि इस दिन की भोर  से लेकर अगले दिन की भोर तक देश व समाज के विभिन्न वर्गों से बड़े-बड़े विभूतियों ने जन्म लिया था और अपनी संसार की यात्रा पूरी करते हुए 14 तारीख को इस दुनिया को अलविदा कह गए।

अक्षय स्वास्थ्य ,अक्षय शांति,अक्षय सुख,अक्षय शिक्षा,अक्षय समृद्धि,अक्षय सम्मान,अक्षय सुन्दरता,अक्षय सद्वुद्धी,अक्षय शक्ति,अक्षय संपत्ति,अक्षय सुयश,अक्षय स्नेह के साथ अक्षय आनंद की अनुभूति का समन्वय होगा।।

सतयुग और त्रेतायुग प्रारम्भ दिवस के साथ-साथ गंगा अवतरण दिवस और तीर्थंकर ऋषभदेव तप व  भगवान परशुराम अवतरण दिवस आदि  जैसे अनेकों सुखद सौहार्द भरे नाना प्रकार के संयोगों के दिवस अक्षय तृतीया की अक्षय शुभकामनाएं सभी ब्राह्मणों को मांगलिक फलीभूत हों। सभी ब्राह्मणों और ब्राह्मणों के प्रति निस्वार्थ भाव से श्रद्धा और विश्वास रखने वाले समाज को पंडित रामकृष्ण शर्मा जी जोकि  जाने-माने धर्म प्रज्ञ और साधु सन्यासी समाज के लिए अन्नकूट भंडारे आयोजित करते हैं। और मेडिकल फ्री चेकअप कैंप, नेत्र रोग निशुल्क जांच शिविर आदि लगाते हैं, ने हार्दिक बधाई दी है। और इस मौके को और भी यादगार बनाने के लिए हिदायत दी है कि हर हिन्दू अपने घर के आगे भगवा ध्वज जरूर फहराएं। हर हिंदू ब्राह्मण का यह धर्म कर्तव्य बनता है कि साधु महंतों को   जरूर भोजन तैयार कर वितरण  करवायें। हिंदू समाज का कर्तव्य है कि वह अपने मुख्य प्रवेश द्वार पर बहुत ही स्वच्छ और पूजनीय वातावरण में माता तुलसी का पौधा जरूर लगाएं। और अक्षय तृतीया को सभी हिंदू समाज अपने घरों में रोशनी करें। और दीप मालाएं भी सजाएं। इस मौके पर गरीबों को भी अन्न दान, वस्त्रों का दान और पढ़ने वाले विद्यार्थियों को किताबें कापियां स्टेशनरी वितरित की जाए।

पंडित रामकृष्ण शर्मा जी ने सभी हिंदुओं से आह्वान किया की हाय हेलो से परहेज रखते हुए सभी को राम राम या राधे राधे या जय श्री कृष्णा आदि संबोधन से आदर और सम्मान देते हुए अभिवादन करना चाहिए। इन सब बातों से ऊपर भगवान परशुराम जी के प्रकट उत्सव के मौके यह स्पष्ट करना होगा कि हम अपने माता-पिता की हर तरह के भेदभाव और स्वार्थ आदि से ऊपर उठकर उनकी सेवा करें। हमारी वाणी व कर्म सहित सोच किसी से भी उनकी आत्मा को पीड़ा ना पहुंचे। यही भगवान परशुराम जी का अटल संदेश है क्योंकि वह दुनिया में पितृ भक्ति के लिए जाने जाते हैं और पितृ भक्ति की अनुकंपा के रूप में माता रेणुका जी को भगवान परशुराम सर्वाधिक प्यार करते थे। उन्हीं की शिक्षाओं का अनुसरण करते हुए हम सबको अपने माता-पिता को किसी भी प्रकार का कष्ट पीड़ा नहीं होने देनी चाहिए। और उनकी सेवा में रात दिन तत्पर रहना चाहिए। इस मौके पर सेक्टर 11 पंचकूला स्थित शर्मा कुटीर पर जुटे आस्थावानो को कोरोना के दिशा निर्देशों के बारे सतर्क करते हुए दूसरों को भी समझाने की अपील की । और समस्त प्राणी समाज से उन्होंने आग्रह किया है कि आज संकट के दौर में अपने आसपास के किसी भी इंसान को भूखा ना सोने दें। इंसानों के साथ साथ गलियों मोहल्लों में रात दिन बाहरी लोगों से हमारी सुरक्षा करने वाले कुत्तों को भी बिल्लियों को भी भोजन जरूर उपलब्ध करवाएं। यह परोपकार दया भाव दिलों में संजो कर रखें।्

 

 

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